For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दुर्गा - लघुकथा –

दुर्गा - लघुकथा –

शुरू में मैंने दुर्गा को एक महीने के लिये ट्रायल पर रखा था क्योंकि उसे देखकर लगता नहीं था कि काम वाली बाई है। खूबसूरत और जवान तो थी ही लेकिन साथ ही गज़ब की स्टाइलिश और फ़ैशनेबिल। चटकीली सुर्ख लिपस्टिक, गॉगल, मोबाइल, बड़ा सा लेडीज पर्स भी रखती थी।

मुझे बहुत तनाव रहता था जब वह पतिदेव की उपस्थिति में आती थी। ऐसे में मुझे अतिरिक्त सावधानी रखनी पड़ती थी। हालाँकि पतिदेव का इतिहास साफ सुथरा था। पर मर्द जात का क्या भरोसा। ऊपर से दुर्गा के लटके झटके। एक बार तो मैंने उसे कह भी दिया था कि दुर्गा नाम तुम पर सही नहीं लगता। मेनका या उर्वशी होना चाहिये|

लेकिन आज  मेरी सारी आशंकाओं को दुर्गा ने चूर चूर कर दिया। हुआ यूँ कि दुर्गा रसोईघर में थी। पतिदेव दौरे पर गये थे। बेटा हॉस्टल में था।

मैं और दुर्गा ही थे घर में।डोर बेल बजी। मैंने द्वार खोला तो एक हट्टा कट्टा लड़का कोरियर लेकर आया था।मैं उसके दिये कागज पर हस्ताक्षर करने लगी तो अचानक उसने मेरे गले पर चाकू रख दिया। इसी बीच उसका दूसरा साथी भी अंदर आ गया। मुझे पूरी तरह कब्जे में कर लिया और बेड रूम की ओर खींच ले गये। मेरी अलमारी की चाबी छीन ली। मेरे हाथ बाँध दिये।

मन में अजीब सी शंकायें जन्म लेने लगीं कि मेरे साथ कुछ गलत ना करें। कहीं मुझे मार ही ना दें।।मुझे एक पल को तो इस घटना क्रम में दुर्गा की साजिश लगी।मैं उस घड़ी को कोसने लगी जब दुर्गा को रखा था|

"रुको कमीनो, अपनी  माँ की उम्र की औरत पर अपनी जवानी दिखा रहे हो। आओ मुझ पर आजामाओ अपनी ताक़त।"

दुर्गा दरवाजे के बीचोंबीच हाथ में चाकू लिये खड़ी थी।

"मैडम, आप डरिये मत,मैंने पुलिस को फोन कर दिया है। तब तक इन दोनों के लिये तो मैं अकेली ही काफी हूँ।"

दुर्गा के इस अप्रत्याशित कृत्य से उन दोनों के हाथ पैर फूल गये। उनको यह आभास नहीं था कि घर में कोई और भी है। अब वे रोने और गिड़गिड़ाने लगे।शायद नौसिखिये चोर थे।

पुलिस आकर उनको लेगयी ।

"दुर्गा, तुम सचमुच ही दुर्गा हो। मुझे तुम पर गर्व है।" मैंने बरबस उसे गले लगा लिया।

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 654

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on October 4, 2018 at 8:57am

हार्दिक आभार आदरणीय  बृजेश कुमार 'ब्रज' जी।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 29, 2018 at 6:52pm

बड़ी अच्छी लघु कथा लिखी है आदरणीय...

Comment by TEJ VEER SINGH on September 28, 2018 at 9:21am

हार्दिक आभार आदरणीय नीलम जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on September 28, 2018 at 9:20am

हार्दिक आभार आदरणीय विजय निकोरे जी।

Comment by Neelam Upadhyaya on September 26, 2018 at 4:14pm

आदरणीय  तेजवीर सिंह जी, नमस्कार। बहुत ही अच्छी  लघुकथा हुई  है।  बधाई स्वीकार करें ।

Comment by vijay nikore on September 26, 2018 at 3:24pm

आपकी लघुकथा बहुत ही अच्छी लगी, आदरणीय तेज वीर सिंह जी। हार्दिक बधाई।

Comment by TEJ VEER SINGH on September 24, 2018 at 6:06pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी।आदाब।

Comment by Samar kabeer on September 24, 2018 at 12:15pm

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on September 23, 2018 at 11:17am

हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी जी।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 23, 2018 at 10:06am

ऐसा भी होता तो है। विदेश में सेटल मेरी एक पूर्व स्टूडेंट की आया ने चोरी कर उसे क़त्ल किया था। लेकिन ऐसी दुर्गायें भी होती हैं नाम सार्थक कर बेहद वफादार। हार्दिक बधाई इस रचना के लिए, आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
2 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मोहतरम बागपतवी साहिब, गौर फरमाएँ ले के घर से जो निकलते थे जुनूँ की मशअल इस ज़माने में वो…"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता…"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
6 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service