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सोचिये  मत   यहाँ  ख़ता  क्या  है ।
है  इशारा   तो   पूछना   क्या  है ।।

अब मुक़द्दर पे छोड़ दे  सब  कुछ ।
सामने    और   रास्ता   क्या   है ।।

वो   किसी  और  का  हो  जाएगा ।
बारहा   उसको  देखता  क्या   है ।।

गर है जाने की ज़िद तो जा तू  भी ।
अब  तेरा  हमसे  वास्ता  क्या  है ।।

इतना   मासूम   मत कहो उसको।
इल्म कुछ तो है आसना  क्या है ।।

उसकी फ़ितरत से ख़ूब वाकिब हूँ ।
ख़त  में उसने  हमें लिखा क्या है ।।

जब  दवा  ही  नहीं  है  पास  तेरे ।
दर्दो  ग़म  मेरा  पूछता   क्या   है ।।

आजकल   बेख़ुदी   में   रहते  हो ।
इश्क़  फिर से  कहीं हुआ क्या है ।।

आग  जब  आशिकी  लगा  बैठी ।
क्या  बता  दूँ  यहां  बचा क्या है ।।

रोज़   मजबूरियों    में   मरता   हूँ ।
मौत का और  फ़लसफ़ा क्या  है ।।

यूँ  बिखरती   हैं  ख़्वाहिशें   सारी ।
जिंदगी   एक   हादसा   क्या   है ।।

तेरी  बस्ती  में  रिन्द  हैं  दाखिल ।
तिश्नगी  का  तुझे   पता  क्या  है ।।

           नवीन मणि त्रिपाठी
         मौलिक अप्रकाशित


















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Comment by रामबली गुप्ता on October 1, 2018 at 11:01pm

आदरणीय भाई नवीन जी बहुत ही सुंदर ग़ज़ल हुई है। हार्दिक बधाई स्वीकार करें।सादर

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 29, 2018 at 7:04pm

आदरणीय त्रिपाठी जी अच्छी ग़ज़ल कही..

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 29, 2018 at 1:28pm

आ. भाई नवीन जी, खूबसूरत गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Samar kabeer on September 27, 2018 at 12:08am

"आशना" का अर्थ स्त्री,प्रेमी नहीं,जान पहचान वाला है,ऐडिट कर दें ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on September 26, 2018 at 11:14pm

आ0 छोटे लाल   सिंह साहब स्प्रेम आभार ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on September 26, 2018 at 11:12pm

आ0  तेजवीर सिंह साहब हार्दिक  आभार ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on September 26, 2018 at 11:10pm

आ0 कबीर सर नमन

शब्द आशना है सर स्पेलिंग मिस्टेक है । 

आशना का अर्थ स्त्री प्रेमी।

Comment by Samar kabeer on September 26, 2018 at 3:01pm

जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,'ग़ालिब' की ज़मीन में अच्छी ग़ज़ल हुई है,बधाई स्वीकार करें ।

सामने    और   रास्ता   क्या   है

इस मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर देखें ।

' इल्म कुछ तो है आसना  क्या है'

इस मिसरे में 'आसना' का क्या अर्थ लिया है?

Comment by TEJ VEER SINGH on September 26, 2018 at 9:52am

हार्दिक बधाई आदरणीय नवीन मणि जी। बेहतरीन गज़ल।

जब  दवा  ही  नहीं  है  पास  तेरे ।
दर्दो  ग़म  मेरा  पूछता   क्या   है ।।

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on September 25, 2018 at 7:18pm

आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी बहुत बेहतरीन गजल मन प्रसन्न हो गया दिली मुबारकबाद

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