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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग-1)

साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....

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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2)

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बढ़िया ग़ज़ल है आदरणीय अरुण कुमार निगम जी। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। दूसरा शेर ख़ास तौर से पसन्द आया। सादर।

जनाब अरूण कुमार जी आदाब 

शानदार ग़ज़ल हुई मुबारक बाद 

आदरणीय अरूण जी, उम्दा अशआर हुए है. ग़ज़ल मे बहुत प्रभावी व्यंग है. हार्दिक बधाई 

आ. भाई अरुण जी, बेहतरीन गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

बढ़िया ग़ज़ल हुई है आ० अरुण कुमार निगम भाई जी, हार्दिक बधाई प्रस्तुत है. 

आदरणीय अरुण भाईजी, आपकी आमद से आयोजन भी धनी हुआ. एक अच्छी ग़ज़ल से बनी आपकी उपस्थिति भली लगी. 

दाद क़बूल करें. 

शुभ-शुभ

अच्छी गजल हुई है आदरणीय।बधाई लें।

आदरणीय अरुण कुमार निगम जी ...सुन्दर ग़ज़ल के लिए ढेरों बधाइयां|

आदरणीय अरुण निगम जी, आपकी ग़ज़ल हमेशा अच्छी होती है, बहुत खूब, बधाई स्वीकार करें।

बहुत सुंदर ग़ज़ल हुई है आदरणीय अरुण कुमार जी| 

ख्वाब रंगीं दिखा के गुलशन का
इक कफ़स में फँसा गया है मुझे।


कैसे कर्जे से छूट पाऊंगा
कीमती मय पिला गया है मुझे। बहुत खूब | 

       गजल-2

शे'र कहना सिखा गया है मुझे

शख्स कोई सुना गया है मुझे।1

मुंतजिर हूँ कि वह करे रौशन

राह भटकी,दिखा गया है मुझे।2

रुख हवाओं के मोड़ता फिरा जो,

वह बवंडर फँसा गया है मुझे।3

सोचता था,मिरा करीबी उसे

आइना वह  दिखा गया है मुझे।4

मसखरों का यहाँ ठिकाना नहीं

इल्म यह फिर से आ गया है मुझे।5

ख्वाब तेरे खुदी को मात करें

क्यूँ तू यूँ तिलमिला गया है मुझे?6

टूट जाऊँ,उठूँ लहर की तरह

सब्र करना तो आ गया है मुझे।7

"मौलिक व अप्रकाशित"

जनाब मनन कुमार साहिब,

मतले का ऊला मिसरा बह्र में नहीं है,

लफ़्ज़ "ग़ज़्ल" सही नहीं है, सही लफ़्ज़ है "ग़ज़ल"

२रे शे'र में भाव स्पष्ट नहीं है,

४थे शे'र का शिल्प कमज़ोर है,गिरह चस्पा नहीं हुई,ग़ज़ल अभी समय चाहती है,,

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Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
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Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
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Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
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Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Chetan Prakash ji, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास रहा। सुझावों से निखार जाएगी ग़ज़ल। बधाई। "
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Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, ख़ूब ग़ज़ल रही, बधाई आपको। "
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