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एक गीत मार्गदर्शन के निवेदन सहित: मनोज अहसास

आज मन मुरझा गया है

मर गई सब याचनाएं
धूमिल हुई योजनाएं
एक बड़ा ठहराव जैसे ज़िन्दगी को खा गया है
आज मन मुरझा गया है

खुरदरी सी हर सतह है
आंसुओ से भी विरह है
वेदना का तेज़ झोंका मेरा पथ बिसरा गया है
आज मन मुरझा गया है

किसलिये बाकी ये जीवन
किसलिये सांसों का बंधन
भावना ,विश्वास पर जब घुप अंधेरा छा गया है
आज मन मुरझा गया है

मौलिक और अप्रकाशित

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Comment

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Comment by मनोज अहसास on January 24, 2019 at 9:51am

आदरणीय मित्रों का हार्दिक आभार

सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 21, 2018 at 4:06pm

आ. भाई मनोज जी, सुंदर गीत हुआ है । हार्दिक बधाई ।

Comment by PHOOL SINGH on December 17, 2018 at 2:53pm

एक अच्छी रचना बधाई स्वीकारे

Comment by मनोज अहसास on December 17, 2018 at 12:12pm

सादर आभार आदरणीय कबीर साहब

Comment by Samar kabeer on December 17, 2018 at 11:01am

जनाब मनोज अहसास जी आदाब,गीत का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

मर गई सब याचनाएं'

इस पंक्ति में 'गई' को "गईं" करें ।

' धूमिल हुई योजनाएं'

इस पंक्ति में 'हुई' को "हुईं" करें ।

' एक बड़ा ठहराव जैसे ज़िन्दगी को खा गया है'

इस पंक्ति में 'एक' को "इक" करें ।

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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