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आग नहीं वो पानी होगी- बसंत

बह्र - फैलुन *४ 

जो मेरी दीवानी होगी

आग नहीं वो पानी होगी

 

हाथ बढ़ाया है जब उसने

कुछ तो मन में ठानी होगी

 

एक नजर में लूट लिया दिल

कुछ तो बात पुरानी होगी

 

पलकें’ झुकाना फिर कह देना  

कहने में आसानी होगी

 

उसकी सुनूँ न, अपनी कह दूँ

ये तो बेईमानी होगी

 

दूर बहुत वो, फिर भी खुश है

कोई पास निशानी होगी

 

दर्द का दरिया बह जाएगा   

तब मशहूर कहानी होगी

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

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Comment by बसंत कुमार शर्मा on February 7, 2019 at 5:14pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी सादर नमस्कार, आपकी हौसलाअफजाई का शुक्रिया 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 29, 2019 at 7:58pm

आ. भाई बसंत जी, सुंदर गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on January 28, 2019 at 4:24pm

आदरणीय समर कबीर जी, सादर नमस्कार, आपकी हौसलाअफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by Surkhab Bashar on January 28, 2019 at 11:56am

आ.  बसंत कुमार शर्मा जी उम्दा ग़ज़ल हुई

Comment by Samar kabeer on January 28, 2019 at 10:56am

जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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