For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राज़ नवादवी: एक अंजान शायर का कलाम- ९४

जनाब अहमद फराज़ साहब की ज़मीन पे लिखी ग़ज़ल

221 1221 1221 122

बुझते हुए दीये को जलाने के लिए आ
आ फिर से मेरी नींद चुराने के लिए आ //१

दो पल तुझे देखे बिना है ज़िंदगी मुश्किल
मैं ग़ैर हूँ इतना ही बताने के लिए आ //२

तेरे बिना मैं दौलते दिल का करूँ भी क्या
हाथों से इसे अपने लुटाने के लिए आ //३

तेरा ये करम है जो तू आता है मेरे पास
मुझपे यही एहसान जताने के लिए आ //४

मुमकिन जो नहीं ज़िंदगी में तू कभी आए
तो आ, मेरी मय्यत ही उठाने के लिए आ //५

तू हो चुकी है ग़ैर की कह भी नहीं सकता
सब छोड़ मुझे अपना बनाने के लिए आ //६

मैं हो चुका हूँ ख़ाके वफ़ा बस ये करम कर
गंगा में मेरी मिट्टी बहाने के लिए आ //७

आदत पड़ी है 'राज़' को गिर्या ए सितम की
कुछ भी नहीं तो दिल ही दुखाने के लिए आ //८

~ राज़ नवादवी
"मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 666

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on May 5, 2019 at 11:22am

ठीक है ।

Comment by राज़ नवादवी on May 4, 2019 at 10:57am

आदरणीय जनाब समर कबीर साहब, आपकी इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का दिल से शुक्रिया. शम्मा की जगह दीया कर रहा हूँ, शायद बात बन जाए. सादर 

Comment by राज़ नवादवी on May 4, 2019 at 10:56am

आदरणीय लक्ष्मण धामी साहब, ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफज़ाई का दिल से शुक्रिया. सादर 

Comment by Samar kabeer on May 2, 2019 at 11:48am

जनाब राज़ नवादवी जी आदाब,'अहमद फ़राज़' की ज़मीन में ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।

'बुझती हुई शम्मा को जलाने के लिए आ'

इस मिसरे में "शम'अ" को 22 पर लिया है,जो सहीह नहीं है,इसका वज़्न 21 है,देखियेगा ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 2, 2019 at 5:28am

आ. भाई राजनवादवी जी, सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई।

Comment by राज़ नवादवी on May 1, 2019 at 11:21pm

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह साहब, ग़ज़ल में आपकी शिरकत और सुखन नवाज़ी का तहे दिल से शुक्रिया. आदर 

Comment by नाथ सोनांचली on May 1, 2019 at 6:26pm

आद0 राज नवादवी साहब सादर अभिवादन। बढ़िया और खूबसूरत ग़ज़ल कही आपने। शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद कुबुल करें

Comment by राज़ नवादवी on May 1, 2019 at 6:24pm

आदरणीय सुशील सरना जी, हौसला अफज़ाई का तहेदिल से शुक्रिया. सादर. 

Comment by Sushil Sarna on May 1, 2019 at 3:08pm

वाह जनाब राज नवादवी साहिब वाह खूबसूरत अहसासों को बयाँ करती शानदार ग़ज़ल। दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाएं सर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय Dayaram Methani जी आदाब ग़ज़ल के प्रयास पर बधाई स्वीकार करें  ग़ज़ल — 212 1222…"
4 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।"
44 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
51 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब आज़ी तमाम साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। भाई-चारा का…"
51 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
57 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी, ऐसा करना मुनासिब होगा। "
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ इस्लाह भी ख़ूब हुई आ अमित जी की"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ रिचा अच्छी ग़ज़ल हुई है इस्लाह के साथ अच्छा सुधार किया आपने"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु हार्दिक बधाई आपको ।"
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Sanjay Shukla जी, बहुत आभार आपका। ज़र्रा-नवाज़ी का शुक्रिया।"
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Euphonic Amit जी, बहुत आभार आपका। ज़र्रा-नवाज़ी का शुक्रिया।"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service