For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शरणार्थी (लघुकथाएं )

शरणार्थी

(1)
---
दो मित्र आपस में बातें कर रहे थे;एक मानवतावादी था, दूसरा समाजवादी।पहले ने कहा-
अरे भई!वो भी आदमी हैं,परिस्थिति के मारे हुए।बेचारों को शरण देना पुण्य-परमार्थ का काम है।
दूसरा:हाँ तभी तक,जबतक यहाँ के लोगों को शरणार्थी बनने की नौबत न आ जाये।


(2)
---
-हाँ,जुझारूपन हमारे खून में है।
-हमारी खातिर तुम क्या करोगे?
-जान भी दे सकते हैं।
-हमें वोट चाहिए।जान तो सस्ती जिंस है।
-ऊपरवाले की कसम जो कहेंगे,हम करेंगे।
-कितने हो तुमलोग?
-अभी दस हजार।हुक्म मिलने पर लाखों की तादाद होगी।
-ठीक है।रात के अँधेरे में घुस आना।पुलिस बस्तियों में गश्त लगायेगी',मंत्री-प्रतिनिधि बोला।
-जय हो',जेहादी जत्थेदार ने नारा बुलंद किया।

(3)
---
-ताई।
-बोलो बबुआ।
-इतनी सुबह,इतने ताऊ?कहाँ से आ गए?कल तक तो नहीं थे।
-रात ने अंडे दिए हैं बचवा।
-मतलब?
-भोले हो।पड़ोस के मुल्क के अपने दोस्त हैं
-अपने यहाँ दोस्त कम थे क्या, तइया?
-नहीं।लेकिन घर के मीत समय के साथ खुन्नस पालने लगते हैं।
-और बाहर वाले?',पप्पू बोला।
-अपने भर ही सही,साथ तो देंगे',ताई खद्दर की साड़ी के पल्लू में मुँह ढाँपकर मुस्कुराई।
@

 

(4)
--
नयी बस्ती बसाई गयी।वीरान-सुनसान चौंर रजगज हो चला ।कल तक जहाँ रात में सियार फेंकरते थे,वहाँ आज बिजली के बल्ब नजर आ रहे थे। अकलू-बकलू टहलते हुए उधर से गुजरे।नजारा देखकर चौंक गए।अकलू बोला, 'मंत्रीजी ने वाकई ईमानदारी से इन्हें बसाया है।'
-पड़ोस के ईमान हैं ये सब।कुछ दिन तो निभा ही देंगे',बकलू बोला।
-अगले साल चुनाव है।फिर देखा जायेगा',अकलू ने कुरेदा।
-हाँ रे, झोपड़ियों का बनना और जलना तो चलता ही रहता है',बकलू ने चुटकी ली।
@

(5)
---
-कोई कोई तारीख ढाँचा ढ़हाने के लिए जानी जाती है।
-सच है।
-और फिर मामले चलते रहते हैं।बरसी मनाई जाती है।
-और  क्या?
-होना क्या है?
-मतलब है कि विध्वंस वीरों को क्या कहा जाय, वाद प्रेरित,धर्म निरपेक्ष या और कुछ.

-कुछ भी।सब सुविधा के लिए गढ़े हुए शब्द हैं।
-सुविधा के लिए?
-और नहीं तो क्या?देखते नहीं ,एक ही करतूत के लिए कोई देश द्रोही,तो कोई देश भक्त कहा जाता है।
-सो तो है।नये- नये नागरिक बने लोग ज्यादातर धर्म निरपेक्ष हुआ करते हैं।
-इसीलिए उन्हें हर तरह की छूट होती है।
-हाँ रे भोला!जिंदाबाद-मुर्दाबाद के नारे व्यक्ति परक हैं,भावपरक नहीं',बाबा बोले।
-सच है बाबा।पूजा स्थल पर कलुआ ने बम फेका और गिरफ्तार हुआ अपना .....।समझे ?
-हाँ भई! सब जान गए हैं
@ "मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 391

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on June 11, 2019 at 4:37pm

आभार आदरणीय।

Comment by Samar kabeer on June 11, 2019 at 12:19pm

जनाब मनन कुमार सिंह जी आदाब,अच्छी लघुकथाएं लिखीं,बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, बेह्तरीन ग़ज़ल से आग़ाज़ किया है, सादर बधाई आपको आखिरी शे'र में…"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा जी बहुत धन्यवाद"
2 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी, आपकी बहुमूल्य राय का स्वागत है। 5 में प्रकाश की नहीं बल्कि उष्मा की बात है। दोनों…"
2 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी। आप की मूल्यवान राय का स्वागत है।  2 मय और निश्तर पीड़ित हृदय के पुराने उपचार…"
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय महेंद्र कुमार जी नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी ।सादर अभिवादन स्वीकार कीजिए। अच्छी ग़ज़ल हेतु आपको हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,सादर अभिवादन स्वीकार कीजिए।  ग़ज़ल हेतु बधाई। कंटकों को छूने का.... यह…"
3 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा यादव जी ।सादर नमस्कार।ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।गुणीजनों के इस्लाह से और निखर गई है।"
3 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय euphonic amit जी आपको सादर प्रणाम। बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय त्रुटियों को इंगित करने व…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका इतनी बारीक़ी से हर बात बताने समझाने कनलिये सुधार का प्रयास…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय, अमित जी, आदाब आपने ग़ज़ल तक आकर जो प्रोत्साहन दिया, इसके लिए आपका आभारी हूँ ।// आज़माता…"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय DINESH KUMAR VISHWAKARMA आदाब ग़ज़ल के उम्द: प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। मुश्किलों की आँधी…"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service