For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

घर तक पहुँचते पहुँचते वह बिलकुल थक के चूर हो गया था, थकान सिर्फ शारीरिक होती तो और बात थी, वह मानसिक ज्यादा थी. आज भी कुछ लोगों की खुसुर फुसुर उसके कानों में पड़ गयी थी "अरे ये तो सरकारी दामाद हैं, इनको कौन बोल सकता है, जो चाहे करें". जैसे ही वह सोफे पर बैठा, उसकी नजर सुपुत्र राघव पर पड़ी. उसकी कुहनी पर खून के दाग थे लेकिन वह मजे में खेल रहा था.
"बेटा राघव, यहाँ आओ. यह चोट कैसे लग गयी", उसने जैसे ही कहा, राघव को अपने चोट का ध्यान आया. वह लड़खड़ाते हुए पापा की तरफ आया और उसकी शिकायत शुरू हो गयी "बहुत गन्दा स्कूल है पापा, सब बच्चे मुझे बहुत चिढ़ाते हैं. आज तो मैदान में किसी ने धक्का दे दिया और मैं गिर पड़ा, देखो खून भी निकल आया".
"अच्छा चलो दवा लगा देता हूँ, घाव ठीक हो जायेगा. एक काम करता हूँ, तुम्हारा नाम किसी और स्कूल में लिखवा देता हूँ, ऐसे गंदे बच्चों से तो पीछा छूटेगा", उसने गंभीरता से कहा.
राघव, जो अभी तक शिकायत के ही मूड में था, वह चौंक सा गया. उसने पापा की तरफ गौर से देखा और बोला "नहीं पापा, मुझे स्कूल नहीं बदलना है. मेरे कितने ही दोस्त हैं जो मेरा ध्यान रखते हैं, मैं वहीँ पढूंगा".
वह सोच में पड़ गया, राघव के पैरों में समस्या थी जिसके चलते वह लंगड़ाकर चलता था. इस वजह से बच्चे उसे बहुत चिढ़ाते थे, यह भी उसे मालूम था. लेकिन फिर भी वह अपने कुछ अच्छे दोस्तों के चलते स्कूल छोड़ने के लिए राजी नहीं था. और वह अपने कुछ कलीग्स के मानसिक विकलांगता के चलते इस्तीफा देने तक के बारे में सोच रहा था.
"तो फिर पार्क में चलें, रेस लगाते हैं", उसने राघव को गोद में उठाते हुए कहा. राघव के चेहरे पर खिलखिलाहट फ़ैल गयी, उसने उस खिलखिलाहट को अपने अंदर भी भर लिया.

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 481

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on September 20, 2019 at 6:29pm
इस टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आ मुहतरम समर कबीर साहब
Comment by Samar kabeer on September 19, 2019 at 11:42am

जनाब विनय कुमार जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by विनय कुमार on September 17, 2019 at 7:08pm

इस उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आ डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 13, 2019 at 12:52pm

आओ विनय जी , बहुत  ही प्रेरक और सुन्दर लघु कथा i आपको बधाई I 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service