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आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

 

’चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह आयोजन लगातार क्रम में इस बार एक सौ चारवाँ  आयोजन है.   

 

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

21 दिसम्बर 2019 दिन शनिवार से 22 दिसम्बर 2019 दिन रविवार तक
 
इस बार के छंद हैं - 

सार छंद 

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

 

एक बात और, आप आयोजन की अवधि में अधिकतम दो ही रचनाएँ प्रस्तुत कर सकते हैं.   

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं. 

सार छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

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आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 

21  दिसम्बर 2019 दिन शनिवार से 22 दिसम्बर 2019 दिन रविवार तक, यानी दो दिनों के लिए, रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें। 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  8. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष :

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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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Replies to This Discussion

आदरणीय सतविद्र कुमार राणा जी सराहना हेतु हार्दिक आभार आपका ।

  संग /सँग लिखने से शायद बात बने , अन्यथा समय मिलने पर इसमें कुछ और संशोधन करने का प्रयास करूँगी , सादर ।

वाह वाह  वाह   बरात  बाराती  दूल्हा और सारी सजधज  का  क्या खूब वर्णन किया हैं आपने I अच्छी तरह से एक एक चीज़ को पकड़ा है I हार्दिक बधाई आदरणीया  अनामिका जी 

//कसम बुआ कि इस फूफे ने , सबको बहुत हड़ाया।//    हड़काया

आदरणीया प्रतिभा जी , सृजन की सराहना हेतु अतिशय आभार आपका ।

 ' हड़ाया ' शब्द का प्रयोग हमारे यहाँ बोलचाल में परेशान या तंग करने के लिये किया जाता है , बस उसी लहजे में लिख दिया ।

उचित मार्गदर्शन हेतु पुनः सप्रेम आभार । 

बहुत ही रोचक प्रस्तुति अनामिका जी

आदरणीय अजय गुप्ता जी सराहना हेतु हार्दिक आभार आपका आदरणीय 

आदरणीया अनामिकाजी, आपकी प्रस्तुत रचना को कल पढ़ते ही मेरा मन प्रसन्न हो गया था. लेकिन अपने ओबीओ के भोपाल चैप्टर की मासिक गोष्ठी में होने के कारण तुरत अपनी टिप्पणी न दे सका था. खैर. 

इस मनभावन एवं सुरबद्ध गीत के लिए हार्दिक बधाइयाँ स्वीकारें.

शुभ-शुभ

क्या दूसरे बन्ध में

// देलही टेलर की दुकान पर// में चरणान्त की त्रुटि है?

वह पूरी पंक्ति ही सुधार चाहती है. 

लेकिन जिस सफलता और उत्साह से यह रचनाकर्म हुआ है, रचनाकार की रचना-अवस्था के हिसाब से नियमों के क्लिष्ट बिंदू अभी अपरिहार्य नहीं होने चाहिए .

आदरणीय अजय गुप्ता जी , यकीनन आपका कहना उचित है , यह गीत बहुत हल्के - फ़ुल्के अंदाज़ में लिखा मैंने और उत्साह के चलते मैंने इस दोष पर गौर  न कर पाया , सादर ।

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया 

से क़लम को सुकून मिला , हार्दिक आभार आदरणीय ।

मुहतरमा अनामिका सिंह 'अना' जी आदाब,प्रदत्त चित्र पर बहुत सुंदर और रोचक गीत लिखा है,तबीअत गार्डन गार्डन हो गई,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

आदरणीय समर कबीर जी , इस रचना का उद्देश्य भी यही था ।

हार्दिक आभार आपका सराहना हेतु ।

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