परम आत्मीय स्वजन,
ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 125वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह जनाब अहमद फ़राज़ साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|
"हम ने बाज़ार में ज़ख़्मों की नुमाइश नहीं की "
2122 1122 1122 112
फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़इलुन/फ़ेलुन
बह्र: रमल मुसम्मन् मख्बून मक्तुअ रूप
मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 27 नवंबर दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 28 नवंबर दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.
नियम एवं शर्तें:-
विशेष अनुरोध:-
सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें |
मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....
मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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आदरणीय गनवीर जी नमस्कार
बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई।
बधाई स्वीकार करें।
मुहतरमा ऋचा यादव साहिबा
सादर नमस्कार
ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत और हौसला अफ़जाई के लिए आपका आभारी हूँ।
सालिक गणवीर सर ,प्रणाम
तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई स्वीकार करें ।
प्रिय Rupam kumar 'मीत
सादर नमस्कार
ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत और हौसला अफ़जाई के लिए आपका आभारी हूँ।
आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन । बेहतरीन गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।
प्रिय भाई लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
सादर नमस्कार
ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत और हौसला अफ़जाई के लिए आपका आभारी हूँ।
जनाब सालिक साहिब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
जनाब Tasdiq Ahmed Khan साहिब
सादर नमस्कार
ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत और हौसला अफ़जाई के लिए आपका आभारी हूँ।
आद0भाई सालिक गणवीर जी नमस्कार, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई स्वीकार करें ।
भाई सुरेंद्र नाथ सिंह जी
सादय अभिवादन.
ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत और सराहना के लिये ह्रदय से आभार.
आदरणीय सालिक गणवीर जी नमस्ते बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई स्वीकार करें
मतला और मक़्ता ख़ास पसंद आया !
भाई दंडपाणि नाहक जी
सादर अभिवादन
ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत और सराहना के लिए हृदय से आभार.
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