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पटना वाला प्यार (कहानी संग्रह) पुस्तक समीक्षापुस्तक : पटना वाला प्यारविधा- कहानी संग्रहलेखक- अभिलाष दत्तप्रकाशक-समदर्शी प्रकाशनसंस्करण- अक्टूबर,2018मूल्य - ₹150/- अभिलाष दत्त द्वारा ल… Started by KALPANA BHATT ('रौनक़') |
0 | Feb 23, 2019 |
मेघदूत का छायानुवाद है ‘यक्ष का संदेश’- डॉ. पाण्डेय रामेन्द्र प्रस्तुति – गोपाल नारायण श्रीवास्तव 7यक्ष का संदेश – डॉ. गोपाल नारायन श्रीवास्तव अंजुमन प्रकाशन, 942, मुट्ठीगंज, इलाहाबाद-3, प्रथम संस्करण 2018, कुल पृ0-92, मूल्य- रू. 150/- भा… Started by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव |
0 | Nov 30, 2018 |
ओबीओ लखनऊ चैप्टर की साहित्य संध्या- माह अक्टूबर, 2018- एक प्रतिवेदन -डा. गोपाल नारायन श्रीवास्तव
Started by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव |
0 | Nov 30, 2018 |
पुस्तक समीक्षा : “दर्पण .... एक उड़ान कविता की”संवेदनहीनता की पराकाष्ठा दिखाता काव्य संग्रह वर्तमान अंकुर के संयोजन में, एकल पुस्तक संग्रह की श्रृंखला के अंतर्गत प्रकाशित काव्यसंग्रह, “… Started by Vikas Sharma 'Daksh' |
0 | Sep 20, 2018 |
पुस्तक समीक्षा – “दायरे...रिश्तों के”सभी कहानियां भावनाओं से परिपूर्ण: पुस्तक समीक्षा – “दायरे...रिश्तों के” ‘दायरे.... रिश्तों के’ 25 लाजवाब कहानियों का यह कहानी संग्रह रोहि… Started by Vikas Sharma 'Daksh' |
0 | Sep 20, 2018 |
समीक्षा : नागफनी के दंशसमीक्षा पुस्तक : नागफनी के दंश प्रकाशक : बोधि प्रकाशन, सी-46, सुदर्शनपुरा इंडस्ट्रियल एरिया एक्स्टेंशन, नाला रोड, 22 गोदाम, जयपुर-302006. म… Started by Ashok Kumar Raktale |
0 | Apr 1, 2018 |
सदस्य कार्यकारिणी आचमनीय है “लघुकथा कलश”आचमनीय है “लघुकथा कलश” ‘लघु कथा कलश’ एक ऐसा कलश जिसमे ३०० पावन नदियों का आचमनीय जल समाया हुआ है हिंदी साहित्य का एक विशाल सागर एक छोटी सी ग… Started by rajesh kumari |
0 | Mar 19, 2018 |
सदस्य कार्यकारिणी “जगमगाता रहे दुनिया को मुनव्वर "कौकब”जब कोई अपने तज्रिबात और एहसासात की जमीं पर ग़ज़ल गोई ,जज्बात निगारी और कुदरती मनाजिर की अक्कासी करता है तो वो जमाने भर से एक रब्त कायम कर ले… Started by rajesh kumari |
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Mar 18, 2018 Reply by pratibha pande |
हार्दिक बधाईआदरणीया राजेश कुमारी जी आदाब, आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब के ग़ज़ल संग्रह की समीक्षा पढ़कर बहुत ही अभिभूत ह… Started by Mohammed Arif |
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Mar 17, 2018 Reply by rajesh kumari |
“सीता सोचती थीं ” लेखक डा अशोक शर्मा एक पाठकीय समीक्षा / शुभ्रांशु पाण्डेय“सीता सोचती थीं ” लेखक डा अशोक शर्मा एक पाठकीय समीक्षा राम-कथा भारतीयों के जीवन का हिस्सा है और अधिकांश लोग इस कथा को तुलसीदास और वाल्मीकि… Started by Shubhranshu Pandey |
0 | Jan 20, 2018 |
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