नगर सभ्यता के परित्यागी।भोले शंकर शिव बैरागी।।*जग जीवित हो कष्ट उठाया।कालकूट को कंठ समाया।।अजब अनौखी औघड़ माया।भक्त अभक्त हर कोई भाया।।इन के पूजक हम बड़भागी।भोले शंकर शिव बैरागी।।*मुकुट न ही वैजयंती माला।अम्बर तज पहनें मृगछाला।।अपना जीवन ढंग…Continue
Started by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' Feb 17.
(रास छंद)हाथों में थी, मात पिता के, सांकलियाँ। घोर घटा में, कड़क रहीं थी, दामिनियाँ। हाथ हाथ को, भी नहिं सूझे, तम गहरा। दरवाजों पर, लटके ताले, था पहरा।।यमुना मैया, भी ऐसे में, उफन पड़ी। विपदाओं की, एक साथ में, घोर घड़ी। मास भाद्रपद, कृष्ण पक्ष की, तिथि…Continue
Started by बासुदेव अग्रवाल 'नमन'. Last reply by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' Jun 3, 2021.
लता,फूल,रज के हर कण में,नभ से झाँक रहे घन में,राधे-कृष्णा की छवि दिखती,वृन्दावन के निधिवन में।प्रेम अलौकिक व्याप्त पवन में,प्रणय गीत से बजते हैं,राधा-माधव युगल सलोने,निशदिन वहाँ विचरते हैं।छन-छन पायल की ध्वनि गूँजे, मानो राधा चलती हों,या बाँहों में…Continue
Started by शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप". Last reply by शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप" May 26, 2021.
स्वार्थहीन अनुराग सदा ही,देते हो भगवान।निज सुख-सुविधा के सब साधन,दिया सदा ही मान।अपनी सूझ-बूझ से समझी,प्रतिपल मेरी चाह,इस कठोर जीवन की तुमने,सरल बनायी राह।कभी कहाँ संतुष्ट हुई मैं,सदा देखती दोष।सहज प्राप्त सब होता रहता,फिर भी उठता रोष।किया नहीं आभार…Continue
Started by शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप". Last reply by शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप" May 26, 2021.
(रक्ता छंद)ब्रह्म लोक वासिनी।दिव्य आभ भासिनी।।वेद वीण धारिणी।हंस पे विहारिणी।।शुभ्र वस्त्र आवृता।पद्म पे विराजिता।।दीप्त माँ सरस्वती।नित्य तू प्रभावती।।छंद ताल हीन मैं।भ्रांति के अधीन मैं।।मन्द बुद्धि को हरो।काव्य की प्रभा भरो।।छंद-बद्ध साधना।काव्य…Continue
Tags: रक्ता_छंद
Started by बासुदेव अग्रवाल 'नमन'. Last reply by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' May 23, 2021.
(मकरन्द छंद)किशन कन्हैया, ब्रज रखवैया, भव-भय दुख हर, घट घट वासी।ब्रज वनचारी, गउ हितकारी, अजर अमर अज, सत अविनासी।।अतिसय मैला, अघ जब फैला, धरत कमलमुख, तब अवतारा।यदुकुल माँही, तव परछाँही, पड़त जनम तुम, धरतत कारा।।पय दधि पाना, मृदु…Continue
Tags: मकरन्द_छंद
Started by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' May 14, 2021.
चामर छन्द "मुरलीधर छवि"गोप-नार संग नन्दलालजू बिराजते।मोर पंख माथ पीत वस्त्र गात साजते।रास के सुरम्य गीत गौ रँभा रँभा कहे।कोकिला मयूर कीर कूक गान गा रहे।।श्याम पैर गूँथ के कदंब के तले खड़े।नील आभ रत्न बाहु-बंद में कई जड़े।।काछनी मृगेन्द्र लंक में लगे…Continue
Started by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' May 9, 2021.
लावणी छन्द (ईश गरिमा)तेरी ईश सृष्टि की महिमा, अद्भुत बड़ी निराली है;कहीं शीत है कहीं ग्रीष्म है, या बसन्त की लाली है।जग के जड़ चेतन जितने भी, सब तेरे ही तो कृत हैं;जो तेरी छाया से वंचित, वे अस्तित्व रहित मृत हैं।।धैर्य धरे नित भ्रमणशील रह, धार रखे…Continue
Started by बासुदेव अग्रवाल 'नमन'. Last reply by शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप" May 3, 2021.
उपासना करें सभी,महाबली कपीश की,विराट दिव्य रूप की,दयानिधान ईश की।कराल काल जाल से, प्रभो उबार लीजिये,अपार भक्ति दान की,कृपा सदैव कीजिये।प्रदीप्त बाल सूर्य को,मुखारविंद में लिया,पराक्रमी अबोध ने,डरा सुरेन्द्र को दिया।किया प्रहार इंद्र ने,अचेत केशरी…Continue
Tags: पर।, 8+8, चार, चरण, समतुकांत।)
Started by शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप". Last reply by शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप" May 3, 2021.
मरहठा छंद "कृष्ण लीलामृत"धरती जब व्याकुल, हरि भी आकुल, हो कर लें अवतार।कर कृपा भक्त पर, दुख जग के हर, दूर करें भू भार।।द्वापर युग में जब, घोर असुर सब, देन लगे संताप।हरि भक्त सेवकी, मात देवकी, सुत बन प्रगटे आप।।यमुना जल तारन, कालिय कारन, जो विष से…Continue
Tags: मरहठा
Started by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' Apr 26, 2021.
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