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बैरिन बंशी चुराने चली जब तो पहले सकुचा गयी राधा
चोरी से चुपके से हौले से धीरे से कान्हा की आँख बचा गयी राधा
पूछा किये मुरलीधर श्याम तो लीला अनेक रचा गयी राधा
नाच नचाते हैं जो सबको उन्हीं कान्हा को नाच नचा गयी राधा

मौलिक एवं अप्रकाशित

आलोक रावत 

Views: 606

Replies to This Discussion

सुंदर भाव | हार्दिक बधाई आदरणीय |

आपका बहुत बहुत धन्यवाद आभारी हूँ 

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