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गणपति वंदनागणपति महाराजा, पूर्ण करो काजा, दयावंत, दयाधारी. गौरी नंदन , दूर करो क्रंदन, जाऊँ मैं बलिहारी. रिद्धि-सिद्धि के स्वामी, अंतर्यामी, तुम हो… Started by Anita Sharma |
0 | Oct 5, 2018 |
तुलसी : एक सच्चे गुरुतुलसी :एक सच्चे गुरु 'उमा कहेउ मैं अनुभव अपना. सत हरि भजन जगत सब सपना.' इस एक चौपाई में संतकवि तुलसी जीवन के उस परम सत्य से साक्षात् कराते… Started by Ganga Dhar Sharma 'Hindustan' |
0 | Aug 25, 2018 |
जपत रटत राम नाम, तरना है दुनिया(छंद-उड़ियाना पद, विधान- उड़ियाना-12, 10 अंत में एक गुरू, उड़ियाना पद 12,12,12,10 अंत में एक गुरू) जपत रटत राम नाम, तरना है दुनिया जपत रटत रा… Started by रमेश कुमार चौहान |
0 | May 31, 2018 |
हरो बाधा सभी हनुमन........हरो बाधा सभी हनुमन..... विधाता छंद हरो बाधा सभी हनुमन.........शरण मैं आपकी आया। करो मुझपर कृपा ऐसी,....विमल हो बुद्धि मन काया।। नमन करता सद… Started by Satyanarayan Singh |
0 | Apr 1, 2018 |
अनुष्टुप छंदअनुष्टुप छंद यह छन्द न पूर्णतयः मात्रिक है, न ही पूर्णतयः वार्णिक। इसमें चार चरण होते हैं। हर चरण में आठ वर्ण होते हैं - पर मात्राएँ सबमें… Started by SANDEEP KUMAR PATEL |
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Dec 30, 2017 Reply by SANDEEP KUMAR PATEL |
मौसे कह गयो थो कान्हा (कविता)मौसे कह गयो थो कान्हा बेगी ही आ जावेगो सलौनी सन्ध्या हो चली है जाने कब वो आवेगो माखन देखो सूख गयो है धूप में कान्हा जब से गयो है हाय हाय अ… Started by KALPANA BHATT ('रौनक़') |
0 | Oct 12, 2017 |
शक्ति के रूपशक्ति के रूप (मौलिक एवं अप्रकाशित ) हिमालय की लाली मां, हैं बैल पर सवार | दिव्य रूप हाथ त्रिशूल, सुशोभित पद्म सार || सत्व सत्ता प्रकृति… Started by VINOD GUPTA |
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Sep 6, 2017 Reply by VINOD GUPTA |
मेरो किशन कन्हाई काहे मोहे तड़पायोमेरो किशन कन्हाई काहे मोहे तड़पायो , मो कहूँ आवत नाही कबहू -२ ना मुख चंद्र दिखायो , मेरो किशन कन्हाई काहे मोहे तड़पायो। बहुत सुनिन्ह है तोरे… Started by Mohit mishra (mukt) |
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Aug 30, 2017 Reply by Mohit mishra (mukt) |
कान्हा को नाच नचा गयी राधाबैरिन बंशी चुराने चली जब तो पहले सकुचा गयी राधा चोरी से चुपके से हौले से धीरे से कान्हा की आँख बचा गयी राधा पूछा किये मुरलीधर श्याम तो लीला… Started by Alok Rawat |
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Aug 29, 2017 Reply by Alok Rawat |
राधा राधा नाम रटेराधा राधा नाम रटे, सारे बन्धन तुरंत कटे। आप तरे भवसागर से, युक्त रहे नटनागर से।। नाम धन जो लूटेगा, चौरासी से छूटेगा।। गाएंगे जो प्रेम से… Started by डा॰ सुरेन्द्र कुमार वर्मा |
0 | Aug 29, 2017 |
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