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आदरणीय काव्य-रसिको !

सादर अभिवादन !!

 

’चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह एक सौ चौंतीसवाँ आयोजन है.   

 

इस बार का छंद पुनः है - कामरूप छंद  

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ - 

18 जून 2022 दिन शनिवार से 19 जून 2022 दिन रविवार तक

हम आयोजन के अंतर्गत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं.  

चित्र अंर्तजाल के माध्यम से 

कामरूप छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक ...

जैसा कि विदित है, कई-एक छंद के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो

18 जून 2022 दिन शनिवार से 19 जून 2022 दिन रविवार तक, यानी दो दिनों के लिए, रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें। 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  8. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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Replies to This Discussion

जय-जय

आपकी रेल यात्रा शुभ हो|

जय हो..

मैं अभी प्रयागराज में हूँ, आदरणीय.

कामरूप छंद

.........................

 

वाहन दुपहिया, सात यात्री, देख सब हैरान|

ट्रैफिक पुलिस ने, हाथ जोड़ा, दे उसे सम्मान||

मुश्किल बहुत जो, काम कैसे, किये तुम श्रीमान|

कैसे बिठाये, ये बता दो, ना कटे चालान||

 

गाड़ी खड़ी कर, कान पकड़ो, दे रहा हूँ ज्ञान|

लेगी तुम्हारी, बेवकूफी, किसी की भी जान||

कोविद भयंकर, रोग होना, मास्क बिन आसान|

माता पिता हो, जानते हो, नहीं तुम नादान||

 

.........................

मौलिक अप्रकाशित

आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी रचना का स्वागत है. 

आपका कामरूप पर हुआ समीचीन प्रयास सराहनीय है.

कतिपय बिंदुओं की ओर आपका ध्यान अवश्य आकृष्ट करना चाहूँगा - 

ट्रैफिक पुलिस ने, हाथ जोड़ा, दे उसे सम्मान .. यहाँ उसे को उन्हें करना उचित होगा. कि, यह सर्वनाम 'सात यात्री' को इंगित कर रहा है. 

 

मुश्किल बहुत जो, काम कैसे, किये तुम श्रीमान .. तुम किये श्रीमान 

माता पिता हो, जानते हो, नहीं तुम नादान .. तुम नहीं नादान 

उपर्युक्त पंक्तियों के अंतिम चरण में त्रिकल की नई व्यवस्था गेयता की समुचित निर्वहन का कारण बन रही है. वैसे शिल्पगत दोष आपकी पंक्तियों में नहीं है. 

 

आपके रचना प्रयास पर हार्दिक बधाइयाँ

शुभ-शुभ 

आदरणीय सौरभ  भाईजी

तृतीय चरण के प्रारंभ  में गुरु लघु या लघु गुरु [ त्रिकल ] को आत्मसात कर लिया था इसलिए गेयता की ओर ध्यान ही नहीं गया| 111 से तृतीय चरण का प्रारंभ होना मैं विधा के अनुरूप नहीं है मानता था| ........हार्दिक  धन्यवाद इस सुझाव के लिये|

अंतिम छंद को पहले ..... माता पिता हो, जानते सब , हो  नहीं नादान|| .... लिखकर अंतिम समय में संशोधन किया था|

पुनः हार्दिक धन्यवाद आभार आपका|

आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी, चित्रानुकूल कामरुप छंद में सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई।

— दयाराम मेठानी

आदरणीय दयाराम भाईजी

रचना की   प्रशंसा के लिये हार्दिक धन्यवाद आभार आपका|

आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्र को परिभाषित करने के साथ ही समाज हित की नसीहत देते सुन्दर कामरूप छंद रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर

आदरणीय अशोक भाईजी

रचना की  प्रशंसा के लिये हार्दिक धन्यवाद आभार आपका|

आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्रानुरूप सुन्दर छन्द हुए हैं । हार्दिक बधाई।

आदरणीय lलक्षम्ण भाईजी

रचना की  प्रशंसा के लिये हार्दिक धन्यवाद आभार आपका|

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