२२२२/२२२२/२२२
हाथ पकड़ कर चाहा जिसका हो जाना उसको भाया भीड़ का होकर खो जाना।१। ** किस्मत किस्मत रटते सबको देखा पर एक न पाया जिस ने किस्मत को जाना।२। ** मीत अकेलेपन सा कोई और नहीं लेकिन ये भी सब को पाया तो जाना।३। ** नींद न आये तो ये कैसे भूलें हम झील किनारे गोद में सर रख सो जाना।४। ** पीर हमें अब लगती सच में अपनी सी फूल के बदले पथ में काँटे बो जाना।५। ** बाद तुम्हारे तम में …