२१२२ २१२२
फूल काँटों में खिला है,
प्यार में सब कुछ मिला है.
है न कुछ परिमाप गम का,
गाँव है, कोई जिला है.
झोंपड़ी का देखकर गम,
तख़्त कब कोई हिला है.
है कहाँ जाना न मालूम,
क्या गजब ये काफिला है.
हो अगर संवाद दिल से,
खत्म हर शिकवा गिला है.
तोडना उसको है मुश्किल,
ख़्वाहिशों का जो किला है.
दर्द सँग किलकारियाँ हैं,
जिंदगी का सिलसिला है.
मौलिक एवं अप्रकाशित