दोस्तो गर ज़िन्दगी में कामरानी चाहिए ज़ह्न-ओ-दिल से गर्द नफ़रत की हटानी चाहिए अर्ज़ कर दूँ आख़िरी ख़्वाहिश इजाज़त हो अगर एक शब मुझको तुम्हारी मेज़बानी चाहिए ज़िल्ल-ए-सुब्हानी अगर कुछ आपसे बच पाए तो हम ग़रीबों को भी थोड़ी शादमानी चाहिए मूँद कर आँखें न चलना याद रखना ये सबक़ ज़िन्दगी में हर क़दम पर सावधानी चाहिए ज़िन्दगी में लाज़मी तो है मगर इंसान को दफ़्न करने के लिये भी माल पानी चाहिए फ़ज़्ल से रब के मुकम्मल हो गई…