212 212 212 212
1
एक आवाज़ कानों में आती रही
रूह के पार मुझको ले जाती रही
2
ख़्वाब आँखों को हर पल दिखाती रही
ज़िन्दगी उम्र भर बरगलाती रही
3
रूह लफ़्ज़ों में ढल कागज़ों पर उतर
बज़्म में आह-ओ-नाले सुनाती रही
4
उसने छोड़ा मुझे ऐसे अंदाज़ से
साँस थमती रही जान जाती रही
5
ढाई आख़र की चाहत में वो रात दिन
दिल से दिल चुपके-चुपके मिलाती रही
6
सुर सजा कर लबों पर मुहब्बत भरे
रागिनी रोज़ 'निर्मल' वो गाती रही…