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वो रंजिश में ताने दिए जा रहे हैं,हैं अपने मगर मुझको तड़पा रहे हैं ।
.सिफर हो चला हूँ मैं ख़्वाबों से खुद ही,तभी गम के बादल बहुत छा रहे हैं ।
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बसी दिल में उनकी वो तस्वीर ऐसी,कि बनकर वो साये चले आ रहे हैं ।
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सुना है कि मिलती दुआओं से मंज़िल,नमाज़-ए-महब्बत पढ़े जा रहें हैं ।
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मैं रोया हूँ इतना छुपा कर वो आँहें,पुराने थे रिश्ते जो इतरा रहे हैं ।
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मौलिक व अप…