तू ये कर और वो कर बोलता है. न जाने कौन अन्दर बोलता है . मेरे दुश्मन में कितनी ख़ामियाँ हैं मगर मुझ से वो बेहतर बोलता है. . जुबां दिल की; मेरे दिल से गुज़रकर मेरे दुश्मन का ख़ंजर बोलता है. . मैं कट जाऊं मगर झुकने न देना मेरे शानों धरा सर बोलता है. . मैं हारा हर लड़ाई जीत कर भी जहां सुन ले! सिकंदर बोलता है. . बहुत भारी पडूँगा अब कि तुम पर अकेलों से दिसम्बर बोलता है. . नया मज़हब नई दुनिया बनाओ…