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जगदानन्द झा 'मनु'
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  • Delhi
  • India
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जगदानन्द झा 'मनु' posted a blog post

मैं कौन हूँ

मैं कौन हूँ अब तक मैं अपना   पहचान ही नहीं पा सका  भीड़ में दबा कुचला व्यथित मानव  दड़बे में बंद फड़फड़ाता परिंदा या पेट भरने के लिए मांस नोचता चील मैं कौन  हूँ ? अब तक मैं अपना  पहचान ही नहीं पा सका हँसता हुआ  बेफ़िक्र  शिशु अख्कड़  गली में  दौड़ता  किशोर  बलिष्ठ  जवानी जिसने की दुःख न देखा हो  या चिंता के बोझ से दबा गृहस्थ  जो रात के खाने की चिंता में  गला जा रहा है अथवा अपने जीर्ण-शीर्ण स्थूल शरीर का भार बेंत पर टिकाया हुआ वृद्ध जो की निष्कासित कर दिया गया हैन्यू जेनरेशन के हाथों जिसका सपना…See More
Feb 13
जगदानन्द झा 'मनु' commented on जगदानन्द झा 'मनु''s blog post मैं कौन हूँ
"हार्दिक धन्यवाद भाई आदरणीय लक्ष्मण धामी जी और भाई आदरणीय Samar Kabeer जी, आप का मार्गदर्शन इसी तरह से सदैव मिलता रहे। "
Feb 7
जगदानन्द झा 'मनु' posted a blog post

मैं कौन हूँ

मैं कौन हूँ अब तक मैं अपना   पहचान ही नहीं पा सका  भीड़ में दबा कुचला व्यथित मानव  दड़बे में बंद फड़फड़ाता परिंदा या पेट भरने के लिए मांस नोचता चील मैं कौन  हूँ ? अब तक मैं अपना  पहचान ही नहीं पा सका हँसता हुआ  बेफ़िक्र  शिशु अख्कड़  गली में  दौड़ता  किशोर  बलिष्ठ  जवानी जिसने की दुःख न देखा हो  या चिंता के बोझ से दबा गृहस्थ  जो रात के खाने की चिंता में  गला जा रहा है अथवा अपने जीर्ण-शीर्ण स्थूल शरीर का भार बेंत पर टिकाया हुआ वृद्ध जो की निष्कासित कर दिया गया हैन्यू जेनरेशन के हाथों जिसका सपना…See More
Feb 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on जगदानन्द झा 'मनु''s blog post मैं कौन हूँ
"आ. भाई मनु जी, अभिवादन। अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई। भाई समर जी की बात का संज्ञान लें।"
Jan 29
Samar kabeer commented on जगदानन्द झा 'मनु''s blog post मैं कौन हूँ
"जनाब 'मनु' जी आदाब , अच्छी रचना हुई है, बधाई सवीकार करें I  टंकण त्रुटियाँ देख लें I "
Jan 29
जगदानन्द झा 'मनु' posted blog posts
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जगदानन्द झा 'मनु' and Shivam Jha are now friends
Jan 21

Profile Information

Gender
Male
City State
Delhi
Native Place
Delhi

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मैं कौन हूँ

मैं कौन हूँ

अब तक मैं अपना  

पहचान ही नहीं पा सका 

भीड़ में दबा कुचला व्यथित मानव 

दड़बे में…

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Posted on February 13, 2023 at 9:16am — 3 Comments

धुँध

मैं धुँध को नहीं चीर सका तो क्या
आगे बढ़ने कि कोशिश तो की
कुछ कदम आगे मैं बढ़ा
सूरज भी कुछ कदम आगे की
मेरे सिर पर विजय मुकुट था
घटी चादर ज्योँ ही धुँध की


यह सोच गर मैं घर में रहता
धुँध बहुत हैं छायी
चलो रजाई तान कर सोएँ
बहुत सुहाबना मौसम हैं भाई
मेरे भाग्य की कलियाँ बंद होती
सूरज क्योंकर साथ मेरा देता
किसी अन्धेरे कोठरी में
मेरा नाम भी गुम गया होता


(मौलिक एवं अप्रकाशित )

Posted on April 28, 2014 at 4:30pm — 4 Comments

मैं न जाने कहाँ खो गया

ढूंढने गया मैं खुद को

बाज़ार में

मैं न जाने कहाँ खो गया

चाँदी की खनक में

सोने की दमक में

मैं न जाने कहाँ खो गया



क्यों आया हूँ यहाँ

मैं क्या हूँ ?

मैं भूल गया

इस चमक-दमक की दुनियाँ में

मैं खुद को ही भूल गया



मैं भूल गया

मेरे हाथों में

कलम की ऐसी ताकत थी

ऊपर वाले की देन कहें

या हृदय की मेरी गागर थी



चलती थी

मेरी अश्रु स्याही से

भावो के मोती विखेरने को

समराग्नी की ताकत रखती थी

नव-निर्वाण की हुँकार…

Continue

Posted on June 23, 2012 at 1:30pm — 9 Comments

गीत -मैं भी कुछ सुनाऊँ तुमको, जो एसी भी शक्ति दी होती

मैं भी कुछ सुनाऊं तुमको,

जो ऐसी भी शक्ति दी होती



हे माँ तेरी चरणों में,

कुछ मेरी भी अर्जी तो होती



मैं दीन हूँ माँ समझो,

पर हीन न समझा करो



सीने से न अपने सही,

चरणों से न दूर करो



मैं पुत्र कुपुत्र हूँ माँ,

समझा न तेरे मन को



तुम तो माँ कुमाता नहीं,

समझो तो मेरे मन को



थोड़ा मुझ को भी दे दो माँ,

स्नेह अपनी झोली से तुम



है माँ बेटे का नाता,

माँ खोयी हो कहाँ तुम | …

Continue

Posted on June 7, 2012 at 1:00pm — 6 Comments

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"जी, सादर आभार।"
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Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय."
Sunday

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Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"बात तो उचित है. आप संशोधित रचना यहीं, इसी आयोजन में पोस्ट कर दें, आदरणीय."
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सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय."
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अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"लक्ष्मण भाई पिछले आयोजन में यही भूल मुझसे हुई थी। तो इस संबंध में थोड़ी जानकारी जुटाई थी। वो भी OBO…"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। छंदों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"रचना पर उपस्थिति तथा मूल्यवान सुझावों के लिए आपका अति आभार है सौरभ जी। आपका मार्गदर्शन तथा प्रशंसा…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी रचना पर उपस्तिथि और सराहना के लिये हार्दिक आभार। "
Sunday

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