२१२२ २१२२
फूल काँटों में खिला है,
प्यार में सब कुछ मिला है.
है न कुछ परिमाप गम का,
गाँव है, कोई जिला है.
झोंपड़ी का देखकर गम,
तख़्त कब कोई हिला है.
…
ContinuePosted on October 19, 2020 at 11:30am — 6 Comments
सागर से भी गहरे देखे.
जब-जब ख़्वाब सुनहरे देखे.
नए दौर में नई सदी में,
साँसों पर भी पहरे देखे.
गांधी जी के तीनों बंदर,
अंधे गूँगे बहरे देखे.
…
ContinuePosted on October 14, 2020 at 12:54pm — 11 Comments
१२२२ १२२२ १२२२ १२२२
जमीं पर बीज उल्फत के कोई बोता नहीं दिखता.
लगाता प्रेम सरिता में कोई गोता नहीं दिखता.
करे अपराध कोई और ही उसकी सजा पाए,
वो कहते हैं हुआ इंसाफ़, पर होता नहीं दिखता.
झरोखे हैं न आँगन है, न दाना है न गौरैया,…
ContinuePosted on October 5, 2020 at 9:30am — 12 Comments
221 2121 1221 212
कश्ती में है मगर नहीं पतवार हाथ में.
होता कहाँ किसी के ये संसार हाथ में.
कर लो भला गरीब का कुर्सी पे बैठकर,
तुमको मिला है भाग्य से अधिकार हाथ में.
ईश्वर की चाह है तो अकेले भजन…
ContinuePosted on September 19, 2020 at 6:00pm
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