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AMAN SINHA
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मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post क्या रंग है आँसू का
"आदरणीय अमन जी, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. सादर "
Sunday

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मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post मेरी खूबसूरती श्राप है
"आदरणीय अमन सिन्हा जी, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. सादर "
Sunday
AMAN SINHA commented on AMAN SINHA's blog post पुश्तैनी कर्ज़
"आदरणीय, मैंने अभी अभी लिखना शुरू किया है, आपका मार्गदर्शन मेरे लिए बहुमुल्य है| सुधार करना तो एक अनवरत प्रक्रिया है, और मैं ऐसा करने से पीछे नहीं हटूंगा, यह मेरा आपसे वादा है|"
May 23
AMAN SINHA posted a blog post

तीन जन्म नारी के

एक जीवन मे नारी का तीन जन्म होता है लेकिन हर जनम मे उसका कर्म अलग होता है पहला रूप है पुत्री का, पिता के घर वो आती है संग में अपने मात-पिता का स्वाभिमान भी लाती है यहाँ कर्म हैं मात-पिता की सेवा निशदिन करते रहना अपने घर की मर्यादा के, सीमाओं के अंदर रहना लेकिन उसके सेवा भाव का, कोई मोल नहीं मिलता धन पराया बताकर उसको, धन पिता का नही मिलता दूसरा रूप है पत्नी का, जो ब्याह पति घर आती है उसपर अपना पूरा जीवन, नि:स्वार्थ होकर लुटाती है अपना घर समझ कर जिसपर वो वारी-वारी जाती है उसी घर में गैरों जैसा,…See More
May 21

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post मैं जिया हूँ दो दफा
"आदरणीय इस प्रस्तुति के प्रयास हेतु बधाई. सादर."
May 16

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post पुश्तैनी कर्ज़
"आदरणीय अमन सिन्हा जी, आपने पुश्तैनी क़र्ज़ की पीड़ा को बहुत मार्मिक ढंग से शाब्दिक किया है. भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई. यह भी अवश्य है कि अपने भावों को शाब्दिक करने के क्रम में रचना के गठन पर भी ध्यान दिया जाये तो रचना में निखर आ जाता है और…"
May 16
AMAN SINHA posted a blog post

क्या रंग है आँसू का

क्या रंग है आँसू काकैसे कोई बतलाएगासुख का है या दु:ख का है ये कोई कैसे समझाएगा कभी किसी के खो जाने से, कोई कभी मिल जाए तोकभी कोई जो दूर हो गया, कोई पास कभी आ जाए तो किस भाव में कितना बहता, कोई ध्यान नहीं रखताहर हाल में इसका एक ही रंग है, फर्क ना कोई कर सकता कभी दर्द में बह जाता है, हंसी में भी ये दूर नहींहम इस पर काबू कर पाये, ये इतना भी कमजोर नहीं हरेक काल में एक जैसा है, चाहे धूप या छाया होभूखे पेट कोई हो या फिर, कई दिनों पर खाया हो पैसे कोई लूट ले जाए, या ज्यादा पैसा घर आ जाएदुनिया कोई छोड़…See More
May 14
indravidyavachaspatitiwari commented on AMAN SINHA's blog post मैं जिया हूँ दो दफा
"Yahi harj hai bahut achchha laga. Dhanya bad."
May 7
AMAN SINHA posted a blog post

मेरी खूबसूरती श्राप है

मेरी खूबसूरती श्राप है मेरे पूर्व जन्म का पाप है जितनों को मैंने छला होगा ये उन सबका अभिशाप है घर से निकल ना पाऊँ मैं रास्ते पर चल ना पाऊँ मैं  कपड़े गहनों की बात हीं क्या?अब खुले बाल में रहना मुश्किल है थोडी चमक-दमक जो जाऊँ मैं लाली, पाउडर जो लगाऊँ मैं हो चौराहे पर भीड़ जमा जो गली तक फिर के आऊँ मैं अब पापा पीछे हीं चलते है अब हाथ भी नहीं पकड़ते हैं कितनों की नज़र टिकि मुझपर बस यही देखते रहते हैं भैया साथ मेरे तो चलते है पर नज़र सभी पर रखते है देख गली के लडकों को आस्तीन खींचते रहते है पर ये सब मुझे…See More
May 7
AMAN SINHA posted a blog post

मैं जिया हूँ दो दफा

मैं जिया हूँ दो दफा और दो दफा हीं मैं मरा हूँपर अधूरी ख्वाहिशो संग हर दफा हीं मैं रहा हूँचाह मेरी जो भी थी वो मेरे पास थी सदापर मेरे पहुँच से देखो दूर थी वो सर्वदा राह जो चुनी थी मैंने पूरी तरह सपाट थीपर मेरे लिए हमेशा बंद उसकी कपाट थीमैंने जो गढ़ी इमारत दीवार जो बनाई थीउसकी नींव में हमेशा हो रही खुदाई थी मैं चला था साथ जिसके मंज़िलों के प्यास मेंवो रहा था पास मेरे किसी दूसरे के आस मेंसाथ मेरे होने का वो स्वांग यूँ करता रहाजानता था मैं भी सब पर संग उसके चलता रहा अब कहीं जाकर उसका मतलब समझ मैं…See More
May 1
AMAN SINHA posted a blog post

पुश्तैनी कर्ज़

चार रुपये लिए थे, मेरे दादा ने कर्ज़ मेंकल तक बाबा चुका रहे थे, ब्याज उसका फर्ज़ में रकम बढ़ी फिर किश्त की, हर साल के अंत मेंमूलधन खड़ा है अब भी, ब्याज दर के द्वंद में चार बीघा ज़मीन थी, अपना खेत खलिहान थाहँसता खेलता घर हमारा, स्वर्ग के समान था बाढ़ आयी सब तबाह हुआ, बाबा की हिम्मत टूट गयीकल तक जो खिली हुई थी, किस्मत जैसे रूठ गयी साहूकार ने हांथ बढ़ाया, सहयोग के नाम परकब से नज़र जमा रखी थी, उसने हमारी मकान पर फसल उजड़ी बैल मरे, सबकुछ बाढ़ के भेंट चढ़ीद्वार हमारे लेनदार की, लंबी सी कतार लगी गहने बेचे माँ ने…See More
Apr 23
रौशन जसवाल विक्षिप्‍त commented on AMAN SINHA's blog post तुम ना आया करो ख्वाब मे
"शानदार "
Apr 15
AMAN SINHA posted a blog post

जिस दौर से हम तुम गुजरे हैं

जिस दौर से हम-तुम गुजरे है,वो दौर ज़माना क्या जाने?हम दोनों हीं बस किरदार यहाँ के,कोई अपना अफसाना क्या जाने  रंगमंच के पर्दे के पीछेचरित्र सभी गढ़े जाते है जो कहते है जो करते हैवो बोल सभी लिखे जाते है हम दोनों अपने किरदार में थेअपनी बेचैनी कोई क्या जाने? जिस दौर से हम तुम गुजरे है,वो दौर जमाना क्या जाने?  है एक लम्हे का साथ सही,पर साथ पुराना लगता है तुम कंधे पर जो हाथ धरेहर बोझ धुआँ सा लगता है  हम कैसा बोझ उठाते हैवो बोझ कहो कोई क्या जाने? जिस दौर से हम-तुम गुजरे है,वो दौर जमाना क्या जाने?  हम…See More
Mar 23
AMAN SINHA commented on AMAN SINHA's blog post मैं रोना चाहता हूँ
"आदरणीय नाथ सोनांचली साहब,  आपकी सराहना के लिये धन्यवाद । "
Mar 23
नाथ सोनांचली commented on AMAN SINHA's blog post मैं रोना चाहता हूँ
"आद0 अमन सिन्हा जी सादर अभिवादन। कविता के दो या तीन भाग करके भी प्रस्तुत किया जा सकता है। बहरहाल कविता संवेदनाओं की गहरी थाती है। बधाई स्वीकार कीजिये"
Mar 22
AMAN SINHA posted a blog post

तुम ना आया करो ख्वाब मे

तुम ना आया करो ख्वाब में हमें रुलाने के लिएटूट चुके उन नातों को फिर से तोड़ जाने के लिएतुम जा चुके हो मान लो, इस सत्य को तुम जान लोउस जहां से ना आया करो हमें सताने के लिएतुम्हें गए हुए अब दो वर्ष बीत चुके हैबिन तुम्हारे जीना अब हम सीख चुके हैतुम लौटा ना करो सपनों में हमें जगाने के लिएरात भर जाग कर बस तुम्हें भुलाने ले लिएमुझे मालूम हैं के हम अंतिम क्षण मिल ना पाए थेमैं खड़ा था वहीं पर मैंने कदम नहीं बढ़ाए थेअब आगे बढ़कर तुम मेरे पास ना आया करोमेरा हाथ ना थामो तुम अब साथ ले जाने के लिएजो कोई फर्ज़ रह…See More
Mar 14

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तीन जन्म नारी के

एक जीवन मे नारी का तीन जन्म होता है 

लेकिन हर जनम मे उसका कर्म अलग होता है 

पहला रूप है पुत्री का, पिता के घर वो आती है 

संग में अपने मात-पिता का स्वाभिमान भी लाती है 

यहाँ कर्म हैं मात-पिता की सेवा निशदिन करते रहना …

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Posted on May 21, 2023 at 6:00am

क्या रंग है आँसू का

क्या रंग है आँसू काकैसे कोई बतलाएगा
सुख का है या दु:ख का है ये कोई कैसे समझाएगा
 
कभी किसी के खो जाने से, कोई कभी मिल…
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Posted on May 14, 2023 at 8:30am — 1 Comment

मेरी खूबसूरती श्राप है

मेरी खूबसूरती श्राप है 

मेरे पूर्व जन्म का पाप है 

जितनों को मैंने छला होगा 

ये उन सबका अभिशाप है 

घर से निकल ना पाऊँ मैं 

रास्ते पर चल ना पाऊँ मैं  

कपड़े गहनों की बात हीं…

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Posted on May 7, 2023 at 6:39am — 1 Comment

मैं जिया हूँ दो दफा

मैं जिया हूँ दो दफा और दो दफा हीं मैं मरा हूँ

पर अधूरी ख्वाहिशो संग हर दफा हीं मैं रहा हूँ

चाह मेरी जो भी थी वो मेरे पास थी सदा

पर मेरे पहुँच से देखो दूर थी वो सर्वदा

 

राह जो चुनी थी मैंने पूरी तरह सपाट थी

पर मेरे लिए हमेशा बंद उसकी कपाट थी

मैंने जो गढ़ी इमारत दीवार जो बनाई थी

उसकी नींव में हमेशा हो रही खुदाई थी

 

मैं चला था साथ जिसके मंज़िलों के प्यास में

वो रहा था पास मेरे किसी दूसरे के आस में

साथ…

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Posted on May 1, 2023 at 5:30am — 2 Comments

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