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आज जहाँ सुनिये वहीँ भाषा का बिगड़ा स्वरूप सुनाई देता है। किस पुरुष का कर्ता है और कौन सी क्रिया लग गई पता ही नही। यह भी नही की यह युवा पीढ़ी ढंग से आंग्ल भाषा ही जानती हो। तो क्या हमारी और सरकार की यह…Continue
Started this discussion. Last reply by आशीष यादव Jul 28, 2012.
एक गजल तेरे होठों पर लिख सकता था
इसकी टपक रही लाली पर बिक सकता था
किंतु सामने जब शहीद की पीर पुकारे
जान वतन पर देने वाला वीर पुकारे
जिसने भाई, लाल, कंत कुर्बान किये हों
सूख चुकी उनकी आँखों का नीर पुकारे
कैसे उन क़ातिल मुस्कानों पर बिकता
कैसे कोमल नाजुक होठों पर लिखता
एक गजल तेरी आँखों पर लिख सकता था
चंचल चितवन सी कमान पर बिक सकता था
पर कौरव-पांडव दल आँखें मींच रहा हो
चीर दुःशासन द्रुपद-सुता की…
Posted on September 6, 2020 at 8:30pm — 8 Comments
(12122)×4
ये ज़िंदगी का हसीन लमहा
गुजर गया फिर तो क्या करोगी
जो जिंदगी के इधर खड़ा है
उधर गया फिर तो क्या करोगी
तुम्हें सँवरने का हक दिया है
वो कोई पत्थर का तो नहीं है
लगाये फिरती हो जिसको ठोकर
बिखर गया फिर तो क्या करोगी
कि जिनकी शाखों पे तो गुमां है
मगर उन्हीं की जड़ों से नफरत
"वो आँधियों में उखड़ जड़ों से"
शज़र गया फिर तो क्या करोगी
जिसे अनायास कोसती हो
छिपाए बैठा है पीर…
ContinuePosted on August 25, 2020 at 2:30am — 6 Comments
उसकी ना है इतनी सी औकात मगर हड़का रहा है
झूठे में ही खा जाएगा लात मगर हड़का रहा है
औरों की बातों में आकर गाल बजाने वाला बच्चा
जिसके टूटे ना हैं दुधिया दाँत मगर हड़का रहा है
जिसके आधे खर्चे अपनी जेब कटाकर दे रहे हैं
अबकी ढँग से खा जायेगा मात मगर हड़का रहा है
आदर्शों मानवमूल्यों को छोड़ दिया तो राम जाने
कितने बदतर होंगे फिर हालात मगर हड़का रहा है
उल्फत की शमआ पर पर्दा डाल रहा है बदगुमानी
कटना मुश्किल है नफरत की रात…
Posted on August 10, 2020 at 6:36pm
2122 2122 2122 2122
वो न बोलेगा हसद की बात उसने पी रखी है
सिर्फ़ होगी प्यार की बरसात उसने पी रखी है
होश में दुनिया सिवा अपने कहाँ कुछ सोचती है
कर रहा है वो सभी की बात उसने पी रखी है
मुँह पे कह देता है कुछ भी दिल में वो रखता नहीं है
वो समझ पाता नहीं हालात उसने पी रखी है
झूठ मक्कारी फ़रेबी ज़ुल्म का तूफ़ाँ खड़ा है
क्या वो सह पायेगा झंझावात? उसने पी रखी है
जबकि सब दौर-ए-जहाँ में लूटकर घर भर रहे हों…
ContinuePosted on August 3, 2020 at 12:30pm — 4 Comments
प्रिय आशीष जी.....मेरी कविता को पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार.....
आशीष जी, प्रोत्साहन हेतु आपका हार्दिक आभार.......
आशीष जी मित्र बनने का अवसर प्रदान करने के लिए धन्यवाद |
आशीष जी आपकी शुभकमानयों और बधाइयों के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद !
आशीष जी आपकी दाद के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ! अच्छा लिखते हो ! ऐसे ही लिखते रहो और सबका मनोरंजन करते रहो !!
swagat hai
Dhanyavaad Ashish Bhai.
thanx ashish ji for liking my post...
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