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Ashok Kumar Raktale
  • Male
  • Ujjain,M.P.
  • India
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Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 148 in the group चित्र से काव्य तक
"   रुके रहे यदि गाँव........जी ! यह अधिक सम्प्रेषणीय है. जो मैं कहना चाह रहा हूँ , 'रुके' से वह स्पष्ट हो रहा है. प्रस्तुत कुण्डलिया की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार.सादर प्रणाम. "
Aug 20
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 148 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सादर प्रणाम ."
Aug 20
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 148 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रस्तुत दोहों की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. 'को' का प्रयोग प्रथम चरण में लिए देने के भाव से जोड़कर लिया है. किन्तु ब चप्पल पैर में ... जी ! इस तरह कर लेता हूँ. सादर "
Aug 20
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 148 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, प्रदत्त चित्र पर अच्छे और सार्थक दोहे रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. दसक/दशक .सादर "
Aug 20
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 148 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पांडे जी सादर, प्रदत्त चित्र पर अच्छे कुण्डलिया छंद रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. फिर भी चित्र के कुछ और बिंदुओं को छंद में होना चाहिए था. सादर "
Aug 20
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 148 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय  अजय गुप्ता जी सादर, प्रदत्त चित्रानुकूल अच्छे छंद रचे हैं आपने. बहुत बधाई स्वीकारें. किन्तु यह कुण्डलिया छंद कहाँ हुए? यह तो एक दोहा एक रोला पुनः एक दोहा और एक रोला हुआ है. कुण्डलिया छंद में दोहे और रोले के बीच कोई अंतराल या…"
Aug 20
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 148 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, प्रदत्त चित्र पर सुन्दर अभिव्यक्ति है आपकी. किन्तु दोहा छंद में कई जगह त्रुटियाँ रह गईं हैं. जैसे पाँचवा और सातवाँ दोहा जगण से प्रारम्भ हो रहा है.जिसके कारण इसे चंडालिनी कहा जाएगा, जो कि अच्छा नहीं है. इसके अतिरिक्त कई…"
Aug 20
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 148 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत दोहों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
Aug 20
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 148 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय प्रतिभा पाण्डे जी सादर,  सत्य कहा है आपने. प्रस्तुत दोहावली की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
Aug 20
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 148 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुशील सरना साहब. सादर.  प्रस्तुति की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
Aug 20
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 148 in the group चित्र से काव्य तक
"     कुण्डलिया   भर झोला रिक्शा लिए, जाते बच्चे तीन। हक्के-बक्के   शक्ल   से, थोड़े  हैं  ग़मगीन।। थोड़े  हैं ग़मगीन, किन्तु हैं मन में सपने। बनना है कुछ ख़ास, तभी खुश होंगे अपने। रहे बैठ यदि गाँव,…"
Aug 20
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 148 in the group चित्र से काव्य तक
"      दोहे   होता  है  मुँह  बन्द जब, उठते  कई  सवाल। आँखें कहतीं घूरकर, तब दिल का सच हाल।।   शिक्षा  खातिर  जा  रहे, बच्चे  घर से दूर। मार्ग देखता गाँव का, उन्हें पलट…"
Aug 19
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव’ अंक 147 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, अच्छा परिमार्जन किया है आपने अपनी प्रस्तुति में फिर भी /छत के ऊपर छाये बादल, घना अँधेरा छाया।/ .....इस पंक्ति में छाये-छाया यह पुनरावृत्ति हो रही है. इसे आये और छाये किया जा सकता है. सादर "
Jul 23
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव’ अंक 147 in the group चित्र से काव्य तक
" आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! साथ ख़ुशी के व्याप रहा है.....मैं संशोधित कर लेता हूँ. अपनी रचना को. प्रस्तुति पर उत्साहवर्धन हेतु आपका हृदयतल से आभार. सादर"
Jul 23
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव’ अंक 147 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मेठानी साहब सादर, मेरी सार छंदों की प्रस्तुति की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
Jul 23
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव’ अंक 147 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, प्रदत्त चित्र पर मेरी छंद प्रस्तुति पर उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार. सादर "
Jul 23

Profile Information

Gender
Male
City State
Ujjain
Native Place
Ujjain
Profession
service
About me
I am a technical person and always talk in right angle.

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ग़ज़ल

 22  22  22  22  22  2

 

मोद-सुमन  जो नित्य हृदय के पास रहे

सौरभ  का  भी  जीवन  में  आवास  रहे

 

मार्ग भले  ही छोटा  या  फिर  लम्बा हो

पैरों पर  प्रति  पल  अपने  विश्वास  रहे…

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Posted on September 28, 2022 at 7:30pm — 13 Comments

गाड़ी निकल रही है

गीत

*

कच्चे रास्तों गडारों से,

गाड़ी निकल रही है।

*

जा रहे हैं किधर कोई,

बूझता ही नहीं।

फूट रहे हैं सर क्योंकर,…

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Posted on September 23, 2022 at 10:30am — 8 Comments

‘गुनगुन करता गीत नया है’

गुनगुन करता गीत नया है,

क़दम बढ़ाता मीत नया है

*

दर्द दिखा हर ओर भरा है,

अचरज है हर पोर भरा है,

शब्दों में खामोशी जितनी,

भीतर उतना शोर भरा है।

कानों ने…

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Posted on September 22, 2022 at 10:30pm — 7 Comments

ग़ज़ल

1222 1222 1222



मिला था जो हमें पल खो दिया हमने

मुलायम नर्म मखमल खो दिया हमने ।

*

बचा रख्खे हैं यादों के नुकीले शर

मज़े से झूमता कल खो दिया हमने ।

*

उड़ा दी खुशबुएँ जो साथ रहती थीं

गँवा दी उम्र संदल खो दिया हमने ।

*

मुहब्बत नाम से हर दिन जिहालत की

सुकूँ था एक आँचल खो दिया हमने ।

*

सवालों पर सवालों की थीं बौछारें

जवाब आए तो संबल खो…
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Posted on September 22, 2021 at 8:00pm — 10 Comments

Comment Wall (26 comments)

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At 9:23am on April 21, 2020, dandpani nahak said…
आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी सादर प्रणाम !बहुत धन्यवाद ! कुण्डलिया के लिए बिलकुल नया हूँ ये दूसरी ही कोशिश है आशा है आप के सानिध्य से कुछ सीख सकूंगा !
आपने ऐसे संशोधित किया वाह्ह्हह्ह्ह्ह क्या कहूँ बेहतरीन ! आपकी कृपा बनी रहे !
At 10:20pm on April 13, 2019, dandpani nahak said…
आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी बहुत बहुत शुक्रिया हौसला बढ़ाने का
At 3:43pm on September 4, 2016, kanta roy said…
सार्थक रचना का सम्मानित होना अच्छा लगता ही है।
"मन उस आँगन ले जाय" को "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" सम्मान के रूप मे सम्मानित होने के लिये बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय अशोक जी।
At 11:52pm on August 17, 2016,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी.
सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी  गीतिका : मन उस आँगन ले जाय को "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" सम्मान के रूप मे सम्मानित किया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे |

आपको प्रसस्ति पत्र यथा शीघ्र उपलब्ध करा दिया जायेगा, इस निमित कृपया आप अपना पत्राचार का पता व फ़ोन नंबर admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध कराना चाहेंगे | मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई हो |
शुभकामनाओं सहित
आपका
गणेश जी "बागी
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक 
ओपन बुक्स ऑनलाइन

At 5:31pm on July 23, 2014, seemahari sharma said…
बहुत बहुत आभार आदरणीय अशोक रकताले जी।
At 8:43pm on June 15, 2014, mrs manjari pandey said…
आदरणीय रक्ताले जी बहुत बहुत धन्यवाद। वस्तुतः विषय तो चिंतनीय है ही .
At 5:01pm on July 26, 2013, Dr Ashutosh Vajpeyee said…

ashok ji apne Mujhe aur Om neerav ji ko FB par Block kar diya is baat se ham logon ko ateev kasht hua hai ham dono hi yah jaan lena chahtey hain ki kis apradh ke liye apne hame yah dand diya aur kavita lok group kyon chhoda,,,,uttar ki prateeksha me me vyagra hoon

At 10:35am on June 10, 2013, D P Mathur said…

आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले सर हौंसला बढ़ाने के लिए आपका आभार !

At 6:13pm on May 8, 2013, Dr Dilip Mittal said…

आदरणीय इसी तरह आशीर्वाद बनाए रखें 

हार्दिक आभार 
At 7:40pm on May 4, 2013, Dr Dilip Mittal said…

आपके प्रोत्साहन भरे भावों के लिए शुक्रिया 

 
 
 

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