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C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi"
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C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi"'s Page

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C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" posted a blog post

सरस्वती वंदना

(2122 2122 2122 212 ).वाग्देवी माँ हमें अपनी शरण में लीजिए | ज्ञान के जलने लगें माता हृदय में अब दिए ||   दर्द का सागर डुबाता है हमें मझधार में |  किन्तु रचना प्रस्फुटित होती न इस संसार में | जो भटकती फिर रही उस लेखनी बल दीजिए | ज्ञान के जलने लगें माता हृदय में अब दिए ||     शब्द में हो शक्ति दिल में पाक मैया भावना | प्रेम की गंगा बहे निष्पाप तन-मन कामना | द्वेष के बादल छँटें नहिं घृणा से कोई जिए | ज्ञान के जलने लगें माता हृदय में अब दिए ||  गिरि बहुत ऊँचे हुए माँ शारदा व्यवधान के | वन सघन…See More
Aug 22, 2022
C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" posted a blog post

मुक्तक

(1222 1222 1222 1222  - हजज मुसम्मन सालिम)न देखा है कभी उनको हुई पर प्रीत क्या कहने.न जाना ही न पहचाना बने मनमीत क्या कहने. कहें सब जाल दुनिया यह सभी सुर ताल आभासी,लिखे ऋतु गीत उपवन के बजे संगीत क्या कहने.- शून्य आकांक्षी "मौलिक व अप्रकाशित"See More
Jun 14, 2022
C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" commented on Pratibha Pandey's blog post काश हम हवा होते
"'काश हम हवा होते ' कोमल भावनाओं से परिपूर्ण अच्छी रचना | बधाई प्रतिभा पाण्डे जी | "
Nov 15, 2021
डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव and C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" are now friends
Oct 30, 2021
C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" commented on C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi"'s blog post दोहे
"श्री  बृजेश कुमार 'ब्रज' जी,आपकी प्यारी टिप्पणी से मन प्रफुल्लित हो गया |  आपका हार्दिक आभार |  इसी प्रकार प्रेम बनाए रखिए | "
Jun 12, 2021
C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल-आख़िर
""उसे कुछ कह नहीं सकता मगर चुप भी रहूँ कैसेकरूँ तो क्या करूँ उलझे हुए हालात में आख़िर"वाह वाह ! बहुत सार्थक ग़ज़ल |  हार्दिक बधाई  बृजेश कुमार 'ब्रज जी | "
May 30, 2021
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi"'s blog post दोहे
"बड़े ही सुंदर और सारगर्भित दोहे...बधाई आदरणीय"
May 19, 2021
C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मातृ दिवस पर ताजातरीन गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"माँ पर लिखी गई एक बेहतरीन ग़ज़ल | बधाई स्वीकारें लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर  जी | "
May 15, 2021
C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" commented on C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi"'s blog post दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी,सुन्दर टिप्पणी के लिए आपका हार्दिक आभार | इसी तरह प्रेम बनाए रखिएगा | "
May 9, 2021
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi"'s blog post दोहे
"आ. आकांशी जी, सुन्दर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई ।"
May 8, 2021
C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" commented on डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव's blog post सबसे बड़े डॉक्टर (लघुकथा): डॉ. गोपाल नारायन श्रीवास्तव
"आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी, आपकी सार्थक लघुकथा पढ़कर बहुत ख़ुशी हुई | वर्तमान में इस प्रकार के लेखन की जरूरत है ताकि लोगों का गिरा हुआ मनोबल उठाया जा सके | - शून्य आकांक्षी "
May 7, 2021
C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" and Pratibha Pandey are now friends
May 7, 2021
C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" posted a blog post

दोहे

देना दाता वर यही, ऐसी हो पहचान | हिन्दू मुस्लिम सिक्ख सब, बोलें यह इंसान ||. कभी धूप कुहरा घना, कभी दुखी मुस्कान | खेल खेलती जिंदगी, कभी मान अपमान ||. कोस रहा क्यों भाग्य को, बहा रहा क्यों नीर | 'शून्य' मार्ग श्रम का पकड़, बदलेगी तक़दीर ||.घन छाए साहित्य पर, कलम सहे अपमान । लेन-देन से हो रहा, कवि, शायर, सम्मान ॥.हो उमंग नूतन चले, कलम इस तरह यार । फूले छंदों का सकल, सनातनी परिवार ॥. - शून्य आकांक्षी  . ( मौलिक एवं अप्रकाशित )See More
May 7, 2021
C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" replied to डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव's discussion आयास चाहती है दोहे की सिद्धि    :: डॉ. गोपाल नारायन श्रीवास्तव in the group भारतीय छंद विधान
"वाह वाह श्रीवास्तव जी | आपने बहुत सुन्दर व्याख्या की है खास तौर से तीसरे त्रिकल को बहुत सरलता से समझाया है | प्रायः दोहाकारों से यहाँ ही गलती होती है | आपको बधाई और धन्यवाद भी |  - शून्य आकांक्षी "
Jun 2, 2020
नाथ सोनांचली commented on C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi"'s blog post सरस्वती वंदना
"आद0 शून्य आकांक्षी जी सादर अभिवादन।  कुछ बातों पर गौर कीजिए। मगर को म+गर या मग+र में किस तरह पढ़ते हैं।  इस पर गौर कीजिए। जब आप पढ़ेगी तो देखेगी की मगर को म+गर अर्थात इसकी मापनी 12 हुई। इसी तरह आपको अभी अभ्यास करना है। लेखन के लिए बधाई…"
Nov 28, 2019
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi"'s blog post सरस्वती वंदना
"आ. शून्य आकांक्षी जी,रचना का प्रयास अच्छा है। हार्दिक बधार्ई स्वीकार करें । साथ ही भाई समर जी की बात पर पुनः विचार करें। मगर की मापनी १२ है इसे 'किन्तु' करके ठीक किया जा सकता है। भटकना' भी 122 है इसे प्रतिस्थापित करने का प्रयास…"
Nov 27, 2019

Profile Information

Gender
Male
City State
Kota, Rajasthan
Native Place
Mathura
Profession
Retired from Indian Railways
About me
Reading & Writing Literature.

C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi"'s Blog

मुक्तक

(1222 1222 1222 1222  - हजज मुसम्मन सालिम)

न देखा है कभी उनको हुई पर प्रीत क्या कहने.

न जाना ही न पहचाना बने मनमीत क्या कहने. 

कहें सब जाल दुनिया यह सभी सुर ताल आभासी,

लिखे ऋतु गीत उपवन के बजे संगीत क्या कहने.

- शून्य…

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Posted on June 11, 2022 at 7:00pm

दोहे

देना दाता वर यही, ऐसी हो पहचान | 
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख सब, बोलें यह इंसान ||
कभी धूप कुहरा घना, कभी दुखी मुस्कान | 
खेल खेलती जिंदगी, कभी मान अपमान ||…
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Posted on May 6, 2021 at 4:00pm — 4 Comments

सरस्वती वंदना

(2122 2122 2122 212 )
.
वाग्देवी माँ हमें अपनी शरण में लीजिए | 
ज्ञान के जलने लगें माता हृदय में अब दिए ||  
 …
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Posted on November 19, 2019 at 11:00pm — 4 Comments

मुक्तक

ललालाला ललालाला ललालाला ललालाला

.

न मंदिर में मिले ईश्वर,  गुफाओं में न जाने से .

न भूखे  पेट रहने से, न गंगा ही नहाने से .

उसे पाना अगर सच में, हृदय में झाँक कर देखो ,

मिले रैदास, मीरा - प्रेम की बगिया खिलाने से .

.

कभी है धूप जीवन में, कभी मिलते यहाँ साए.

सहारे को नहीं ढूँढ़ो, मिले या फिर न मिल पाए. 

गिराती शाख कैसे फल, धरा पर सीख लो…

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Posted on August 3, 2019 at 2:00pm — 2 Comments

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At 12:35am on August 7, 2019, dandpani nahak said…
आदरणीय शुन्य आकांक्षी जी प्रणाम एवम् बहुत बहुत धन्यवाद् ! आभारी हूँ आपका
At 3:49pm on March 14, 2014, Omprakash Kshatriya said…

शून्य आकांक्षी जी जोरदार दोहों के लिए मेरी बधाई स्वीकार करे 

 
 
 

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