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Chetan Prakash
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  • अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी
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Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-166
"गांव शहर और ज़िन्दगीः दोहे धीमे-धीमे चल रही, ज़िन्दगी अभी गांव। सुबह रही थी खेत में, शाम चली है ठांव।। (1) सुस्ताई थी दोपहर, ठंडी - ठंडी छांव । तन्द्रा में भी ढल रही, हौले-हौले पांव ।। (2) धूप नरम जब हो गयी, काम   हुआ   पुरजोर…"
8 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170
"आदाब,  भाई अबरार अहमद 'असर' छोटी मगर ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई,  मुबारकबाद आपको!"
Aug 29
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170
"नमन भाई अजय गुप्ता अजेय,  कुल मिलाकर ख़ूब ग़ज़ल हुई।  आ.भाई  Euphonic Amit जी का विमर्श से ग़ज़ल बेहतर हो गई है।"
Aug 29
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170
"नमस्कार,  दयाराम मेठानी,  बधाई,  आपको ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई,  आ.अमित जी के सुझाव बहुमूल्य हैं।"
Aug 29
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170
"आ. भाई Euphonic Amit जी, आपने पुनश्च कृपा की आपका अतिशय आभारी हूँ ! सादर !"
Aug 29
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170
"आदाब,  भाई लक्ष्मण सिंह धामी 'मुसाफिर' ! मुझे लगता है, आपने रामचरितमानस का अध्ययन नहीं किया। मेरा आग्रह रहेगा कि आप समय निकाल कर रामचरितमानस ज़रूर देखें। // और फिर घर का भेदी....मुहावरा क्यों बना इसे भी याद कीजिए // आ.मुहावरे भाषा का…"
Aug 29
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170
"आदरणीय भाई अमित Euphonic Amit जी, नमस्कार! आप का बहुत बहुत शुक्रगुज़ार हूँ जो आपने परिस्थितिगत जल्द बाजी में लिखी गयी मेरी प्रस्तुति कोको अपना अमूल्य समय दिया। आ. आपकी समीक्षा के संदर्भ में कृपया मेरे जवाब पर एक बार फिर प्रतिक्रिया दें। // आज़ाद…"
Aug 29
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170
"आ.भाई ज़फ़र बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है, बधाई आपको ! गिरह भी बेहतर लगी है! // मैंने कहा ग़म से मेरे दिल से  चला जा तू झुँझला के मुआ कहने लगा जा नहीं जाता // खास पसंद आया !"
Aug 28
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170
"आदाब,  भाई कुमार विश्वकर्मा जी,आपका अमित प्रयास सराहनीय रहा, किन्तु आ. अमित जी सुझाव पर ज़रूर ध्यान दे, आपका ग़ज़ल का प्रयास निखर उठेगा,  ऐसा मुझे स्पष्ट लगा। सादर "
Aug 28
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170
"आदाब,  सलिक गणवीर साहब,  आपने तरहीतरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही, बधाई  ! आ.अमित जीजी सुझाव अनुकरणीय जान  पड़े। सादर  !"
Aug 28
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170
"आदाब, आ. रिचा जी, तरही मिसरे पर बहुत अच्छा प्रयास हुआ। बधाई स्वीकार करे। वैसे आ. अमित भाई की प्रतिक्रिया मुझे सार्थक दिखाई पड़ी । तद्नुसार सुधारके बाज आपकी प्रस्तुति बेहतर हो जाएगी ! सादर"
Aug 28
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170
"जी, आदरणीय, आपका हुक़्म सर माथे। मैंमे आपके अवलोकनार्थ दूसरी अप्रकाशित ग़ज़ल प्रस्तुति पहले ही मंच के आयोजन पटल पर पोस्ट कर दी है। सादर !"
Aug 28
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170
"आदरणीयभाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' , क्षमा करें, आपके मतले का मिथकीय प्रयोग सही नहीं है। कारण स्पष्ट है , विभीषण के द्वारा सुझाई युक्ति से रावण का अन्त हो सका। वैसे भी विभीषण राम भक्त हैं, सत्य के साथ हैं, अकेले रावण रूपी मगरमच्छ से लंका…"
Aug 28
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170
"आदाब,  भाई संजय शुक्ल तल्ख़ साहब अच्छी ग़ज़ल हुई है, तरही मिसरे पर,  बधाई आपक श्री!"
Aug 28
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170
"आ.भाई अमित यूफोनिक जी, ख़ूबसूरत ग़ज़ल से आपने मुशायरे का आग़ाज किया, अत: आप  विशेष रूप से  बधाई के पात्र हैं।"
Aug 28
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-170
"221 1221 1221 122 आज़ाद कोई शख़्स तो रोका नहीं जाता हक़ तो किसी उस्ताद का मारा नहीं जाता है खेल का उस्ताद वो जीता नहीं जाता मेहनत से है सरदार तो ज़ाया नहीं जाता जन्नत में मिलेगी उसे हूरों की क़ुर्बत विश्वास उसे है मगर जाया नहीं जाता हालात की…"
Aug 28

Profile Information

Gender
Male
City State
Baraut
Native Place
Hapur
Profession
Teaching
About me
I'm a poet rather born than made or trained since my childhood

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ग़ज़ल

2122 1122 1122 22 / 112

अंधा आँखों का है हर शख़्स बता देगा तुम्हें

ख़ार खाया है ये जन्मों का दग़ा देगा तुम्हें

गुरु वो घंटाल ज़माने कभी सय्याद रहा

काट कर पर वो रखेगा जो सज़ा देगा तुम्हें

झाँसे में उसके न आया करो जानाँ कभी तुम

रहती दुनिया का दरिन्दा वो क़जा देगा तुम्हें

है नशा उसको सदारत का कई बज़्म सुना

ना तुम्हारा न वो मेरा ही जता देगा तुम्हें

है वो ख़ुदगर्ज़ निहायत कहीं हद से ज़ियादा

ख़ुद…

Continue

Posted on December 20, 2023 at 6:00pm — 2 Comments

एक ताज़ा ग़ज़ल

2122 1122 1122 22

ख़्वाब से जाग उठे शाह सदा दी जाए

पकड़े जायें अभी क़ातिल वो सज़ा दी जाए

बख़्श दी जाए कहीं जान ख़वातीनों की

अब तो ज़ालिम को कड़ी कोई सज़ा दी जाए

घूमते हैं वो दरिन्दे भी नकाबों में अब तो

जितना जल्दी हो उन्हें मौत बजा दी जाए

लोग अच्छे ही परेशान हैं वहशी दरिन्दों

इन्तिहाँ हो गयी अब लौ वो बुझा दी जाए

ज़ात इन्साँ की पशेमाँ है ज़रायम से 'चेतन'

तूफाँ कोई तो उठा कर…

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Posted on November 27, 2023 at 12:57pm — 2 Comments

एक ताज़ा गज़ल

2121 2122 2121 212

खो गया सुकून दिल का कार हो गया जहाँ

गुम गया सनम भँवर में ख़ार हो गया जहाँ

कामयाबी तौलती दुनिया भरोसे जऱ ज़मी

फार्म जिनके हैं नहीं गुड़मार हो गया जहाँ

ज़िन्दगी जिसे कहा हमने कहीं छुपा गया

है निशान अपने ज़ालिम पार हो गया जहाँ

कार-ए-दुनिया और कुछ हैं और कुछ दिखें ख़ुदा

मारकाट हाल कारोबार हो गया जहाँ

तोड़ हद रहे सभी अब तो अदब जहान में

लाज लुट रही घरों मुरदार हो गया…

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Posted on November 8, 2023 at 8:30pm

एक और ग़जल ः

2121 2122 2122 212



ढूढ़ ले हबीब कोई ज़िन्दगी तो हो सके

साथ हो नसीब कोई ज़िन्दगी तो हो सके



छोड़ देता रोना-धोना मस्त जीता ज़िन्दगी

दोस्त हो करीब कोई ज़िन्दगी तो हो सके



मरता जीता मुश्किलों तू आदमी है बदगुमाँ

साध ले सलीब कोई ज़िन्दगी तो हो सके



ज़ीस्त बोझ बन गई हर शख़्स वो है झींकता

जाम हो अजीब कोई जिन्दगी तो हो सके



खो चुका ख़ुलूस आदम हो गया बे होश है

दोस्त हो ग़रीब कोई ज़िन्दगी तो हो सके



उम्र सारी वो गँवा दी… Continue

Posted on September 24, 2023 at 9:46am — 1 Comment

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At 6:35am on July 22, 2021, रणवीर सिंह 'अनुपम' said…
आदरणीय, चेतन जी, "दोहे : कैसे- कैसे  लोग" शीर्षक के तहत लिखे गए दोहे बहुत सुंदर हैं और बहुत अच्छे लगे।

निम्न चरण विधान में न होने से इनमें लय भंग है। जिसे दूर करने की जरूरत है।

जन्म-भूमि स्वर्ग सम हो
(कारण-नवीं मात्रा पर शब्द पूरा हो रहा है जो नहीं होना चाहिए)

कृतघ्न पक्के लोग
(कारण-आरंभ में जगण "कृतघ्न"आ रहा है, जो नहीं होना चाहिए)

कर रहे बस भोग
(कारण-एक मात्राभार कम है, साथ ही पाँचवीं मात्रा पर शब्द पूरा हो रहा है जो नहीं होना चाहिए)

न हों कभी बदनाम
(कारण-पहली मात्रा पर शब्द पूरा हो रहा है जो नहीं होना चाहिए)

विद्या  हमें  सिखाती है,
(कारण-13 मात्राओं की जगह 14 मात्राएँ हैं, जो नहीं होनी चाहिए)

कर अन्याय प्रतिकार
(कारण-11 की जगह 12 मात्राएँ हैं जो नहीं होनी चाहिए)
At 11:46pm on November 22, 2020, DR ARUN KUMAR SHASTRI said…

भाई चेतन जी
नमन -
इस्लाह का
सलीका आ जायेगा
मैंने आज तलक
मुकम्मल तो कोई देखा नहीं
गलतियां निकालोगे-
तो सीखूंगा ही ।।
मैं तो अधूरा था
अधूरा रहा
और हूँ अब तलक
आज आया हूँ आपकी बज्म में
कुछ सिखा दोगे -
तो सीखूंगा भी ।।

At 11:59am on June 27, 2020, Samar kabeer said…

जनाब चेतन प्रकाश जी,ये टिप्पणी आप मुशाइर: में दें,तो मुझे जवाब देने में आसानी होगी ।

 
 
 

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