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Chetan Prakash
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Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदाब, अमित जी, आप आदतन जिस तरह शेर दर शेर समीक्षा करते है, उसी तरह तबसिरा करें, कृपया !"
Wednesday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"देखा जो ध्यान से उसे वो भा गई मुझे चलना था साथ- साथ ही जतला गई मुझे थी ख़ानदानी जन्म से समझा गई मुझे आसान था निभाना भी बतला गई मुझे मौसम था ख़ुशगवार वो फूलों पे तितलियाँ कलियों पे बैठे भँवरे नदी लहरा गई मुझे रहबर नहीं वो देश के जो बिकते थोक में…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Chetan Prakash's blog post एक और ग़जल ः
"वाह आदरणीय जी बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई सर"
Sep 24
Chetan Prakash posted a blog post

एक और ग़जल ः

2121 2122 2122 212ढूढ़ ले हबीब कोई ज़िन्दगी तो हो सकेसाथ हो नसीब कोई ज़िन्दगी तो हो सकेछोड़ देता रोना-धोना मस्त जीता ज़िन्दगीदोस्त हो करीब कोई ज़िन्दगी तो हो सकेमरता जीता मुश्किलों तू आदमी है बदगुमाँसाध ले सलीब कोई ज़िन्दगी तो हो सकेज़ीस्त बोझ बन गई हर शख़्स वो है झींकताजाम हो अजीब कोई जिन्दगी तो हो सकेखो चुका ख़ुलूस आदम हो गया बे होश हैदोस्त हो ग़रीब कोई ज़िन्दगी तो हो सकेउम्र सारी वो गँवा दी द़ुश्मनी जीते हुएबख़्श दे रकीब कोई ज़िन्दगी तो हो सकेप्रोफ चेतन प्रकाश चेतनमौलिक व अप्रकाशितSee More
Sep 24
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 149 in the group चित्र से काव्य तक
"कुण्डलिया छंदः आई घड़ी.. चुनाव की, जनता आती याद । कमियाँ जो शासन रहीं, पूरी हों फरियाद ।। पूरी हों... फरियाद, खेलते रहो... युवाओ । बिना छाछ औ दूध, रोटी रहित घी खाओ ।। खूब करो तुम होड़, पानी पियो.... जा राई । भूख बढ़ेगी..... पेट., घड़ी भारत की आई…"
Sep 24
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 149 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहा छंद करने वाले रो रहे, मुश्किल बढ़ीं हजार । नाकारा वो मस्त है, बैठे मौज.. बहार ।। बाँट रहे..राजस्व.... हैं, लाभार्थी....... परिवार । करदाता ही पिस रहा, कठिन हुआ व्यवहार ।। रीढ़ रहा जो देश की, मध्यम वो परिवार । महँगाई.. वो झेलता, ढोता है..…"
Sep 23
Sushil Sarna commented on Chetan Prakash's blog post एक ताज़ा गज़ल
"वाह आदरणीय जी बहुत ही खूबसूरत सृजन हुआ है, शेर दर शेर मुबारक कबूल करें सर"
Sep 22
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Chetan Prakash's blog post सावन गीत....कजरी
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर कजरी हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sep 21
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-155
"आ. दयाराम मेठानी जी, आपने कुण्डलिया छंद की प्रशंसा की, आपका अशेष आभार, बंधु !"
Sep 18
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-155
"आ. अजय गुप्त अजेय जी विषय के अन्तर्गत सुन्दर रचना हुई, हार्दिक बधाई !"
Sep 18
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-155
"आ. दयाराम मेठानी जी, अच्छी ग़जल हुई !"
Sep 18
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-155
"आ. कल्पना भट्ट रौनक जी गीत आपको अच्छा लगा, इस हेतु आपको अगणित धन्यवाद, सु श्री"
Sep 18
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-155
"आ. अजय गुप्ता अजेय जी गीत की संस्तुति हेतु आपका अशेष आभार !"
Sep 18
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-155
"आदरणीया, क्षमा करें, अभी आपको हाइकु लेखन का अभ्यास नहीं है । हाइकु एक वर्ण आधारित सूक्ष्म कविता है । इसमे मात्र तीन पंक्तियाँ--पाँच, सात और, अंत में फिर पाँच वर्ण में विषय को सार संक्षेप व्यक्त करती हैं, , अधूरे वर्ण की गणना नहीं होती । दोहराव यहाँ…"
Sep 18
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-155
"कुण्डलिया छंद मेरा ..जीवन कब रहा, सुकून भरी खदान । एक जख्म मैं ने सिला, दूसरा खुला स्नान ।। दूसरा ..खुला.. स्नान, नादान... रही ..जवानी । मिले मुझे आघात, सफल कब रही कहानी ।। रही जो दिल कचोट, घायल हुए हैं तन-मन । घर बैठा रणछोड़, बहादुर.. मेरा... जीवन…"
Sep 17
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-155
"मेरा जीवन....गीत जिसको हम-तुम कहते मेरा जीवन मात-पिता का ऋण इस पर पहला है आँख हमारी गुरु खोलता जग सखा यही वजह सुन गुरु है, हार नौलखा प्रथम पूज्य गुरु है मेरे जीवन में, पिता स्वरूप मगर वह रहा बाल सखा ढाला मिट्टी के लोंदे को मूरत जो हर हालत नहले…"
Sep 16

Profile Information

Gender
Male
City State
Baraut
Native Place
Hapur
Profession
Teaching
About me
I'm a poet rather born than made or trained since my childhood

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एक और ग़जल ः

2121 2122 2122 212



ढूढ़ ले हबीब कोई ज़िन्दगी तो हो सके

साथ हो नसीब कोई ज़िन्दगी तो हो सके



छोड़ देता रोना-धोना मस्त जीता ज़िन्दगी

दोस्त हो करीब कोई ज़िन्दगी तो हो सके



मरता जीता मुश्किलों तू आदमी है बदगुमाँ

साध ले सलीब कोई ज़िन्दगी तो हो सके



ज़ीस्त बोझ बन गई हर शख़्स वो है झींकता

जाम हो अजीब कोई जिन्दगी तो हो सके



खो चुका ख़ुलूस आदम हो गया बे होश है

दोस्त हो ग़रीब कोई ज़िन्दगी तो हो सके



उम्र सारी वो गँवा दी… Continue

Posted on September 24, 2023 at 9:46am — 1 Comment

एक ताज़ा गज़ल

1222    1222    1222    1222

सुहाना सुब्ह मौसम है तुम्हें अब ग़म नहीं होता

खिली है धूप गुलशन में सवेरा कम नहीं होता

वो काली रात है तारी अँधेरा कम नहीं होता

ये कैसा वक़्त आया है सनम हमदम नहीं होता

परायापन बना हासिल कि रिश्तों दम नहीं होता

न प्यारा कोई है दुनिया कभी दुख कम नहीं होता

तुम्हारी आँख का पानी अभी क्यों सूखता जानाँ

हमे तो शर्म आती हैं पशेमाँ दम नहीं होता

तुम्हारे शह्र के हालात वो…

Continue

Posted on September 15, 2023 at 8:22am — 2 Comments

ग़ज़ल

ग़ज़ल

1212 2121 1212 122

चला जाऊँगा जहाँ से तुम्हें सँवार कर के

तुम्हारी इन ख़ामियों को कहीं निखार कर के

नवाज़ा मुझको ख़ुदा ने वो अज़्म धार कर के

बुलंदी बख़्शी है उस ने ग़ज़ल बहार कर के

बड़े बड़ो को दिखाया है आइना ख़ुदा ने

निकाल दी हैंकड़ी भी उन्हें सुधार कर के

वो चोर मौसेरे भाई हैं बागबाँ चहेते

उन्हें गिरा दो निगाह से दोस्त ख़ार कर के

बहार सावन की आयी कली- कली खिली है

कि हो…

Continue

Posted on August 28, 2023 at 2:30pm

ताज़ा ग़ज़लः

221    2121    1221   212

अच्छा हो तुम पढ़ो ये ग़ज़ल दोस्त ध्यान से

मैंने कहा है इसको बड़े मान - कान से

हम राह में बढेंगे तो मंज़िल मिलेगी ही

मक़सद भी होगा पूरा जियें आन - बान से

हर शख़्स बदहवास अभी भागता शहर

हलकान ज़िन्दगी में है वो खान - पान से

अवसाद इस सदी की समस्या जनाब है

तनहाई मारती रही इनसान जान से

अनजान है ज़माना अभी शोध चाँद पर

आग़ाज भारती हुआ इस बार शान से

आदम…

Continue

Posted on August 24, 2023 at 9:18am

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At 6:35am on July 22, 2021, रणवीर सिंह 'अनुपम' said…
आदरणीय, चेतन जी, "दोहे : कैसे- कैसे  लोग" शीर्षक के तहत लिखे गए दोहे बहुत सुंदर हैं और बहुत अच्छे लगे।

निम्न चरण विधान में न होने से इनमें लय भंग है। जिसे दूर करने की जरूरत है।

जन्म-भूमि स्वर्ग सम हो
(कारण-नवीं मात्रा पर शब्द पूरा हो रहा है जो नहीं होना चाहिए)

कृतघ्न पक्के लोग
(कारण-आरंभ में जगण "कृतघ्न"आ रहा है, जो नहीं होना चाहिए)

कर रहे बस भोग
(कारण-एक मात्राभार कम है, साथ ही पाँचवीं मात्रा पर शब्द पूरा हो रहा है जो नहीं होना चाहिए)

न हों कभी बदनाम
(कारण-पहली मात्रा पर शब्द पूरा हो रहा है जो नहीं होना चाहिए)

विद्या  हमें  सिखाती है,
(कारण-13 मात्राओं की जगह 14 मात्राएँ हैं, जो नहीं होनी चाहिए)

कर अन्याय प्रतिकार
(कारण-11 की जगह 12 मात्राएँ हैं जो नहीं होनी चाहिए)
At 11:46pm on November 22, 2020, DR ARUN KUMAR SHASTRI said…

भाई चेतन जी
नमन -
इस्लाह का
सलीका आ जायेगा
मैंने आज तलक
मुकम्मल तो कोई देखा नहीं
गलतियां निकालोगे-
तो सीखूंगा ही ।।
मैं तो अधूरा था
अधूरा रहा
और हूँ अब तलक
आज आया हूँ आपकी बज्म में
कुछ सिखा दोगे -
तो सीखूंगा भी ।।

At 11:59am on June 27, 2020, Samar kabeer said…

जनाब चेतन प्रकाश जी,ये टिप्पणी आप मुशाइर: में दें,तो मुझे जवाब देने में आसानी होगी ।

 
 
 

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"आ. भाई आशीष जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति व स्नेह के लिए आभार।"
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