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गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत '
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गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' commented on गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ''s blog post आपका इन्तिख़ाब कर डाला(136)
"लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर साहेब , आपकी हौसला आफ़जाई के लिए दिल से शुक्रगुज़ार हूँ |"
Dec 1, 2022
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' commented on गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ''s blog post अगर हक़ीक़त में प्यार था तो सनम हमारे मज़ार जाएँ (137)
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"आ. भाई गिरधारी सिंह जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Dec 1, 2022
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"आ. भाई गिरधारी सिंह जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
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"Zaif saheb बहुत बहुत शुक्रिया |"
Nov 30, 2022
Zaif commented on गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ''s blog post आपका इन्तिख़ाब कर डाला(136)
"बहुत ख़ूब ग़ज़ल, सर जी। सादर।"
Nov 30, 2022
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"आदरणीय , समर कबीर साहेब , आपकी हौसला आफ़जाई के लिए दिल से शुक्रगुज़ार हूँ |"
Nov 27, 2022
Samar kabeer commented on गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ''s blog post अगर हक़ीक़त में प्यार था तो सनम हमारे मज़ार जाएँ (137)
"जनाब गिरधारी सिंह गहलोत जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें I  'यही है अच्छा कि भूलकर सब हयात में नौ क़दम बढ़ाएँ' --- इस मिसरे में 'नौ क़दम' की तरकीब पर ग़ौर करें I  ''तुरंत' अब तक की नज़्म…"
Nov 27, 2022
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' commented on गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ''s blog post आपका इन्तिख़ाब कर डाला(136)
"राखी जैन जी , आपकी आनंदित करने वाली सराहना से मन तृप्त हुआ | सृजन सार्थक हुआ | सादर आभार।"
Nov 24, 2022
Rakhee jain commented on गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ''s blog post आपका इन्तिख़ाब कर डाला(136)
"बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल आदरणीय"
Nov 24, 2022
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' posted a blog post

अगर हक़ीक़त में प्यार था तो सनम हमारे मज़ार जाएँ (137)

एक परम्परागत ग़ज़ल ( 121 22 *4 )अगर हक़ीक़त में प्यार था तो सनम हमारे मज़ार जाएँकि आरज़ू है अक़ीदतों का वो सबसे पहले दिया जलाएँ**अगर अभी तक है याद बाक़ी तो इल्तज़ा है करें इनायतहिना लगाकर वो दस्त-ओ-पा पर हमारा रोज़-ए-फ़ना मनाएँ**हमारी ख़ातिर दुआ न मांगें कि जन्नतें हों हमें भी हासिलवतन में अम्न-ओ-सुकूँ की ख़ातिर वो अपने दस्त-ए-दुआ उठाएँ**फ़ना हुए हम रक़ीब से अब अदु-गरी और दोस्ती क्याउन्हें दिया हक़ रक़ीब से वो ख़ुशी से अब सिलसिले बढ़ाएँ**निचोड़ कर दिल का ख़ून हमदम लिखे थे सारे ख़तूत हमनेज़रा सी कीजे सनम इनायत न ख़त…See More
Nov 24, 2022
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' commented on गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ''s blog post आपका इन्तिख़ाब कर डाला(136)
"आदरणीय समर कबीर साहेब , ग़ज़ल पर आपकी नज़रसानी और आपकी हौसला बढ़ाती राय के लिए बहुत बहुत आभार | अवश्य इन पर ग़ौर करूँगा |"
Nov 24, 2022
Samar kabeer commented on गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ''s blog post आपका इन्तिख़ाब कर डाला(136)
"जनाब गिरधारी सिंह गहलोत जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें । 'छा गई हुस्न की अदा हम पर मौज़िजा लाजवाब कर डाला' इस शे'र में 'मौजिज़:' शब्द उचित नहीं,इस पर विचार करें । 'दिल मगर इज़्तिराब कर डाला' इस…"
Nov 24, 2022
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' posted a blog post

आपका इन्तिख़ाब कर डाला(136)

ग़ज़ल(2122 1212 22 /112 )आपका इन्तिख़ाब कर डालाहमने कार-ए-सवाब कर डाला**बर्क़-ए-हुस्न-ओ-शबाब चमकी जबआपको बे-हिज़ाब कर डाला**पी मय-ए-चश्म ख़ूब जी भर केख़ुद को मस्त-ए-शराब कर डाला**छा गई हुस्न की अदा हम परमौज़िजा लाजवाब कर डाला**लुत्फ़-ए-उल्फ़त मिला है खूब सनमदिल मगर इज़्तिराब कर डाला**आपका अक़्स बन गए, ख़ुद कोइश्क़ में कामयाब कर डाला**क़ुर्बतें दे कभी फ़िराक़ कभीक्या करम बे-हिसाब कर डाला**ठहरे ठहरे से मेरे जीवन मेंक्या गज़ब इंक़लाब कर डाला**आपको पा के हर अधूरा 'तुरंत 'हमने कामिल है ख़्वाब कर डाला**गिरधारी सिंह…See More
Nov 19, 2022
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ''s blog post जो नहीं है यार तू पास में तो न रंग-ए-फ़स्ल-ए-बहार हैं (135 )
"एक और बेहद खूबसूरत ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय..."
Jul 4, 2021
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ''s blog post मुहब्बत की हमारी आख़री मंज़िल तुम्हीं तो थे (134 )
"वाह क्या ग़ज़ल कही है आदरणीय गहलोत जी...वाकई बहुत ही प्यारी...हार्दिक बधाई"
Jul 4, 2021

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अगर हक़ीक़त में प्यार था तो सनम हमारे मज़ार जाएँ (137)

एक परम्परागत ग़ज़ल ( 121 22 *4 )
अगर हक़ीक़त में प्यार था तो सनम हमारे मज़ार जाएँ
कि आरज़ू है अक़ीदतों का वो सबसे पहले दिया जलाएँ
**
अगर अभी तक है याद बाक़ी तो इल्तज़ा है करें इनायत
हिना लगाकर वो दस्त-ओ-पा पर हमारा रोज़-ए-फ़ना मनाएँ
**
हमारी ख़ातिर दुआ न मांगें कि जन्नतें हों हमें भी हासिल
वतन में अम्न-ओ-सुकूँ की…
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Posted on November 24, 2022 at 6:30pm — 4 Comments

आपका इन्तिख़ाब कर डाला(136)

ग़ज़ल(2122 1212 22 /112 )
आपका इन्तिख़ाब कर डाला
हमने कार-ए-सवाब कर डाला
**
बर्क़-ए-हुस्न-ओ-शबाब चमकी जब
आपको बे-हिज़ाब कर डाला
**
पी मय-ए-चश्म ख़ूब जी भर के
ख़ुद को मस्त-ए-शराब कर डाला
**
छा गई हुस्न की अदा हम पर
मौज़िजा लाजवाब कर डाला…
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Posted on November 19, 2022 at 7:00pm — 8 Comments

जो नहीं है यार तू पास में तो न रंग-ए-फ़स्ल-ए-बहार हैं (135 )

ग़ज़ल( 11212 11212 11212 11212 )
जो नहीं है यार तू पास में तो न रंग-ए-फ़स्ल-ए-बहार हैं
न है बर्ग-ए-गुल न शमीम-ए-गुल मेरी ज़ीस्त में बचे ख़ार हैं
**
तेरे हिज्र से जो मिले हैं ग़म वही दौलतें हैं मेरी सनम
मेरी फ़िक्र का है सबब तो बस ये बढे हुए ग़म-ए-यार हैं
**
मेरे वास्ते है तू नाज़नीं बड़ी दिलनशीं लगे महज़बीं
अरे…
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Posted on June 22, 2021 at 11:30pm — 3 Comments

मुहब्बत की हमारी आख़री मंज़िल तुम्हीं तो थे (134 )

ग़ज़ल ( 1222 1222 1222 1222 )
मुहब्बत की हमारी आख़री मंज़िल तुम्हीं तो थे
सफ़र भी तुम मुसाफ़िर तुम मक़ाम-ए-दिल तुम्हीं तो थे
**
अकेलेपन के साथी हो अभी तक याद में ढलकर
मुसीबत में ख़ुशी में बारहा शामिल तुम्हीं तो थे
**
हथेली की लकीरों को नुज़ूमी को दिखाते क्या
तुम्हीं कल थे हमारा और मुस्तक़्बिल तुम्हीं तो…
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Posted on June 17, 2021 at 8:30pm — 5 Comments

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