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2122, 1122, 1122, 22/112
सुर्ख़रू शोख़ बहारों सा चहक जाओगे
इश्क़ के बाग़ में आओ तो गमक जाओगे
गर इरादे हुए हैं बर्फ़ से ख़ामोश तो क्या
गर्मी-ए-इश्क़ में आ जाओ दहक जाओगे
इश्क़ की ताब का अंदाज़ा भला है तुमको
इसकी ज़द में ही फ़क़त आओ लहक जाओगे
रौनक-ए-इश्क़ की ताक़त को न ललकारो तुम
ख़ूब ज़ाहिद हो मगर तुम भी बहक जाओगे
इश्क़ ख़ुश्बू है इसे बांधने की ज़िद न करो
इसमें घुल जाओ तो दुनिया में महक जाओगे
इश्क़ के रंग व…
ContinuePosted on January 23, 2019 at 5:30pm — 6 Comments
122 122 122 122
ग़ज़ल
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है दुनिया में कितनी रवानी न पूछो
महकती है कितनी कहानी न पूछो
इसे चाँद के पार जाना था मिलने
कहाँ रह गई ज़िंदगानी न पूछो
रहा दर बदर आशिक़ी का मैं मारा
गई बीत कैसे जवानी न पूछो
तेरे इश्क़ में मैंने गोता लगाया
मिली मुझको क्या क्या निशानी न पूछो
मुहब्बत की रस्में निभाते निभाते
रहा चश्म में कितना पानी न पूछो
कभी ग़म के बादल कभी सर्द आहें
पड़ीं कितनी बातें भुलानी न…
Posted on January 19, 2019 at 4:07pm — 8 Comments
1212,1122, 1212, 22/112
यही सवाल मेरे ज़ेह्न में उभरता है
वो ज़िंदगी के लिए कैसे रोज़ मरता है//१
चली है सर्द हवा पूस के महीने में
किसान खेत में रातों को आह भरता है//२
वो धीरे धीरे मेरे दिल मे यूँ उतर आया
कि जैसे चाँद किसी झील में उतरता है//३
अक़ीदा जोड़ के देखो किसी की उल्फ़त से
जहान सारा नई शक्ल में निखरता है//४
नया ज़माना है फ़ैशन का दौर है यारों
चमन में भौंर भी तितली सा अब सँवरता…
Posted on January 5, 2019 at 1:00pm — 2 Comments
2122 1212 22
ग़ज़ल
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जाम आंखों से अब पिला साक़ी
होश मेरे तू अब उड़ा साक़ी//१
ज़िन्दगी भर रहा हूँ मैं काफ़िर
अपना कलमा तू अब पढ़ा साक़ी//२
इल्म के बोझ से परेशां हूँ
इल्म सारे मेरे भुला साक़ी//३
रंग मेरा उतर गया अब तो
रंग अपना तू अब चढ़ा साक़ी//४
बेख़ुदी ज़ीस्त में समा जाए
जाम ऐसा कोई पिला साक़ी//५
ख़्वाब आएं तो सिर्फ तेरे हों
ख़्वाब से ख़्वाब तू मिला साक़ी//६
हो गया मैं फ़ना…
ContinuePosted on January 4, 2019 at 9:30pm — 6 Comments
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