2122 2122 2122 212
ज़िन्दगी बेशक ज़रा छोटी हो पर ऐसी न हो।
जिसमें अपने पास सुनने वाला भी कोई न हो।
तुम ज़रा कह दो उसे पापा सुबह तक आएंगे,
मेरी बेटी आज फिर जिद में अगर सोई न हो।
फासलों का क्या भरोसा वक़्त की सब बात है,
वो शिकायत मत सुना जो दिल से खुद तेरी न हो।
अब यहाँ से लौट कर जाना तो मुमकिन है नहीं,
वो जगह भी देख ले जो आज तक देखी न हो।
आपके होने से इतना तो भरोसा है मुझे,
एक तो शै है जो…
Posted on March 25, 2023 at 7:08pm
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एक ताज़ा ग़ज़ल प्रस्तुत है मित्रों इसमें यह सुझाव देने की कृपा करें कि यदि तक की जगह भी कर दिया जाए तो कैसा रहेगा
वफ़ा के रास्ते पे कोई रहबर तक नहीं आता
किसी का ज़िक्र क्या वो अपना होकर तक नहीं आता
मैं अपनी जिंदगी उस रास्ते पर छोड़ आया था
जहाँ से अब कोई रास्ता मेरे घर तक नहीं आता
तुम्हारा दुख वहीं चौखट पे लग के रोता रहता है
सौ जमघट देख कर वो दिल के भीतर तक नहीं…
Posted on March 22, 2023 at 11:00pm
1222×4
ज़रा सा और मैं दुनिया के ग़म में चूर हो जाता
हमारे बीच का ये फासला भरपूर हो जाता
मैं जैसे रोज जलता हूँ तेरी यादों की बारिश में
किसी दिन तू भी मुझसे मिलने को मजबूर हो जाता
मैं अपने आप से लड़कर भी अक्सर हार जाता हूँ
ज़माने से अगर लड़ता तो चकनाचूर हो जाता
इसी डर ने मुझे तुझ तक पहुँचने से सदा रोका
मेरे साये से तेरा नाम ही बेनूर हो जाता
तेरी बातें बहुत दिन बाद इक हमदर्द से की तो
मुझे…
Posted on March 17, 2023 at 11:16pm — 5 Comments
2×15
एक ताज़ा ग़ज़ल
टुकड़े टुकड़े में दिन बीता और पहाड़ सी रात कटी।
तेरी उल्फत में जाने जां ज़ीस्त यूँ ही बेबात कटी।
तूने छीन के अँधियारों से मुझको दिया नया जीवन,
तू क्या जाने फिर तेरे बिन कैसे ये सौगात कटी।
इस दुनिया की सबसे पुरानी शर्त है उपयोगी होना ,
उसका मर जाना बेहतर है जिस घोड़े की लात कटी।
चाहत के दो कतरे पीकर जीवन भर सुलगा जीवन,
खुद को लम्हा लम्हा जलाके ये तेरी खैरात कटी।
कैद कर लिया है खुद को बस…
ContinuePosted on January 28, 2023 at 11:25pm — 2 Comments
शुक्रिया मनोज जी |
आपका हार्दिक आभार :)
आभार
आ० मनोज जी
सर्वश्रेष्ठ लेखन कभी भी आसान नहीं होता . आपको इस सम्मान के लिये मेरी और से बधाई . सादर .
आदरणीय मनोज कुमार एहसास जी.
सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी रचना "मेरी बेटी" को "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" सम्मान के रूप मे सम्मानित किया गया है, तथा आप की छाया चित्र को ओ बी ओ मुख्य पृष्ठ पर स्थान दिया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे |
आपको प्रसस्ति पत्र शीघ्र उपलब्ध करा दिया जायेगा, इस निमित कृपया आप अपना पत्राचार का पता व फ़ोन नंबर admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध कराना चाहेंगे | मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई हो |
शुभकामनाओं सहित
आपका
गणेश जी "बागी
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन
आपकी मित्रता का ह्रदय से स्वागत है आदरणीय मनोज जी
सादर!
जिंदगी की कशमकश व्यक्त करती अच्छी गजल। प्रयास अच्छा है
जय श्री राधे
भ्रमर ५
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