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पहन रखा हैं
मैने गले में, एक
गुलाबी चमक युक्त
बडा सा मोती
जिसकी आभा से दमकता हैं
मेरा मुखमंडल
मैं भी घूमती हूँ इतराती हुई
उसके नभमंडल में…
Posted on June 20, 2019 at 10:00am — 5 Comments
खुद को भूली वो जब दिन भर के काम निपटा कर अपने आप को बिस्तर पर धकेलती तो आँखें बंद करते ही उसके अंदर का स्व जाग जाता और पूछता " फिर तुम्हारा क्या". उसका एक ही जवाब "मुझे कुछ नहीं चाहिए. कभी ना कभी तो मेरा भी वक्त आएगा. उसे याद है अपने छोटे से घर की…
ContinuePosted on January 6, 2018 at 6:45pm — 3 Comments
"इतना मान-सम्मान पाने वाली, फिर भी इनकी हथेली खुरदरी और मैली सी क्यों है?"-- हृदय रेखा ने धीरे-धीरे बुदबुदाते हुए दूसरी से पूछा तो हथेली के कान खड़े हो गए।
"बडे साहसी, इनका जीवन उत्साह से भरपूर है,फिर भी देखो ना..." मस्तिष्क रेखा ने फुसफुसा कर ज़बाब दिया।
" देखो ना! मैं भी कितनी ऊर्जा लिए यहाँ हूँ, किंतु हथेली की इस कठोरता और गदंगी से.....!" जीवन रेखा भी कसामसाई।
"अरे! क्यों नाहक क्लेष करती हो तुम तीनों? भाग्य रेखा…
Posted on October 7, 2017 at 4:00pm — 11 Comments
"तुम रातभर बैचेन थी। हो सके तो आज आराम करो। मैंने चाय बनाकर थर्मस में डाल दी हैं। मैं नाश्ता, खाना आफ़िस में ही ली लूँगा, तुम बस अपना बनवा लेना। आफ़िस से छुट्टी ले लो।"
पास तकिए पर रखे कागज को पढा और चूमकर सीने पर रख लिया। आफ़िस में इस एक दिन के अवकाश की लड़ाई लड़ी और जीती भी थी।
चाय का कप लेकर बालकनी में आई तो सहज ही प्लास्टिक की पन्नियाँ बीनती उन लड़कियों पर नजर गयी। उफ्फ, ये लोग क्या करती होंगी इन दिनों? कप हाथ में लिए-लिए ही झट नीचे आयी। उन्हें आवाज लगाकर अपने…
Posted on September 25, 2017 at 9:30pm — 8 Comments
welcome ,Nayana ji in our O B O family .
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