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औरों के जैसा मुकद्दर यार अपना है कहाँ
अपने दिल का जोर उसके दिल प चलता है कहाँ
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रात होती है कहाँ और दिन गुज़रता है कहाँ
मन मुआफ़िक़़ ज़िन्दगी में जीना मरना है कहाँ
3
एक दिन में कुछ नहीं पर एक दिन होगा ज़रूर
आदमी ये सब्र तब तक यार रखता है कहाँ'
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आज तक कोई नहीं यह जान पाया दोस्तो
इस ज़माने को बनाने वाला रहता है कहाँ
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किस तरह भर लूँ उनींदी आँखों में ख़्वाबों के…
ContinuePosted on May 6, 2022 at 10:30am — 8 Comments
2122 2122 2122 212
1
अश्क पीना छोड़ दें हम दिल लगाना छोड़ दें
एक उनकी मुस्कुराहट पर ज़माना छोड़ दें
2
हर किसी के आप दिल में आना जाना छोड़ दें
इश़्क को सौदा समझ क़ीमत लगाना छोड़ दें
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कह दें अपनी चूड़ियों से खनखनाना छोड़ दें
दिल के रिसते ज़ख़्मों पर यूँ सरसराना छोड़ दें
4
लग गए हों ताले ख़ामोशी के जिनके होठों पर
उनसे उम्मीदें सदाओं की लगाना छोड़ दें
5
कब तलक फिरते रहेंगे आप ग़म के सहरा…
ContinuePosted on April 5, 2022 at 9:00pm — 8 Comments
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1
जाने क्यों इश्क़ के पेच ओ ख़म
ज़ेह्न वालों को भाते हैं कम
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उनके सर की उठा कर क़सम
हम महब्बत का भरते हैं दम
3
मुस्कुरातीं हैं सब चूड़ियाँ
जब सँवारें वो ज़ुल्फ़ों के ख़म
4
जब जी चाहे बुला लेते हैं
करके पायल की छम-छम सनम
5
होंगे दिन रात मधुमास से
जब भी पहलू में बैठेंगे हम
6
जाएँ जब उनकी आग़ोश में
रौशनी शम्अ की करना कम
7
एक पल में ही मर…
ContinuePosted on January 2, 2022 at 1:01pm — 6 Comments
1121 2122 1121 2122
इस्लाह के बाद ग़ज़ल
1
है ये इश्क़ की डगर तू ज़रा रख क़दम सँभल के
चला जाएगा वगरना तेरा चैन इस प चल के
2
न…
ContinuePosted on December 12, 2021 at 11:00am — 6 Comments
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