2122 / 1122 / 1122 / 112
धूप से ओस की बूंदों ने गुज़ारिश नहीं की
मरना मंजूर था जीने की सिफ़ारिश नहीं की [1]
एक ही शहर में हम दोनों का है घर फिर भी
हमने इक दूसरे से मिलने की ख़्वाहिश नहीं की [2]
ख़ुदा के सामने हर शख़्स बराबर है तभी
काफ़िरों के घरों पे संग की बारिश नहीं की [3]
इतने खुद्दार थे हम अपने ही मालिक की तरफ
हाथ फैलाए मगर होंटों ने जुम्बिश नहीं की [4]
इक सफ़ीना हुआ यूँ ग़र्क़ के सब डूब गए
भागने के लिए…
Posted on April 8, 2021 at 5:00pm — 3 Comments
बह्र:- 1212 1122 1212 112
दिया जला के उसी सम्त फिर हवा न करे
किया है जो मेरे दुश्मन ने वो सगा न करे [1]
उसे है इल्म बिछड़ने से लोग टूटते हैं
तभी वो मोतियों को डोर से जुदा न करे [2]
बुज़ुर्ग हो गया हूँ ज़िंदगी से इसलिए भी
वो देख भाल करे पर मेरी दवा न करे [3]
नहीं है ख़ौफ़ समंदर में डूबने का मुझे
मगर यूँ क़र्ज़ में मरना पड़े ख़ुदा न करे [4]
मुहाल है ज़मीं से आसमान तक का सफ़र
बुलंदियों पे यूँ जा कर कोई गिरा न…
Posted on March 3, 2021 at 9:23am — 13 Comments
बह्र- 2122 1122 1122 22(112)
ज़हर पी के मैं तेरे हाथ से मर जाऊँगा
और हँसते हुए दुनिया से गुज़र जाऊँगा [1]
जो सिला मुझ को मिला है यहाँ सच बोलने से
अब तो मैं झूट ही बोलूँगा जिधर जाऊँगा [2]
रात को ख़्वाब में आऊँगा फ़रिश्ते की तरह
और आँखों से तेरी सुब्ह उतर जाऊँगा [3]
ख़ून छन छन के निकलता है कलेजे से मेरे
रोग ऐसा है कि कुछ रोज़ में मर जाऊँगा [4]
सामना होने पे पूछेगा तू , पहचाना मुझे?
गर मैं पहचान भी…
Posted on October 15, 2020 at 5:30pm — 12 Comments
बह्र- 1212 / 1122 / 1212 / 22 (112)
अज़ाब-ए-हिज्र में सुख-दुख के गीत गाए भी
हम उनकी याद में रोए भी मुस्कुराए भी [1]
ख़ुदा ने ख़ल्क़ किया है चराग़ जैसा हमें
वही जलाए हमें फिर वही बुझाए भी [2]
अजीब साल ये गुज़रा हमारी जिंदगी में
ख़ुदा करे न दुबारा कभी फिर आए भी [3]
हमारे यार का अंदाज़-ए-इश्क़ सबसे जुदा
कभी हँसाए वो हमको कभी रुलाए भी [4]
गुलाब जैसे लबों से वो हमको चूमता है
निशान प्यार के सीने से फिर मिटाए…
Posted on September 27, 2020 at 1:00am — 17 Comments
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