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अरकान- 2122 1122 1122 112/22
तेरे खाने के लिये मुफ्त का माल अच्छा है
इसलिये लगता चुनावों का वबाल अच्छा है
ये अलग बात कि सूरत न भली हो लेकिन
कुछ न कुछ हर कोई करता ही कमाल अच्छा है
हम जवाबों से परखते हैं रज़ामन्दी को
मुस्कुरा दे वो अगर समझो सवाल अच्छा है
हद से बाहर तो हर इक चीज़ बुरी लगती है
हद में रह कर जो किया जाए धमाल अच्छा है
अस्मतें रोज़ ही माँ बहनों की बिकती हैं…
ContinuePosted on January 5, 2021 at 12:57pm — 5 Comments
विचार में प्रवाह हो स्वभाव में उजास हो
नवीन वर्ष में नवीन गीत रंग रास हो
प्रभात धूप हो खिली समीर मस्त हो बहे
अनन्त हर्ष को लिए सुवास भाव भी रहे
कपाट बंद खोल के धरे नवीन ज्ञान को
समर्थ अर्थ में रखे सदैव स्वाभिमान को
रहे कहीं न दीनता सदा यही प्रयास हो
नवीन वर्ष में नवीन गीत रंग रास हो।।१
विकार काम क्रोध मोह लोभ क्षोभ त्याग दे
कुमार्ग पे चले नहीं विनाश का न राग दें
कहीं दिखे अधर्म तो अधर्म देह चीर दें
समाज …
Posted on December 30, 2020 at 2:54pm — 11 Comments
आज पुनः जब मना रहे हम, वर्षगाँठ आज़ादी की
आओ थोड़ी चर्चा करलें, जनगण मन आबादी की
जिन पर कविता गीत लिखूँ तो, झर-झर आँसू आते हैं
रोम-रोम में सिहरन होती, भाव सभी मर जाते हैं।।1
ऐसे भी हैं यहाँ कई जो, घर को सर पर ढोते हैं
घोर अँधेरा फुटपाथों पर, बिना बिछौना सोते हैं
गर्मी में तन झुलसे उनका, सर्दी हाड़ कँपाती है
तब जश्ने आज़ादी अपनी, उनको ख़ूब चिढ़ाती है।।2
भूखा प्यासा उलझा बचपन, भटक रहा अँधियारों में
फूटी क़िस्मत खोज रहा वह, कूड़े के गलियारों…
Posted on August 15, 2020 at 12:07pm — 8 Comments
बह्र- 2122 1122 1122 112/22
कोख में आने से साँसों के ठहर जाने तक
ज़िन्दगी में सकूँ मिलता नहीं मर जाने तक
मुफ़लिसी नेक दिली और ज़माने का दर्द
ये सभी सिर्फ़ सियासत में उतर जाने तक
शादी लड्डू ही नहीं एक बला है इसका
होता अहसास नहीं पंख कतर जाने तक
यार बरसात किसे अच्छी नहीं लगती मगर
खेत खलियान नदी ताल के भर जाने तक
हर तरफ़ शह्र में ख़ूँख़ार दरिन्दे घूमें
बेटियाँ ख़ौफ़ज़दा लौट के घर जाने…
Posted on August 4, 2020 at 6:11am — 10 Comments
आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी.
सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी ग़ज़ल "हाथ से सारे फिसल गए" को "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" सम्मान के रूप मे सम्मानित किया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे |
आपको प्रसस्ति पत्र यथा शीघ्र उपलब्ध करा दिया जायेगा, इस निमित कृपया आप अपना पत्राचार का पता व फ़ोन नंबर admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध कराना चाहेंगे | मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई हो |
शुभकामनाओं सहित
आपका
गणेश जी "बागी
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