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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आ. भाई संजय जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अति उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आ. भाई अनिल जी, सादर अभिवादन। तरही मिसरे पर एक सुंदर गजल से मंच का शुभारम्भ करने के लिए हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"2122 1122 1122 22/112 * जुल्फ  बिखरी  हुईं  और  चाक  गरेबाँ  होगा तेरी महफिल में न मुझ सा कोई महमाँ होगा।१। * होगा बेचैन बहुत  बात  न होगी जब तक बात करके भी तो मुझ से वो परेशाँ होगा।२। * सिर्फ मुझको ही न…"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post ग़ज़ल (गर आपकी ज़ुबान हो तलवार की तरह)
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मनोज अहसास's blog post अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास
"आ. भाई मनोज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Chetan Prakash's blog post गज़ल ः
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।  सबूतों बात ये कह दी अभी से"" इस पंक्ति का भाव कुछ स्पष्ट नहीं हो सका है।  अकेलापन बड़ी सबसे सज़ा है//इसे ऐसा करने से कुछ प्रभाव बढ़ेगा- अकेलापन सजा सबसे बड़ी है ।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Dr. Geeta Chaudhary's blog post कविता: "एक वज़ह"
"आ. गीता जी, सादर अभिवादन। सुंदर भावपूर्ण रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Rachna Bhatia's blog post आलेख - माँ की देखभाल औलाद की नैतिक जिम्मेदारी
"आ. रचना बहन सादर अभिवादन। सुंदर समसामयिक और शिक्षाप्रद लेख हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बरसों बाद मनायें होली(गीत-२०)-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ . भाई सोनांचली जी, सादर अभिवादन। गीत पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
नाथ सोनांचली commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बरसों बाद मनायें होली(गीत-२०)-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आद0 लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी सादर अभिवादन। बढ़िया लिखा है आपने"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

केवल तुमको प्यार लिखूँ(गीत-२२) - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

नित्य  तुम्हारे  चन्द्र  रूप  को,  मन  चाहा  शृंगार  लिखूँ ।मैं जीवन के अन्तिम क्षण तक, केवल तुमको प्यार लिखूँ।।छुईमुई  हो   पीर  सयानी,सुख की नूतन रहे कहानी।।अँखियों में चंचलता खेले,सिर पर ओढ़े चूनर धानी।।मुस्कानों  की  हर  गठरी  पर, यौवन  का  उपहार  लिखूँ।मैं जीवन के अन्तिम क्षण तक, केवल तुमको प्यार लिखूँ।।*छमछम  पायल  ओट बजानाफिर साँसों की सुधि भरमाना।।भौंरों जैसी अठखेली पर,छुईमुई सा झट शरमाना।।बालापन  सी  रुसवाई  को,  सदियों  का  मनुहार  लिखूँ।मैं जीवन के अन्तिम क्षण तक, केवल तुमको प्यार लिखूँ।।*साँस भले ही आनी जानीअद्भुत हो यह प्रेम कहानी।।नित अँखियों की गहराई में,गाती हो धड़कन मनमानी।।नित  भौंरों  सी  अभिलाषा  का, थोड़ा-थोड़ा  सार लिखूँ।मैं जीवन के अन्तिम क्षण तक, केवल तुमको प्यार लिखूँ।।*कुतरत की तुम पर कृपा जबकौन जरूरत  सजने की तब।।फिर भी चाह अगर सजने कीतारक  जड़  दूँ  वेणी पर सब।।खिले  सुमन  डाली  पर अच्छे, बस  बाहों का हार लिखूँ।मैं जीवन के अन्तिम क्षण तक, केवल तुमको प्यार लिखूँ।।**मौलिक/अप्रकाशितलक्ष्मण धामी "मुसाफिर"See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बरसों बाद मनायें होली(गीत-२०)-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गीत पर उपस्थिति, स्नेह एवं मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए आभार। "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, क्या यह अब ठीक है ? जीवटता जो लिए कुटज सी, है वही समय से जीता ।हठी न जिसकी रही पिपासा, है उसका ही घट रीता ।।रामायण है साँस - साँस में, है साँस - साँस में गीता ।जिसने समझा सार उसी को, है जीवन अर्थ सुभीता ।।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"जी, सादर आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। छंदों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन । छंदों पर उपस्थिति , सुझाव और मार्गदर्शन के लिए आभार।  ताटक छंद का मुझे ज्ञान नहीं है। दूसरा छंद किस कारण इसमें निबद्ध है । मार्गदर्शन करें जिससेभविष्य में चूक न हो। सादर.."
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। छंदों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। छन्दों पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। आ. भाई अखिलेश जी ने दूसरे छंद को ताटक छंद में निबद्ध बताया है। इसका मुझे अधिक ज्ञान नहीं है। दोनों में अंतर पर मार्गदर्शन करें। जिससे भविष्य में गलतियों का दुहराव न हो। सादर.."
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। मैं भी आ. चेतन जी की टिप्पणी का जवाब देते हुए बता रहा था कि पदान्त ठीक है। और आपका मार्गदर्शन चाह रहा था। सादर..."
Sunday

Profile Information

Gender
Male
City State
Delhi
Native Place
Dharchaula,uttarakhand
Profession
teaching

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Blog

केवल तुमको प्यार लिखूँ(गीत-२२) - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

नित्य  तुम्हारे  चन्द्र  रूप  को,  मन  चाहा  शृंगार  लिखूँ ।

मैं जीवन के अन्तिम क्षण तक, केवल तुमको प्यार लिखूँ।।

छुईमुई  हो   पीर  सयानी,

सुख की नूतन रहे कहानी।।

अँखियों में चंचलता खेले,

सिर पर ओढ़े चूनर धानी।।

मुस्कानों  की  हर  गठरी  पर, यौवन  का  उपहार  लिखूँ।

मैं जीवन के अन्तिम क्षण तक, केवल तुमको प्यार लिखूँ।।

*

छमछम  पायल  ओट बजाना

फिर साँसों की सुधि भरमाना।।

भौंरों जैसी अठखेली पर,

छुईमुई सा झट शरमाना।।

बालापन  सी …

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Posted on March 22, 2023 at 9:05am

पतझड़ से मत घबराना मन (गीत- २१)- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

हर पीड़ा जब पतझड़ ढोता, तब हँसता सन्सार वसंती।

पतझड़ से मत घबराना मन, हर पतझड़ आधार वसन्ती।।

*

सुमन नहीं इसके हिस्से में,

केवल पत्ते, वही बिछाता।

एक यही तो ऋतुराज की,

करने को अगवानी आता।



है इसका हर त्याग अबोला, खिलता जिससे प्यार वसन्ती।

पतझड़ से मत घबराना मन, हर पतझड़ आधार वसन्ती।।

*

मत कोसो इसको नीरस कह,

इस ने हर नीरसता लूटी।

झाड़े इसने तन से कणकण,

तब जाकर नव कोंपल फूटी।।



चलो सराहो इसकी कोशिश, जिस ने जोड़ा तार…

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Posted on March 13, 2023 at 8:11pm — 2 Comments

बरसों बाद मनायें होली(गीत-२०)-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

लुकछिप आना झील किनारे, लेकर गोरी रंग।

बरसों बाद मनायें होली, फिर से हम तुम संग।।

*

सुनते सब  से  गाँव तुम्हारे, यौवन  भरी बहार।

फागुन में लचकी है चहुँदिश, फूलों वाली डार।।

फूल पलासी भरना थोड़े, आँचल अबकी बार।

हम  सूखे  पतझड़  के  वासी, मानेंगे उपकार।।

**

पा लेगा  उन फूलों  से ही, जीवन  नयी उमंग।

बरसों बाद मनायें होली, फिर से हम तुम संग।।

**

प्यासी  बंजर  धरती  जैसे, हैं  मन  के  हालात।

रूठ गयी है हर एक बदली, हवा न करती बात।।

कर  बैठा …

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Posted on March 8, 2023 at 7:13am — 7 Comments

गीत(१९)- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अपनेपन में विद्व नगर से, अच्छा अनपढ़ गाँव

भरी दुपहरी मिल जाती है, जहाँ पेड़ की छाँव।।

*

नगर हमेशा दुख देकर  ही, माने  अपनी जीत

आँगन चाहे एक नहीं पर, खड़ी बहुत हैं भीत

अपनों की तो बात अलग है, रही गाँव की रीत



किसी पराये का भी दुख में, सहला देता पाँव

अपनेपन में विद्व नगर से, अच्छा अनपढ़ गाँव।।

*

सकी माँगें नहीं असीमित, रोटी कपड़ा गेह

जिसे नगर सा नहीं ठाठ से, होता पलभर नेह

मन में सेवाभाव…

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Posted on February 24, 2023 at 6:17pm — 2 Comments

Comment Wall (22 comments)

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At 10:59am on January 25, 2023, Anita Bhatnagar said…

सादर आभार आदरणीय 

At 3:37pm on December 21, 2021, KullarSaddik said…

अपने आतिथ्य के लिए धन्यवाद :)

At 8:45am on January 16, 2021, Aazi Tamaam said…

मुसाफिर सर प्रणाम स्वीकार करें आपकी ग़ज़लें दिल छू लेती हैं

At 8:39pm on December 3, 2020,
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
said…

जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी ’मुसाफिर’ जी 

At 11:39pm on November 22, 2020, DR ARUN KUMAR SHASTRI said…

प्रिय भ्राता धामी जी सप्रेम नमन
आपके शब्द सहरा में नखलिस्तान जैसे - हैं

At 8:37am on May 14, 2020, Om Prakash Agrawal said…
आदरणीय
सराहना हेतु सहृदय आभार एवं धन्यवाद
At 4:12pm on May 7, 2020, सालिक गणवीर said…
हौसला अफजाई के लिए आपका ममनून हूँ आदरणीय
At 10:58am on October 18, 2019, dandpani nahak said…
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत शुक्रिया
At 2:30pm on September 28, 2019, dandpani nahak said…
आदरणीय लक्ष्मण धामी ' मुसाफिर' जी बहुत बहुत शुक्रिया हौसला अफ़जाई का आपने समय निकाला मैं बहुत शुक्रगुज़ार हूँ
At 10:47am on August 24, 2019, dandpani nahak said…
बहुत शुक्रिया आदरणीय लक्षमण धामी जी
 
 
 

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"आदरणीय अजय गुप्ता अजेय जी ग़ज़ल पसंद करने का बेहद शुक्रिया . दरअसल नीरज जी की इन  पंक्तियों से…"
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"आदरणीय उस्ताद समर कबीर साहब,  हौसला अफ़जाई का तह ए दिल से शुक्रिया "
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"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आयोजन में सहभागिता के लिए आपका धन्यवाद ।"
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