For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

mrs manjari pandey
  • Female
  • Varanasi,{ U.P.}
  • India
Share on Facebook MySpace

Mrs manjari pandey's Friends

  • डॉ नूतन डिमरी गैरोला
  • Savitri Rathore
  • पीयूष द्विवेदी भारत
  • अरुन 'अनन्त'
 

mrs manjari pandey's Page

Profile Information

Gender
Female
City State
Varanasi. { U.P.}
Native Place
Varanasi.
Profession
Teaching
About me
I am Sanskrit Teacher in Kendriya Vidyalaya. Now a days I am osted i Varanasi.

mrs manjari pandey's Photos

  • Add Photos
  • View All

Mrs manjari pandey's Blog

गीत

जो टूटा सो टूट गया

रूठा सो रूठ गया ।

साथ चले जिस पथ पर थे

आखिर तो वो भी छूट गया ।



गाँव की पगडण्डी वो छूटी , पानी पनघट छूट गया

खेतवारी बँसवारी छूटी, बचपन कोई लूट गया

भर अँकवारी रोई दुआरी ,नइहर मोरा छूट गया ।

जो....



अँचरा अम्मा का जो छूटा ,घर आँगन सब छूट गया

छिप - छिप बाबा का रोना भइया वो बिसुरता छूट गया

तीस उठी है करेजे में ज्यूँ पत्थर कोई कूँट गया ।

जो…।



पाही पलानी मौन हुए मड़ई से छप्पर रूठ गया

सोन चिरईया…

Continue

Posted on December 17, 2014 at 9:30pm — 9 Comments

यात्रा संस्मरण, मेलबोर्न

मेलबोर्न, औस्ट्रेलिया यात्रा का एक सुखद संस्मरण बाँटना चाहूँगी । जैसे मै भीगी आपको भी यादों की बारिश में भिगोना चाहूँगी . बड़ी -बड़ी मिलों , कारखानों वाले क्षेत्रों को पार करते हुए , नेशनल पार्क में संरक्षित ,सड़कों के किनारे लगाई गई फेंसिंग के समीप तक आ गए कंगारुओं के झुण्ड का विहंगम अवलोकन करते हुए हम प्राचीन गाँव सोरेन्टो आ गए। . इतिहास को गर्भ में रखे हुए ऑस्ट्रेलियाई सभ्यता व् संस्कृति का भरपूर जायज़ा यहां लिया जा सकता है। यहाँ का समुद्री तट भी उतना ही रम्य.



सागर के सीने पे…

Continue

Posted on July 15, 2014 at 2:30pm — 3 Comments

गज़ल

है हंसी रात बस चले आओ 

बहके जज़्बात बस चले आओ !

        

उसने वादा किया वफ़ा देंगे

दे रहा घात बस चले आओ !

ज़िन्दगी हो गई है आवारा

क्या सवालात बस चले आओ !

ठन्डे पानी मे भी बदन जलता

क्या ये बरसात बस चले आओ !

"म“ञ्जरी" अब सहा नही जाता 

अरज़े हालात बस चले आओ !

अप्रकाशित एवम मौलिक रचना  !

Posted on September 3, 2013 at 8:30pm — 16 Comments

होली गीत

                          होली गीत  

 

  अर र र र  देखो सखी  तो पूरी लाल हुई

  रंग ना  गुलाल मै  तो शर्म से लाल हुई।

  पीर ना  दहन मोरे तन मन में आग लगी -2

   चाम  ना वसन जले मै तो जल लाल हुई।

   रंग ना-------------

  ले के रस रंग चली देवरों की टोली - 2

  घेर घेर घेर मई तो जय कन्हैया लाल हुई।

   रंग ना -------------

   आज तो बाबा भी करे हैं ठिठोली - 2

   लाज की चुनर ओढ़ मै हँस हँस निहाल हुई।

   रंग ना…

Continue

Posted on March 17, 2013 at 11:07pm — 9 Comments

Comment Wall (9 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 10:43pm on June 15, 2014, Santlal Karun said…

आदरणीया मंजरी मैडम, 

आज मैनें आप को ओबीओ पर देखा और पढ़ा भी | अच्छी रचनाओं के लिए हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ ! इसी तरह अपनी रचनाओं से अधिकाधिक सक्रिय  रहें | आप के मार्ग-दर्शन पर मैं ओबीओ में आया था, पर समयाभाव के कारण अधिक सक्रिय न हो सका | 

At 9:54am on September 6, 2013, Abhinav Arun said…

सदा स्वागत है स्वर साहित्य कोकिला आदरणीय मंजरी जी आपकी काव्य मंजरियों की सुवास चतुर्दिक गूंजे यही कामना है हम सबको बनारस को आप पर गर्व है बहुत बधाई और शुभकामनायें !!

At 8:21pm on September 5, 2013, बृजेश नीरज said…

आदरणीया आपका स्वागत है!

At 7:43pm on March 11, 2013,
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
said…

सादर धन्यवाद आदरणीया मंजरीजी.. .

At 11:19pm on March 6, 2013, vijay nikore said…

आदरणीया मन्जरी जी:

 

शुभकामनाओं और बधाई के लिए

आपका हार्दिक धन्यवाद।

 

सादर और सस्नेह,

विजय निकोर

At 1:33pm on February 12, 2013, Abhinav Arun said…

आप द्वारा पोस्ट की गयी तस्वीरें हमें भी ऑस्ट्रेलिया की सैर करा रही हैं बहुत बहुत शुभकामनाएं !!

At 7:42pm on December 22, 2012, Abhinav Arun said…
आस्ट्रलिया मे रहते हुए भी काव्य साधना जारी रखना प्रशंसनीय है ,हार्दिक आभार आपकी सराहना मिली .आप लौटें तो आयोजन प्रयोजन हो :-)
At 11:36am on December 6, 2012,
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
said…

मंजरीजी, आपको पुनः इस मंच पर सक्रिय देख कर प्रसन्नता हो रही है. विश्वास है, आप स्वस्थ और सकुशल होंगीं. आपके गीत मेरे मन-मस्तिष्क में अभी तक गूँज रहे हैं. देखिये पुनः वाराणसी में गोष्ठी कब हो पाती है. भाई अरुण अभिनवजी को हार्दिक धन्यवाद कि इस मंच पर आपकी उपस्थिति बनी है.

सादर

At 6:54pm on December 1, 2012,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post मनका छंद
"आ. भा सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर छन्द हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
14 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

मनका छंद

मनका / वर्णिका छंद - तीन चरण, पाँच-पाँच वर्ण प्रत्येक चरण,दो चरण या तीनों चरण समतुकांतमस्त जवानी   …See More
19 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post बेटी दिवस पर दोहा ग़ज़ल. . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार । सहमत"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .राजनीति
"हार्दिक आभार आदरणीय"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .राजनीति
"आ. भाई सशील जी, शब्दों को मान देने के लिए आभार। संशोधन के बाद दोहा निखर भी गया है । सादर..."
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .राजनीति

दोहा पंचक. . . राजनीतिराजनीति के जाल में, जनता है  बेहाल । मतदाता पर लोभ का, नेता डालें जाल…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post बेटी दिवस पर दोहा ग़ज़ल. . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।  अबला बेटी करने से वाक्य रचना…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on KALPANA BHATT ('रौनक़')'s blog post डर के आगे (लघुकथा)
"आ. कल्पना बहन, सादर अभिवादन। अच्छी कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शिवजी जैसा किसने माथे साधा होगा चाँद -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शिवजी जैसा किसने माथे साधा होगा चाँद -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"वाह आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत ही खूबसूरत सृजन हुआ है सर । हार्दिक बधाई"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .राजनीति
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।सहमत देखता हूँ"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for Radheshyam Sahu 'Sham'
"आ. भाई राधेश्याम जी, आपका ओबीओ परिवार में हार्दिक स्वागत है।"
Sunday

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service