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February 2022 Blog Posts (23)

कुछ चुटकियाँ. . . .

कुछ चुटकियाँ ....

वो चाय क्या

जिसमें भाप न हो

वो नींद क्या

जिसमें ख्वाब न हो

.............      

वो प्याला क्या

जिसमें शराब न हो

वो हिजाब क्या

जिसमें शबाब न हो

.......... ..........

वो किताब क्या

जिसमें गुलाब न हो

वो ख़्वाब क्या

जिसमें माहताब न हो

.....................

वो समर्पण क्या

जिसमें स्वीकार न हो

वो जीत क्या

जिसमें हार न हो

.........................

वो…

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Added by Sushil Sarna on February 28, 2022 at 1:43pm — No Comments

विदाई

कुछ दिन पहले तक ही तो,वो घुटनो के बल चलती थी

अपनी तुतलाती भाषा में, पापा-पापा कहती थी

पहली बार जो अपने मुँह से, पहला शब्द वो बोली थी

मुझे याद अब भी वो तो, पापा ही तो बोली थी

कल ही की तो बात है उसने, गुड़िया मुझसे माँगा था

मेरे काम के थैले को कल ही, खूंटी पर उसने टांगा था

कल तक जो मेरे घुटनो के, ऊपर तक ना बढ़ पाई थी

अपने पैरों पर चल कर वो,…

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Added by AMAN SINHA on February 28, 2022 at 10:44am — No Comments

ग़ज़ल: इक ऐसे ग़म से आज मुलाक़ात हो गई

२२१ २१२१ १२२१ २१२

पाकर जिसे हयात हवालात हो गई

इक ऐसे ग़म से आज मुलाक़ात हो गई

कैसे बताएँ आपके बिन कुछ नहीं हैं हम

कैसे बताएँ आपको क्या बात हो गई

अंजान थी जो आँख मिरी जान अश्क़ से

बाद आपके यूँ रोई की बरसात हो गई

इक पल में खुशनुमा हुई इक पल में रहनुमा

फ़िर एक पल में दर्द की सौग़ात हो गई

कैसी है दास्ताँ ये मिरी जान ज़िंदगी

रौशन हुई कहीं तो कहीं रात हो गई

मौलिक व…

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Added by Aazi Tamaam on February 26, 2022 at 11:30pm — 2 Comments

शोख दोहे .....

शोख़ दोहे : 

कातिल हसीन शोखियाँ, मयखाने सा नूर ।

दिल बहके तो जानिए, सब आपका कुसूर ।।

साँसें दे हर साँस को, साँसों का उपहार ।

साँसों को अच्छा लगे, ये साँसों का प्यार ।।

पागल दिल की हसरतें, पागल दिल के ख़्वाब ।

पागल दिल को कर गए , ख़्वाबों के सैलाब ।।

बड़े तीव्र हैं प्यास के, अधरों पर अंगार  ।

नैनों से नैना करें, मधुर मिलन मनुहार ।।

बेहिज़ाब अगड़ाइयाँ, गज़ब नशीला नूर ।

देख बहकना नूर को, दिल का है…

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Added by Sushil Sarna on February 26, 2022 at 3:53pm — 2 Comments

कम्बख्त ये वक्त

कम्बख्त ये वक्त , बड़ा बेरहम है

खुद ही दवा है अपनी, खुद में ये जखम है

हाथ होता है मगर ये, साथ होता है नहीं

हक़ में लगता है मगर ये, हक़ में होता है नहीं

क्या बला की शै है ये, खुद को ही दोहराता है

बन कभी तस्वीर खुद की, गुमशुदा हो जाता है

शख्श है आवारा जाने, क्यूँ कहीं रुकता नहीं

कोई भी हो सामने पर, ये कभी झुकता नहीं

साथ जिसके ये हुआ, अर्श पर छा जाएगा

सर पे जिसके आ गिरा, वो ख़ाक में मिल जाएगा

कोई कितना भी बड़ा हो,…

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Added by AMAN SINHA on February 26, 2022 at 1:58pm — No Comments

जीवन साथी

जीवन साथी है वो मेरी, साथ हमेशा रहती है

सुख हो या हो दुःख के दिन, पास सदा वो रहती है

साथ फेरों का बंधन बांधे, घर मेरे जब आई थी

खुद से पैसे बच ना पाते, बस इतनी मेरी कमाई थी

घर आई वो साथ में अपने, ढेरों खुशियां ले आयी

मेरे मन के अंधियारे को, दूर किसी को दे आयी

टुटा फूटा डेरा मेरा, सबकुछ उसने अपनाया

दो दिन में ही उस डेरे को ,महलों जैसा मैंने पाया

बिखरा बिखरा जीवन मेरा, जैसे तैसे चलता था

कभी यहाँ पर कभी वहाँ पर, युहीं…

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Added by AMAN SINHA on February 25, 2022 at 11:30am — No Comments

बारिश

बूंदों का बरसना यूं बिजली का कड़कना

कुछ याद पुरानी सी तड़पा के हमको चली गयी

बात हल्की सी थी बिल्कुल फुहारों की तरह

अनसुनी सी कानो में सुना के वो चली गयी

एक मुद्दत से हमने अश्कों को छुपा रक्खा था

बेदर्द थी बारिश आज हमे रुला के चली गयी

आज मस्ती थी बड़ी झूमता हर एक ग़म था

छत फूटी थी मेरी बि स्तर भींगा के चली गयी

पक्के मकान को गर्मी से जैसे राहत थी मिली

फुटपाथ के बर्तन को संग बहा के चली गयी

नांव से खेलते थे बच्चे…

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Added by AMAN SINHA on February 24, 2022 at 10:21am — No Comments

बारिश

बूंदों का बरसना यूं बिजली का कड़कना

कुछ याद पुरानी सी तड़पा के हमको चली गयी

बात हल्की सी थी बिल्कुल फुहारों की तरह

अनसुनी सी कानो में सुना के वो चली गयी

एक मुद्दत से हमने अश्कों को छुपा रक्खा था

बेदर्द थी बारिश आज हमे रुला के चली गयी

आज मस्ती थी बड़ी झूमता हर एक ग़म था

छत फूटी थी मेरी बि स्तर भींगा के चली गयी

पक्के मकान को गर्मी से जैसे राहत थी मिली

फुटपाथ के बर्तन को संग बहा के चली गयी

नांव से खेलते थे बच्चे…

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Added by AMAN SINHA on February 24, 2022 at 10:20am — No Comments

बेबसी

दिलबर है ना तो कोई रहबर है

हाल-ऐ-दिल सुनाए तो किसको

मिले हमसा हमको इस जहां में

खोल के ये दि ल दि खाए उसिको



फासले दरम्यान है हम दोनों के लेकि न

कदम न चले तो मिटेंगे वो कैसे

उन रेलों की पटरी को देखा है मैंने

मिलते नहीं पर संग चलते है जैसे



जो हम न रहे तो रोओगे तुम भी

दि ल से हमे तुम भुलाओगे कैसे

बदन पे तुम्हा रे जो लि ख गया है

मेरा नाम अब तुम मिटाओगे कैसे



है सपना अगर ये तो सोने हो दोना

अगर जग गया मैं तो पाओगे तुम…

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Added by AMAN SINHA on February 23, 2022 at 1:39pm — 3 Comments

मलाल

थक गया हूँ झूठ खुद से और ना कह पाऊंगा

पत्थरों सा हो गया हूँ शैल ना बन पाऊंगा

देखते है सब यहाँ पर अजनबी अंदाज़ से

पास से गुजरते है तो लगते है नाराज़ से

बेसबर सा हो रहा हूँ जिस्म के लिबास में

बंद बैठा हूँ मैं कब से अक्स के लिहाफ में

काटता है खलीपन अब मन कही लगता नहीं

वक़्त इतना है पड़ा के वक़्त ही मिलता नहीं

रात भर मैं सोचता हूँ कल मुझे कारना है क्या

है नहीं कुछ हाथ मेरे सोच के डरना है क्या

टोक न दे कोई मुझको मेरी…

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Added by AMAN SINHA on February 22, 2022 at 3:48pm — No Comments

कुछअनकही सी

अंजाना सफर तनहाई का डेरा

उदासी का दिल मेंं था उसके बसेरा

साँवली सी आंखो पर पालकों का घेरा

भुला नहीं मैं वो चमकता सा चेहरा

आंखे भरी थी और लब सील चुके थे

दगा उसके सीने मे घर कर चुके थे

था कहना बहूत कुछ उसको भी लेकिन

धोख़े के डर से वो लफ्ज जम चुके थे

हाले दिल चेहरे पर दिखता था यू हीं

के ग़म को छुपाने की कोशि श नहीं थी

दिल चाहता तो था संग उसके चलना

मगर साथ चलने की कोशि शनहीं थी

कहा कुछ…

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Added by AMAN SINHA on February 21, 2022 at 3:30pm — No Comments

सामाजिक न्याय दिवस पर दोहे

सामाजिक न्याय दिवस (२० फरवरी) पर

जाति  धर्म  के  फेर  से, मुक्त  नहीं  जब देश

तब सामाजिक न्याय का, मिले कहाँ परिवेश।।

*

कत्ल अपहरण  रेप की, बलशाली को छूट

है सामाजिक न्याय की, यहाँ आज भी लूट।।

*

चन्द यहाँ खुशहाल है, शेष सभी गमगीन

सामाजिक समता नहीं, देश भले स्वाधीन।।

*

धनवानों को न्याय हित, घर आता आयोग

न्याय न्याय चिल्ला मरे, लेकिन निर्धन लोग।।

*

सज्जन को करना क्षमा, एक बार है न्याय

दुर्जन को बस दण्ड ही, केवल शेष…

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Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 19, 2022 at 11:00pm — 10 Comments

जो कही नही तुमसे

जो कही नहीं तुम से, मैं वो ही बात कहता हूँ

चलो मैं भी तुम्हारे संग कदम दो चार चलता हूँ

चाहत थी यही मेरी के तू भी साथ चल मेरे

न बंदिश हो ना दूरी हो राहूँ जब साथ मैं तेरे

लूटा दूँ ये जवानी मैं बस इस दो पल की यादों मे

छुपा लूँ आँ खमे अपने न बहने दूँ मैं पानी मे

कहता  हूँ जो नज़रों से जुबा से कह ना पाऊँगा

हूँ रहता साथ मैं हरदम पर…

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Added by AMAN SINHA on February 18, 2022 at 1:53pm — 1 Comment

रविदास जयन्ती पर दोहे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'



माघ पूर्णिमा  जन्म  ले, कहलाए रविदास

जीवन जीकर आम का, बातें की हैं खास।१।

*

देते जीवन भर रहे, नित्य सीख अनमोल

सबके हितकारक रहे, सच है उनके बोल।२।

*

रहो प्रेम से कह गये, जातिवाद को त्याग

जिसमें जले समाज ये, यह तो ऐसी आग।३।

*

दिया नित्य रविदास ने, केवल इतना ज्ञान

छोड़ो पद या जाति को, करो गुणों का मान४।।

*

निर्मल मन भागीरथी, करता कह निष्पाप

जनसाधारण जन्म ले, आप हो गये आप।५।

*

रहे न लालच द्वेष जब, मिटे बैर का भाव

ऐसे…

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Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 16, 2022 at 3:13am — 6 Comments

प्रेम दिवस ......

प्रेम दिवस :

दिलवालों का आ गया, दिलवाला त्योहार ।

दिल ले कर दिल ढूँढता, दिल अपना  दिलदार ।।

लाल दिलों का लग रहा, गली-गली बाजार ।

अब तो दिल का आजकल, होता है व्यापार ।।

प्रेम प्रदर्शन का बना, मुक्त मिलन आधार ।

कैसा यह त्योहार जो, लील रहा संस्कार ।।

कितनी उत्सुक लग रही, युवा सभ्यता आज ।

अवगुंठन में प्यार के, करें कलंकित लाज ।।

वेलेंटाइन की आढ़ में, लज्जित होती लाज ।

देख प्रेम की दुर्दशा, क्षुब्ध आज है…

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Added by Sushil Sarna on February 14, 2022 at 2:42pm — 4 Comments

हमें क्या हो गया है-- छोटी सी कहानी

उसके सब्र की इन्तेहाँ हो रही थी, लगभग दो घंटे बीत चुके थे उसे पार्क में आये हुए. घर में सुबह ही उसे पता चल गया था कि परी अपनी माँ के साथ आ रही है. छह महीने तो बीत ही चुके थे उसे परी को देखे लेकिन कोई रास्ता भी नहीं था उसके पास जिससे वह परी को एक नजर देख भी सके. पत्र लिखने की हिम्मत कहाँ से आती जबकि उसे खुद पता नहीं था कि परी उसके लिए क्या सोचती है. 

साथ पढ़ते थे दोनों और एक ही मोहल्ले में रहते थे, उस समय आने जाने के लिए बहुत हुआ तो एक साइकिल मिल जाती थी, वर्ना पैदल ही स्कूल जाना और…

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Added by विनय कुमार on February 8, 2022 at 4:42pm — 1 Comment

दोहावली.... स्वागत करो बसंत का....

स्वागत करो बसंत का, अब.. अनंग दरवेश। 

बदन..सुलगने ..हैं लगे, खिल उठा परिवेश ।।

रथ सवार सूरज हुआ,  बढ़ती ..आँगन ..धूप। 

मकरंद  बसा प्राण में,  प्रतिपल प्रिया अनूप ।।

अलसाया सी डाल पर, उतर ..पड़ी  है.. धूप। 

कलियाँ  मुस्काने लगीं, जगमग गाँव अनूप ।।

गंधायी ..अब है ..हवा,  खिलने.. लगे.. प्रसून। 

गश्त बढ़ गई भ्रमर की, कली लाल सी खून ।।

मौलिक व अप्रकाशित 

प्रोफ. चेतन प्रकाश…

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Added by Chetan Prakash on February 8, 2022 at 9:22am — No Comments


सदस्य टीम प्रबंधन
बासंती दोहे // सौरभ

आहट की संभावना, करवट का आभास,
पुलक देह ने भर छुअन, लिया मुग्ध उच्छ्वास

नस-नस झंकृत राग-लय, तन-तन लहर गुँजार
बासंती मनमुग्ध को, प्यार प्यार बस प्यार !

पता नहीं किस ठौर से, आयी अल्हड़ भोर
तन मन से बेसुध मगर, मुग्ध नयन की कोर

तन्वंंगी अल्हड़ लता, बैठी उचक मुँडेर
खेल रही है धूप में, बासंती सुर टेर ।
***

सौरभ
(मौलिक और अप्रकाशित)

Added by Saurabh Pandey on February 5, 2022 at 12:00pm — 11 Comments

वसंत के दोहे

शुक्ल पंचमी माघ  की,  लायी  यह संदेश

सजधज साथ बसंत के, बदलेगा परिवेश।।

*

कुहरे  की  चादर  हटा, लगी  निखरने  धूप

दुल्हन जैसा खिल रहा, अब धरती का रूप।।

*

डाल नये परिधान अब, दिखे नयी हर डाल

हर्षित इस से सज  रही, भँवरों  की चौपाल।।

*

तरुण हुईं हैं डालियाँ, कोंपल हुई किशोर

उपवन में उल्लास  है, अब  तो चारो ओर।।

*

गुनगुन भँवरों  ने  कहे, स्नेह  भरे जब बोल

मार ठहाका हँस पड़ी, कलियाँ घूँघट खोल।।

*

नहीं  उदासी  से …

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Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 5, 2022 at 9:00am — 8 Comments

ग़ज़ल......अब आदमी में जोश का ज़ज्बा नहीं रहा !

221     2121     1221     212

अब आदमी में जोश का ज़ज्बा नहीं रहा

मौसम  बहार का  वो सुहाना नहीं रहा 

हमको  तुम्हारा  तो सहारा  नहीं  रहा

वो  दर्द  ज़िन्दगी का अपना नहीं रहा

उम्मीद कब रही हमें इस ज़ीस्त से कभी

मंज़िल का जाँ कभी भी वो चहरा नहीं रहा

कोशिश बहुत की कोई हमदम कहाँ हुआ

इक दोस्त न मिला कभी साया नहीं रहा 

धोका मिला जहाँ हमें वुसअत के नाम पर 

सुन दोस्त ज़िन्दगी  का निशाना नहीं…

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Added by Chetan Prakash on February 3, 2022 at 7:00pm — 1 Comment

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