For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

October 2023 Blog Posts (15)

सब से हसीन ख्वाब का मंजर सँभालकर - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

221/2121/1221/212

****

सब से हसीन ख्वाब  का मंजर सँभालकर

नयनों में उस के प्यार का गौहर सँभालकर।१।

*

उर्वर करेगा कोई  तो  फिर  से ये सोच बस

सदियों रखा है जिस्म का बंजर सँभालकर।२।

*

कीटों  के  प्रेत   नोच  के  हर  शब्द  ले  गये

रक्खा है खत का आज भी पैकर सँभालकर।३।

*

पुरखों से सीख पायी है इस से ही रखते हम

नफरत के  दौर  प्यार  के  तेवर  सँभालकर।४।

*

फूलों से उस को दूर ही रखना सनम सदा

जिस ने रखा है हाथ में…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 30, 2023 at 12:39pm — 2 Comments

किसे अपना कहेंं हम यहाँ

किसे अपना कहें हम यहाँ 

खंजर उसी ने मारी जिसको गले लगाया 

किससे कहें हाल-ए-दिल यहाँ 

हर राज उसी ने खोला जिसे हमराज़ बनाया 

किसे जख्म दिखाये दिल का 

हार घाव उसी ने कुरेदा जिसको भी मरहम लगाया …

Continue

Added by AMAN SINHA on October 27, 2023 at 10:21pm — 2 Comments

निछावर जिसपे मैंने ज़िंदगी की- ग़ज़ल

मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन फ़ऊलुन

1222 1222 122

हज़ज मुसद्दस महजूफ़

———————————

निछावर जिसपे मैंने ज़िंदगी की,

उसे पर्वा नहीं मेरी ख़ुशी की

*

समझता ही नहीं जो दर्द मेरा,

निगाहों ने उसी की बंदगी की

*

वही इक शख़्स जो कुछ भी नहीं है,

हर इक मुश्किल में उसने रहबरी की

*

उसी का रंग है मेरे सुख़न में,

उसी से आबरू है शायरी की

*

उजाले गिर पड़े क़दमों पे आकर,

अंधेरों से जो मैंने दोस्ती की

*

अदीबों में है मेरा नाम…

Continue

Added by SALIM RAZA REWA on October 25, 2023 at 6:00am — 4 Comments

जीवन ...... दोहे

जीवन ....दोहे 

झुर्री-झुर्री पर लिखा, जीवन का  संघर्ष ।

जरा अवस्था देखती, मुड़ कर बीते वर्ष ।।

क्या पाया क्या खो दिया, कब समझा इंसान ।

जले चिता के साथ ही, जीवन के  अरमान ।।

कब टलता है जीव का, जीवन से अवसान ।

जीव देखता रह गया, जब फिसला अभिमान ।।

देर हुई अब उम्र की, आयी अन्तिम शाम ।

साथ न आया काम कुछ ,बीती उम्र तमाम ।।

जीवन लगता चित्र सा, दूर खड़े सब साथ ।

संचित सब छूटा यहाँ, खाली दोनों  हाथ…

Continue

Added by Sushil Sarna on October 17, 2023 at 9:30pm — 6 Comments

लेबल्ड मच्छर. . . . ( लघु कथा )

लेबल्ड मच्छर ......(लघु कथा ) 

"रामदयाल जी ! हमें तो पता ही नही था कि हमारे मोहल्ले से मच्छर गायब हो गए हैं सिर्फ पार्षद के घर के अलावा ।" दीनानाथ जी ने चाय की चुस्की लेते हुए कहा ।

"वो कैसे ।" रामदयाल जी बोले ।

"वो क्या है रामदयाल जी । आज सवेरे में छत पर पौधों को पानी दे रहा था कि अचानक मुझे नीचे कोई मशीन चलने की आवाज सुनाई दी । नीचे देखा तो देख कर दंग रह गया ।"

"क्यों? क्या देखा दीनानाथ जी । पहेलियाँ मत बुझाओ ।साफ साफ बताओ यार ।" रामदयाल जी बोले…

Continue

Added by Sushil Sarna on October 15, 2023 at 8:05pm — No Comments

पूजा बता रहे हैं

पूजा बता रहे हैं 

उषा अवस्थी

पाले हैं,यौन कुंठा

पूजा बता रहे हैं

न जाने ऐसे लोग 

किस राह जा रहे हैं?

रचते हैं ढोंग ज्ञान का

कल्मष बढ़ा रहे हैं

लिखते अभद्र भाषा 

निर्मल बता रहे हैं

अपने ही मन की ग्रन्थि

सुलझा न पा रहे हैं

बच्चों तथा युवजन को

क्या -क्या सिखा रहे हैं?

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Added by Usha Awasthi on October 11, 2023 at 3:58am — 1 Comment

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक. . . . .

तर्पण को रहता सदा, तत्पर सारा वंश ।

दिये बुजुर्गो को कभी, कब मिटते हैं दंश ।।

तर्पण देने के लिए, उत्सुक है परिवार ।

बंटवारे के आज तक, बुझे नहीं अंगार ।।

लगा पुत्र के कक्ष में, मृतक  पिता का चित्र ।

दम्भी सिर को झुका रहा, उसके  आगे मित्र ।।

देह कभी संसार में, अमर न होती मित्र ।

महकें उसके कर्म ज्योँ , महके पावन इत्र ।।

तर्पण अर्पण कीजिए, सच्चे मन से यार ।

चला गया वो आपका,…

Continue

Added by Sushil Sarna on October 9, 2023 at 1:30pm — No Comments

सरकार नित ही वोट से मेरी बनी मगर - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२१/२१२१/१२२१/२१२

***

ये सच नहीं कि रूप  से वो भा गयी मुझे

बारात उस के वादों की बहका गयी मुझे।१।

*

सरकार नित ही वोट  से  मेरी बनी मगर

कीमत का भार डाल के दफना गई मुझे।२।

*

दंगो की आग दूर थी कहने को मीलों पर

रिश्तों की ढाल भेद  के  झुलसा गई मुझे।३।

*

अच्छे बहुत थे नित्य के यौवन में रत जगे

पर नींद ढलते काल में अब भा गयी मुझे।४।

*

नद झील ताल सिन्धु पे है तंज प्यास यूँ

दो एक…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 9, 2023 at 7:58am — No Comments

कुछ विचार

कुछ विचार

उषा अवस्थी

राष्ट्र, समाज, स्वयं का

यदि चाहें कल्याण

चोरी, झूठ, फरेब से

है पाना परित्राण

अशुभ निवारक गुरु चरण

वन्दन कर, छल त्याग

जिनके दर्शन मात्र से 

पाप, शोक हों नाश

यह दुनिया हर निमिष पल

गिरे काल के गाल

क्यों पाना इसको भला?

जहाँ बचे न भाल

इस अनन्त ब्रम्हाण्ड में

पृथ्वी का क्या मोल?

पल-पल, घिस-घिस छीजती

तोल सके तो…

Continue

Added by Usha Awasthi on October 8, 2023 at 6:52pm — 2 Comments

ईमानदारी. . . . . (लघु कथा )

ईमानदारी ....

"अरे भोलू ! क्या हुआ तेरे पापा 4-5 दिन से दूध देने नहीं आ रहे ।"सविता ने भोलू के बेटे को  दूध का भगोना देते हुए पूछा ।

"वो बीवी जी, पापा की साइकिल  कुछ खराब हो गई इसलिए मैं दूध देने आ गया ।" भोलू के बेटे ने भगोने में दूध डालते हुए कहा ।

"अच्छा ,  अच्छा यह बता जब से तुम दूध दे रहे हो दूध  इतना पतला क्यों है ? पापा तो  दूध गाढ़ा लाते थे ।"

सविता ने कहा ।

"बीवी जी, यह साइकिल नहीं फटफटिया है ।  अगर दूध गाढ़ा बेचेंगे तो फटफटिया कैसे चलायेंगे…

Continue

Added by Sushil Sarna on October 8, 2023 at 1:30pm — 2 Comments

सुनो, एक बात कहानी है

सुनो,

एक बात कहानी है

गर गलत न समझो तो

तो कह कर हल्का हो लूँ

हाँ अगर तुम्हें भली ना लगे

तो कुछ ना कहना और चली जाना तुम

पर एक इल्तजा है सुन लो “ना” ना कहना…

Continue

Added by AMAN SINHA on October 8, 2023 at 7:31am — No Comments

जिंदगी के कीड़े

ज़िन्दगी के कीड़े

सुरेन्द्र वर्मा

दो स्थितियां होती हैं – एक मिथ, अंधविश्वास, रूढियों, कर्मकाण्डों की, तो दूसरी बुद्धि, विवेक, तर्क, सोच-विचार और ज्ञान की। एक पक्ष कहता है कि कहीं न कहीं आस्था तो टिकनी ही है, जब सब जगह से निराश हो जाएं, तो जहां कहीं से आशा की किरण जीवन में प्रवेश करती है, वहीं शरण ले लेते हैं और फिर वहां विज्ञान और तर्क बौने पड़…

Continue

Added by डा॰ सुरेन्द्र कुमार वर्मा on October 7, 2023 at 10:14pm — No Comments

भिखारी छंद

भिखारी छंद -

24 मात्रिक - 12 पर यति - पदांत-गा ला

मन से मन की बातें, मन  करता  मतवाला ।

मन में हरदम जलती , इच्छाओं की ज्वाला ।

भोगी  मन  तो  चाहे , बाला  की  मधुशाला ।

पी  कर मन  ये  नाचे , नैन   नशीली   हाला ।

                  ××××××

उल्फ़त  की सौगातें,  आँखों  की  बरसातें ।

तन्हा  -  तन्हा  बीती , भीगी - भीगी   रातें ।

जाकर फिर कब आते , बीते दिन मतवाले ।

दिल को बहुत सताते , खाली-खाली प्याले ।

सुशील सरना /5-10-23…

Continue

Added by Sushil Sarna on October 5, 2023 at 2:38pm — No Comments

मनका छंद

मनका / वर्णिका छंद - तीन चरण, पाँच-पाँच वर्ण प्रत्येक चरण,दो चरण या तीनों चरण समतुकांत

मस्त जवानी
   फिर न आनी
       हसीं कहानी !
*
आई बहार
   अलि गुँजार
        पुष्प शृंगार !
*
झड़ते पात
   अन्तिम रात
        एक यथार्थ !
*
मुक्त विहार
   काम विकार
         देह व्यापार!
*
घोर  अँधेरा
    छुपा सवेरा
         स्वप्न का डेरा !

सुशील सरना 3-10-23
मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Sushil Sarna on October 3, 2023 at 1:24pm — 2 Comments

शिवजी जैसा किसने माथे साधा होगा चाँद -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२२२ २२२२ २२२२ २

**

पर्वत पीछे गाँव पहाड़ी निकला होगा चाँद

हमें न पा यूँ कितने दुख से गुजरा होगा चाँद।१।

*

आस नयी जब लिए अटारी झाँका होगा चाँद

मन कहता है झुँझलाहट से बिफरा होगा चाँद।२।

*

हम होते तो कोशिश करते बात हमारी और

शिवजी जैसा किसने माथे साधा होगा चाँद।३।

*

चाँद बिना हम यहाँ  नगर  में जैसे काली रात

अबके पूनौ हम बिन भी तो आधा होगा चाँद।४।

*

बातें करती होगी बैठी याद हमारी पास

कैसे कह दें तन्हाई  में तन्हा होगा…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 1, 2023 at 12:33pm — 4 Comments

Monthly Archives

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल दिनेश कुमार -- अंधेरा चार सू फैला दमे-सहर कैसा
"वाह दिनेश जी वाह बहुत ही सुन्दर रचना "
5 hours ago
दिनेश कुमार posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Chetan Prakash's blog post एक ताज़ा ग़ज़ल
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

उस मुसाफिर के पाँव मत बाँधो - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२१२२/१२१२/२२ * सूनी आँखों  की  रोशनी बन जा ईद आयी सी फिर खुशी बन जा।१। * अब भी प्यासा हूँ इक…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-104 (विषय: युद्ध)
"क्या नैपथ्य या अनकहे से कथा स्पष्ट नहीं हो सकी?"
Thursday

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-104 (विषय: युद्ध)
"भाई, शैली कोई भी हो किन्तु मेरे विचार से कथा तो होनी चाहिए न । डायरी शैली में यह प्रयास हुआ है ।"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-104 (विषय: युद्ध)
"जी, शुक्रिया मार्गदर्शन हेतु।"
Thursday

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-104 (विषय: युद्ध)
"आप द्वारा सुझाये गये दोनो शीर्षक लघुकथा का प्रतिनिधित्व नही कर पा रहे हैं । वास्तव में इस लघुकथा का…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-104 (विषय: युद्ध)
"धन्यवाद आदरणीय सर.जी टिप्पणी हेतु। एक शैली है.लघुकथा कहने की मेरे विचार से। मार्गदर्शन का निवेदन है।"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-104 (विषय: युद्ध)
"धन्यवाद सर जी। मुझे लगा कि गीतों की पंक्ति से ही या रचना में से ही शीर्षक बन सकते हैं। यथा : काल के…"
Thursday

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-104 (विषय: युद्ध)
"बहुत बहुत आभार भाई लक्ष्मण जी ।"
Thursday

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service