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October 2025 Blog Posts (4)

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

जाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर ।

पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर ।।

लहरों से गीले सदा, रहते सागर तीर ।

बनकर कितने ही मिटे, यहाँ स्वप्न प्राचीर ।।

बनकर मिटते नित्य ही, कसमों भरे निशान ।

लहरों ने दम तोड़ते, देखे हैं अरमान ।।

दो दिल डूबे इस तरह , भूले हर तूफान ।

व्याप्त शोर में सिंधु के, प्रखर हुए अरमान ।।

खारे सागर में उठे, मीठी स्वप्न हिलोर ।

प्रेमी देखें साँझ में, अरमानों की भोर ।।

लहर - लहर…

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Added by Sushil Sarna on October 31, 2025 at 8:45pm — No Comments

कुर्सी जिसे भी सौंप दो बदलेगा कुछ नहीं-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

जोगी सी अब न शेष हैं जोगी की फितरतें

उसमें रमी हैं आज भी कामी की फितरते।१।

*

कुर्सी जिसे भी सौंप दो बदलेगा कुछ नहीं

चढ़ती हैं आदमी में जो कुर्सी की फितरतें।२।

*

कहने लगे हैं चाँद को,  सूरज को पढ़ रहे

समझे नहीं हैं लोग जो धरती की फितरतें।३।

*

किस हाल में सवार हैं अब कौन क्या कहे

भयभीत नाव देख के  माझी  की फितरतें।४।

*

पूजन सफल समाज में कन्या का है तभी

उसमें समायें मान को काली की…

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Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 23, 2025 at 7:19am — No Comments

दोहा पंचक. . . . .दीपावली

दोहा पंचक. . . . . . दीपावली

दीप जले हर द्वार पर, जग में हो उजियार  ।

आपस के सद्भाव से, रोशन हो संसार ।।

एक दीप इस द्वार पर,एक पास के द्वार ।

आपस के यह प्रेम ही, हरता हर अँधियार ।।

जले दीप से दीप तो, प्रेम बढ़े हर द्वार  ।

भेद भाव सब दूर हों , खुशियाँ मिलें अपार ।।

माँ लक्ष्मी का कीजिए, पूजन संग गणेश ।

सुख समृद्धि बढ़ती सदा, मिटते सभी कलेश ।

लाल चुनरिया पहन कर, मैया आई द्वार ।

पूजित कर हर्षित हुआ, पूरा घर परिवार…

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Added by Sushil Sarna on October 20, 2025 at 12:30pm — No Comments

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२

****

खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१।

*

चूड़ियाँ खनकें  हिना का रंग हँसता

स्वप्न सजनी के सभी गुलज़ार करके।२।

*

चाँद का पथ तक रहीं बेचैन आँखें,

लौट आओ कह स्वयं उपहार करके।३।

*

रूठना पलभर मनाना उम्रभर को

प्यार में सजनी ने यूँ इकरार करके।४।

*

मान अम्बर क्यों न जाये रीझने को

जब रिझाती  हो  धरा शृंगार करके।५।

*

भर दिवस उपवास कर माँगी दुआ…

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Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 9, 2025 at 7:23pm — 3 Comments

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