टिपर-टिपर-टिप
टिपर-टिपर-टिप
पानी की इक बूँद झूम कर
मुस्काई फिर ये बोली...
मैं अलमस्त फकीर
टिपर-टिप
मैं अलमस्त फकीर...
चंचलता जब ओस ढली तो
पत्तों नें भी जोग लिया,
उनके हिस्से जितना मद था
सब का सब ही भोग लिया,
बाँध सकी पर बूँदों को कब
कोई भी ज़ंजीर...
टिपर-टिप
मैं अलमस्त फकीर...
रिमझिम-रिमझिम जब बरसी तो
जीवन के अंकुर फूटे,
अम्बर की सौंधी पाती ने
जोड़े सब रिश्ते टूटे,
बूँदें ही…
Added by Dr.Prachi Singh on April 24, 2017 at 10:00pm — 8 Comments
लिख दें इबारत इश्क की,
आओ ज़रा सा झूम लें..
इक दूसरे को जी सकें, कब वक़्त ही इतना मिला
बस दूरियाँ थामे रहीं नज़दीकियों का सिलसिला,
कुछ पल मिले हैं साथ के आओ इन्हें जी लें अभी
हमको मिलें ये पल न जाने ज़िंदगी में फिर कभी,
ले उँगलियों में उँगलियाँ
आओ ज़रा सा घूम लें ...
लिख दें...
जब प्यार के एहसास के पहलू कई हैं अनछुए
क्यों पूछते हैं आप फिर गुमसुम भला हम क्यों हुए ?
सपने हमारे…
Added by Dr.Prachi Singh on April 5, 2017 at 6:06pm — 4 Comments
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