उफ़ ! क्या किया ये तुम ने, वफ़ा को भुला दिया,
उस शख़्स ए बावफ़ा को, कहो क्या सिला दिया।
जो ले के जाँ, हथेली पे, हरदम रहा खड़ा,
तुम ने उसी को, ज़ह्र का, प्याला पिला दिया।
अब क्या भला, किसी पे कोई, जाँ निसार दे,
जब अपने ख़ूँ ने, ख़ून का, रिश्ता भुला दिया।
गुलशन की जिस ने तेरे, सदा देखभाल की,
उस बाग़बां का तू ने, नशेमन जला दिया।
गर वो मिलेंगे हम से, कभी पूछ लेंगे हम,
क्यूँ ख़ाक़ में हमारा,…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' on May 26, 2020 at 12:08pm — 17 Comments
ईद कैसी आई है ! ये ईद कैसी आई है !
ख़ुश बशर कोई नहीं, ये ईद कैसी आई है !
जब नमाज़े - ईद ही, न हो, भला फिर ईद क्या,
मिट गये अरमांँ सभी, ये ईद कैसी आई है!
दे रहा कोरोना कितने, ज़ख़्म हर इन्सान को,
सब घरों में क़ैैद हैं, ये ईद कैसी आई है!
गर ख़ुदा नाराज़ हम से है, तो फिर क्या ईद है,
ख़ौफ़ में हर ज़िन्दगी, ये ईद कैसी आई है!
रंज ओ ग़म तारी है सब पे, सब परीशाँ हाल हैं,
फ़िक्र में रोज़ी की सब, ये ईद कैसी आई…
Added by अमीरुद्दीन 'अमीर' on May 25, 2020 at 6:00am — 11 Comments
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