आप यूँ ही अगर हमसे रूठे रहे
एक आशिक़ जहाँ से गुज़र जाएगा
ऐसी बातें करोगे अगर आप तो
ग़म का मारा ये दिल कुछ भी कर जाएगा
आप यूँ ही अगर...
कैसी नाराज़गी है ओ जान-ए-वफ़ा
मुझसे क्या हो गई भूल कुछ तो बता
हाय कुछ तो बता
आप ख़ुद ही समझ लेंगे इक रोज़ ये
जब ख़ुमार आपका ये उतर जाएगा
आप यूँ ही अगर...
तेरे वादों पे हम कर यक़ीं लुट गए
तेरी भोली सी सूरत पे क्यूँ मिट गए
हाय क्यूँ मिट गए
मर…
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' on July 22, 2020 at 6:30pm — 5 Comments
2212 /1212 /2212 /12
क्या आरज़ू थी दिल तेरी और क्या नसीब है
चाहा था टूट कर जिसे वो अब रक़ीब है।
पलकों की छाँव थी जहाँ है ग़म की धूप अब
वो भी मेरा नसीब था ये भी नसीब है।
ऐसे बदल गये मेरे हालात क्या कहूँ
अब चारा-गर कोई न ही कोई तबीब है।
कैसे मिले ख़ुशी हों भला दूर कैसे ग़म
मुश्किल कुशा के साथ वो मेरा रक़ीब है।
उसने बड़े ही प्यार से बर्बाद कर …
ContinueAdded by अमीरुद्दीन 'अमीर' on July 6, 2020 at 2:16pm — 12 Comments
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