2122 2122 2122 212
इक न इक दिन आपसे जब सामना हो जाएगा ।
जो भरम दिल में बचा है खुद रिहा हो जाएगा ।
इतने बुत मौजूद है तेरे खुदा के भेष में,
सजदा करते-करते तू खुद से जुदा हो जाएगा ।
सब पुराने पेड़ों को गर काट दोगे तुम यूं ही,
घर सलामत भी रहा तो लापता हो जाएगा।
ढूंढना अब छोड़ दे उस तक पहुँच का रास्ता,
खुद को पाले तो तू खुद ही रास्ता हो जाएगा ।
छोड़ दूँ शेरों सुखन और तेरी यादों का सफर ,
ऐसा करने…
Added by Manoj kumar Ahsaas on April 8, 2021 at 12:14am — 2 Comments
1212 1122 1212 112/22
पुराने ख़त मेरे अब भी जो सामने होंगे,
तो पढ़के होंठ यकीनन ही कांपते होंगे।
सफर उदास रहा जिनकी आस में अपना,
किसी के साथ वो चुपचाप चल पड़े होंगे।
तुम्हारे होठों को छूकर करार पाएंगे,
इसी ख्याल से मिसरे बहक रहे होंगे।
बिछड़ के उनसे मैं कितना उदास रहता हूँ,
मैं सोचता हूँ वो अक्सर ये सोचते…
Added by Manoj kumar Ahsaas on February 14, 2021 at 11:07pm — 5 Comments
221 2121 1221 212
ये मानता हूँ पहले से बेकल रहा हूँ मैं,
लेकिन तेरे ख़्यालों का संदल रहा हूँ मैं।
अब होश की ज़मीन पर टिकते नहीं क़दम,
बरसों तुम्हारे प्यार में पागल रहा हूँ मैं।
हैरत से देखते हैं मुझे रास्ते के लोग,
बिल्कुल किनारे राह के यूँ चल रहा हूँ मैं।
मुझको उदासियां मिली है आसमान से,
चुपचाप इन के आसरे में जल रहा हूँ मैं।
साहिल पर जाके तू मुझे मुड़ कर तो देखता,
इक वक्त तेरी रूह की हलचल रहा हूँ…
Added by Manoj kumar Ahsaas on January 28, 2021 at 11:35pm — 5 Comments
221 2121 1221 212
अपनी खता लिखूं या ख़ुदा का किया लिखूं .
इस दौरे नामुराद को किसका लिखा लिखूं .
उठती नहीं है तेरी तरफ मेरी उंगलियां,
फिर कौन सी कलम से तुझे बेवफा लिखूं.
मैं तेरा नाम ला नहीं सकता बयान में,
अपने ख़्याल पर बता किस का पता लिखूं.
मेरी पुकार तो नहीं जाएगी आप तक,
मैं किसके जरिए साल मुबारक नया लिखूं.
है याद मुझको तेरा वो छूना मेरे क़दम,
तब कैसे खुद को तेरी नज़र से गिरा…
Added by Manoj kumar Ahsaas on January 15, 2021 at 11:33pm — 6 Comments
221 2121 1221 212
क्या है मेरे होठों की दुआ मैं भुला चुका.
किस तरह मानता है ख़ुदा मैं भुला चुका.
मेरे सभी गुनाहों को अब तू भी भूल जा,
तुझसे हुई है जो भी खता मैं भुला चुका.
असली खुशी दबी पड़ी है गर्त में कहीं,
अब उसको ढूंढने की अदा मैं भुला चुका.
नज़दीक से गुज़र के मेरे देख ले कभी,
वो तेरी रहबरी की हवा मैं भुला चुका.
मुझको पुकार ने की तो आदत सी हो गई,
पर किसको दे रहा हूँ सदा मैं भुला…
Added by Manoj kumar Ahsaas on August 8, 2020 at 9:30am — No Comments
2×15
एक ताज़ा ग़ज़ल
लाखों ग़म की एक दवा है, सोचो ! कुछ भी याद नहीं.
कोई शिकायत करने आए,कह दो कुछ भी याद नहीं.
हमने उसकी यादें जीकर उसकी याद के गीत लिखे,
उसने पढ़कर लिख भेजा है, उसको कुछ भी याद नहीं.
मेरी कहीं इक बात पे मेरा साथी रूठ गया मुझसे,
मैंने वफ़ा की याद दिलाई,वो तो कुछ भी याद नहीं!
मेरी तड़प तो भूलना बेहतर था तेरे जीने के लिए,
तुमने काटी थीं जो रातें रो-रो,कुछ भी याद नहीं?
सारे कागज़ के…
ContinueAdded by Manoj kumar Ahsaas on August 6, 2020 at 12:12am — 2 Comments
2122 2122 2122 212
.
अपनी धुन में सब मगन हैं किससे क्या चर्चा करें.
किसको अपना दिल दिखायें किसके ग़म पूछा करें.
अब हमारी धडकनों का मोल कुछ लग जाये बस,
चल चलें मालिक के दर पर और कोई सौदा करें.
ज़िन्दगी इस खूबसूरत जाल में लिपटी रही,
रात में लिक्खें ग़ज़ल दिन में तुझे सोचा करें.
दे सके तो दे हमें वो वक़्त फिर मेरे ख़ुदा,
रात भर जागा करें और खत उन्हें लिक्खा करें.
सारा जीवन एक उलझन के भँवर में फँस…
ContinueAdded by Manoj kumar Ahsaas on July 29, 2020 at 1:30am — 5 Comments
2×15
इतने दिन तक साथ निभाया उतना ही अहसान बहुत.
दिल का क्या है, ख़ाली घर था, थे इसमें अरमान बहुत.
हैरानी से पूछ रहा था इक बच्चा नादान बहुत,
गर्मी के मौसम में ही क्यों आते हैं तूफान बहुत.
हद से ज्यादा देखभाल का कोई लाभ नहीं पाया,
मेरे हाथों मेरे घर का टूट गया सामान बहुत.
ऐसे ऐसे मोड़ हमारे रस्ते में आये यारो,
जिनमें फंसकर लगने लगा था जालिम है भगवान बहुत.
फिर इक दिन वो मुझसे मिलकर दिल की बात…
ContinueAdded by Manoj kumar Ahsaas on July 18, 2020 at 11:50pm — 5 Comments
22 22 22 22 22 2
मेरे दिल का बोझ किसी दिन हल्का हो.
मिल ले तू इक बार अगर मिल सकता हो.
मुझको लगता है तू मुझको भूल गया,
तेरे मन में भी शायद कुछ धोखा हो.
तेज तपन के साथ है सूरज अब सर पर,
मेरी दुआ है तेरे सर पर कपड़ा हो.
मैं तुझको खुद में शामिल कैसे रक्खूँ,
तेरे नाम के आगे जब कुछ लिक्खा हो.
अब तो अपनेपन की तुझमें बात नहीं,
शायद तू अब मुझको ग़ैर समझता हो.
छोटी सी एक बात बतानी थी…
ContinueAdded by Manoj kumar Ahsaas on July 5, 2020 at 4:35pm — 2 Comments
1222 1222 122
ज़माने भर में जितने हादसे हैं.
हमें ख़ामोश होकर देखने हैं.
किसी को चलने में दिक़्क़त न आए,
चलो इतना सिमट कर बैठते हैं.
मेरी बेबाकियों के रास्ते में,
मेरी कुछ ख़्वाहिशों के कटघरे हैं.
बिना जिसके हुआ था जीना मुश्किल,
उसी के होने से शिकवे गिले हैं.
तुम्हारी याद भी इक रोग है क्या,
तुम्हारे ख़त को छूते डर रहे हैं.
दलीले रह गई कमज़ोर मेरी,
वो अपनी बात कह कर जा चुके…
Added by Manoj kumar Ahsaas on July 3, 2020 at 8:55pm — 6 Comments
2122 2122 2122 212
आदमी को आदमी से डर के बचता देखकर
अपना चेहरा ढक रहे हैं शहर ठहरा देखकर
ढूंढ कर ला दे कोई मुझको मेरे वो आइने
जिनमें तुझको देखता था अपना चेहरा देखकर
इससे बेहतर ज़िन्दगी का और क्या मकसद रहे
आदमी ज़िंदा रहे दुनिया को हँसता देखकर
हाथ को छूकर निकल जाता है मेरे हाथ से
मेरा मन घबरा गया है बहता दरिया देखकर
आपकी बातों पे मुझको अब यकीं बिल्कुल नहीं
आग को झुठला रहे हैं घर भी जलता…
Added by Manoj kumar Ahsaas on June 23, 2020 at 11:32am — 4 Comments
22 22 22 22 22 22
ज्यादा चिंता से भी आखिर क्या होता है
जो सोचा,अक्सर उसका उल्टा होता है
कह देने से दर्द कहाँ हल्का होता है
कमजोरी का लोगों में चर्चा होता है
शाम ढले तो सब चीज़े धुंधली लगती हैं
सूरज फिर भी अगले दिन उजला होता है
जीवन का चक्कर चलता रहता है यों ही
हरियाली के बाद खेत सूखा होता है
कोई कहता रहता है मन की सब बातें
और किसी का दर्द सदा गूंगा होता है
पीड़ा के लम्हों में…
ContinueAdded by Manoj kumar Ahsaas on June 21, 2020 at 3:36pm — 5 Comments
22 22 22 22
रोज नए ढंग की उलझन है
सुलझाने का पूरा मन है
सबपे भारी बीसवाँ सन है
बच जाने का रोज जतन है
मेरे गीतों में ग़ज़लों में
तेरी यादों की कतरन है
मानव की ताकत की हक़ीक़त
गलियों का ये सूनापन है
सालों पहली कुछ बातों से
अब तक सीने में तड़पन है
मुझको जो उनसे कहना है
उनकी नज़र में पागलपन है
असली चेहरा ढक रक्खा है
सब चीजों पे रंग रोगन है
इन मिसरों के…
ContinueAdded by Manoj kumar Ahsaas on June 21, 2020 at 3:33pm — 2 Comments
2 2 2 2 2 2 2 2 2 2 2
अपने ही पापों से मन घबराता है
सीने में इक अपराधों का खाता है
लाचारी से कुछ भारी है मजबूरी
आँखों में ताकत है देख न पाता है
उसकी मजबूरी समझूँ या अपना दुख
गुलशन से सहरा में कोई आता है?
लाख कोशिशें कर के माना है हमनें
जो होना है आखिर वो हो जाता है
दिल मे कोई भीड़ सलामत है लेकिन
तेरा चेहरा साफ नहीं दिख पाता है
क्या जाने अफसाना है या सच कोई
आखिर में जो सच की जीत बताता है
ढलता है जब सूरज अपनी भी…
ContinueAdded by Manoj kumar Ahsaas on May 29, 2020 at 12:35pm — 8 Comments
2122 2122 2122 212
एक ताज़ा ग़ज़ल
तेरी चौखट तक पहुँचने के हैं अब आसार कम.
फासला लंबा बहुत है या मेरी रफ्तार कम.
कौन से रस्ते पे चलके मैं चला जाऊं कहाँ,
डर बहकने का है दिलबर हौसला इस बार कम.
हद से ज्यादा बेबसी है पर इरादे बेहिसाब,
हमसफर तो मिल गए हैं मिलते हैं गमख़ार कम.
घर पहुँचने की तड़प में इस सफर में जाने जां,
रोटिया दिलकश अधिक है और तेरे रुखसार कम.
जोड़ कर रखा था नाता…
ContinueAdded by Manoj kumar Ahsaas on May 14, 2020 at 12:22am — 5 Comments
221 2121 1221 212
वो मेरी ज़िन्दगी है उसे ये पता नहीं,
मैंने सलीके से ही यकीनन कहा नहीं।
ऐसा कोई कोई है ज़माने में दोस्तो,
जो आने वाले कल की कभी सोचता नहीं।
सब अपनी अपनी धुन में बताते हैं उसकी बात,
वो कैसा है, कहाँ है,किसी को पता नहीं।
मजबूरियां हमारी हमारा नसीब है,
चलने की आरज़ू है मगर रास्ता नहीं।
बेकार सर खपाने की आदत का क्या करें,
कोई नया ख्याल मयस्सर हुआ नहीं।
हर फूल को बिछड़ना है डाली से एक दिन, …
Added by Manoj kumar Ahsaas on April 23, 2020 at 10:30pm — 6 Comments
221 2121 1221 212
आँखों में बेबसी है दिलों में उबाल है.
कैसा फरेबी वक्त है चलना मुहाल है.
जो हर घड़ी करीब हैं उनका नहीं ख़्याल,
जो बस ख़्याल में है उसी का ख़्याल है.
रहता हूं जब उदास किसी बात के बिना,
तब खुद से पूछना है जो वो क्या सवाल है
.
पहुँचें हैं जिस मकाम पर उससे गिला हो क्या,
बस रास्तों की याद का दिल में मलाल है.
कुछ लोग बदहवास हैं सोने के भाव से,
कुछ लोग मुतमईन हैं रोटी है दाल…
Added by Manoj kumar Ahsaas on April 14, 2020 at 11:59pm — 7 Comments
221 2121 1221 212
इतने दिनों के बाद भी क्यों एतबार है.
मिलने की आरज़ू है तेरा इंतज़ार है.
ये ज़िस्म की तड़प है या मन का खुमार है,
लगता है जैसे हर घड़ी हल्का बुखार है.
मैं तेरी रूह छू के रूहानी न हो सका,
वो तेरा ज़िस्म छू के तेरा पहला प्यार है.
अब भी मेरे बदन में घुला है तेरा वजूद,
किस्मत की उलझनों से नज़र बेकरार है.
छुप कर तेरे ख़्याल में आती है जग की पीर,
दुनिया के गम से भी मेरा दिल सोगवार है…
Added by Manoj kumar Ahsaas on April 13, 2020 at 11:43am — 1 Comment
2×15
एक ताज़ा ग़ज़ल
मैं अक्सर पूछा करता हूँ कमरे की दीवारों से,
रातें कैसे दिखती होंगी अब तेरे चौबारों से.
सौंप के मेरे हाथों में ये दुनिया भर का पागलपन,
चुपके चुपके झाँक रहा है वो मेरे अशआरों से.
नफरत ,धोखा ,झूठे वादें और सियासत के सिक्के,
कितने लोगों को लूटा है तूने इन हथियारों से.
प्यार, सियासत, धोखेबाजी और विधाता की माया,
मानव जीवन घिरा हुआ है दुनिया में इन चारों से.
घोर अंधेरा करके घर में…
ContinueAdded by Manoj kumar Ahsaas on April 8, 2020 at 12:04am — No Comments
1222 1222 122
यूँ तुझपे हक़ मेरा कुछ भी नहीं है
मगर दिल भूलता कुछ भी नहीं है
तेरी बातें भी सारी याद है पर
कहा तेरा हुआ कुछ भी नहीं है
तेरी आंखों में है गर कोई मंजिल
तो फिर ये रास्ता कुछ भी नहीं है
ग़ज़ल अपनी कलम से खुद ही निकली
तसल्ली से लिखा कुछ भी नहीं है
मेरा अफसाना जो तुम पढ़ रहे हो
ये कुछ लायक है या कुछ भी नहीं है
नज़र जिसमें तेरी…
ContinueAdded by Manoj kumar Ahsaas on April 4, 2020 at 12:30am — 2 Comments
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2021 Created by Admin.
Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |