For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Rachna Bhatia's Blog – October 2020 Archive (3)

ग़ज़ल

,12122 12122 12122 12122

1

लगा के ठोकर वो पूछते हैं उठा के सर क्या चला करेंगे

पलट दी बाजी ये कह के हमने ख़ुदा के दम पर बढ़ा करेंगे

2

सजा के महफ़िल मेरी तबाही की पूछते हैं कि क्या करेंगे…

Continue

Added by Rachna Bhatia on October 31, 2020 at 3:47pm — 3 Comments

दरवाजा (लघुकथा)

" माँ,रोटी पर मक्खन तो रखा नहीं।हाँ,देती हूँ।" 

बेटे की रोटी पर मक्खन रखते हुए अचानक बर्तन माँजती बारह साल की बेटी छुटकी को देख सुधा के हाथ पल को ठिठके और फिर चलने लगे।वापसी में छुटकी की पीठ थपथपा काम में लग गई ।

माँ बेटी अभी थाली लेकर बैठीं थी कि पति की आवाज़ आई,

" कहां हो?पानी तो पिलाओ।खाने का कोई समय है कि नहीं जब तब थाली लिए बैठ जाती हो।यही छुटकी सीख रही है।" 

पिता की आवाज़ सुनते ही छुटकी ने जल्दी से थाली वापिस सरका दी।

सुधा ने भी जवाब के लिए तैयार होठों…

Continue

Added by Rachna Bhatia on October 27, 2020 at 11:00pm — 6 Comments

ग़ज़ल

122 122 122 12

रिदा से ही जब पा बड़ा हो गया

ख़ुदा मेरा मुझसे ख़फा हो गया

मेरे साथ गम का चले कारवाँ

अकेला मैं फ़िर क्यों बता हो गया

जिसे छूना तुमको न मुमकिन लगे

समझ लो वही अब ख़ुदा हो गया

नहीं ज़िन्दगी ज़िन्दगी सी रही

सफ़र यह भी अब बदमज़ा हो गया

सुख़न शाइरी भी अजब शै हुई

तसव्वुर का इक आसरा हो गया

अँधेरों की आदत बना लीजिए

ज़िया से अधिक फ़ासला हो…

Continue

Added by Rachna Bhatia on October 14, 2020 at 10:41am — 7 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Usha Awasthi commented on Usha Awasthi's blog post पूजा बता रहे हैं
"आ0 अखिलेश  कृष्ण  श्रीवास्तव  जी, पटल पर आपकी अधूरी प्रतिक्रिया देख पा रही हूँ। जो…"
Thursday
Usha Awasthi posted a blog post

पूजा बता रहे हैं

पूजा बता रहे हैं उषा अवस्थीपाले हैं,यौन कुंठापूजा बता रहे हैंन जाने ऐसे लोग किस राह जा रहे हैं?रचते…See More
Thursday
Euphonic Amit commented on Samar kabeer's blog post 'वतन को आग लगाने की चाल किसकी है'
"बिहतरीन ग़ज़ल आदरणीय उस्ताद-ए-मुहतरम। वाहह वाह। सादर चरण स्पर्श "
Wednesday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल दिनेश कुमार -- अंधेरा चार सू फैला दमे-सहर कैसा
"सुनन्दरम।"
Tuesday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on सतविन्द्र कुमार राणा's blog post दिख रहे हैं हजार आंखों में
"आदरणीय सौरभ सर सादर नमन, मार्गदर्शन के लिए सादर आभार। नुक्ता कहीं भी प्रयासपूर्वक नहीं लगाया है। सच…"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल दिनेश कुमार -- अंधेरा चार सू फैला दमे-सहर कैसा
"वाह दिनेश जी वाह बहुत ही सुन्दर रचना "
Monday
दिनेश कुमार posted blog posts
Dec 3
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Chetan Prakash's blog post एक ताज़ा ग़ज़ल
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Dec 3
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Dec 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

उस मुसाफिर के पाँव मत बाँधो - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२१२२/१२१२/२२ * सूनी आँखों  की  रोशनी बन जा ईद आयी सी फिर खुशी बन जा।१। * अब भी प्यासा हूँ इक…See More
Dec 2
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-104 (विषय: युद्ध)
"क्या नैपथ्य या अनकहे से कथा स्पष्ट नहीं हो सकी?"
Nov 30

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-104 (विषय: युद्ध)
"भाई, शैली कोई भी हो किन्तु मेरे विचार से कथा तो होनी चाहिए न । डायरी शैली में यह प्रयास हुआ है ।"
Nov 30

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service