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बहुत अकेले जोशीमठ को रोते देख रहा हूँ- गीत १३(लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

सदियों पावन धाम रहा जो खोते देख रहा हूँ
बहुत अकेले जोशीमठ को रोते देख रहा हूँ !
*
केवल अपनी  पीड़ा  से  जो, दरक  नहीं  रहा है
पूर्ण हिमालय की पीड़ा को, उसने आज कहा है।।
पानी रिसना  बोल  रहे  सब, देख फूटतीं धमनी
खोद खोद कर देह सकारी, जब कर बैठे छलनी।।
नयी सभ्यता के प्रलय को होते देख रहा हूँ
बहुत अकेले जोशीमठ को रोते देख रहा हूँ।।
*
सिर्फ़ सैर के लिए हिमालय, सबने मान लिया है
इसीलिए तो अघकचरा सा हर निर्माण किया है।।
जो संचालक देश - राज्य के, सोये गहरी नींद लिए
और योजनाकार यहाँ के, लेकर लालच नित्य जिए।।
ताने चादर अब तक उनको सोते देख रहा हूँ
बहुत अकेले जोशीमठ को रोते देख रहा हूँ ।।
*
बदरीनाथ का द्वार कहाता लेकिन जर्जर आज हुआ
पुण्य करेगा काम न कोई , न ही  करेगी  काम दुआ।।
चेताया था विगत तपोवन, उससे पहले उत्तरकाशी
नींद न आती अब रातों को, मिटने वाले हैं रहवासी।।
जीवन पथ पर शूल बहुत ही बोते देख रहा हूँ।
बहुत अकेले  जोशीमठ  को रोते देख रहा हूँ ।।
*
दसकों सिसकी रोज अकेले, डूब गयी फिर टिहरी
उस के जैसे सिसक रही है, अब बदरी की देहरी।।
नव विकास के नाखूनों से, फटन देह पर भारी
समय लिख रहा तीव्र गति से, ये कैसी लाचारी।।
थोड़े सुख को अन्त जिन्दगी होते देख रहा हूँ
बहुत अकेले  जोशीमठ  को रोते देख रहा हूँ ।।
*
हर परवत के सौदागर नित, डाल अधर पर ताला
घूम रहे हैं कण्ठ सजाये, अन्ध विकास की माला।।
रहवासी के हर्ष दुहित कर, भरते निज का प्याला
जो भी चुनकर संसद पहुँचा, बना लूटने वाला।।
हाथ सभी को बढ़चढ़ अपने धोते देख रहा हूँ
बहुत अकेले जोशीमठ को रोते देख रहा हूँ ।।
*
कोई नगर न कहने वाला, ना सुध लेने वाला
कटे हाथ से पर्वत वासी, क्या फोड़ेगा छाला।।
जिम्मेदारी जिन की बनती, वो भाड़े के टट्टू
अपने आकाओं के हित में, नाचे बनकर लट्टू।
उनकी रटाई बात बोलते तोते देख रहा हूँ।
बहुत अकेले जोशीमठ को रोते देख रहा हूँ।।
**
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

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Comment

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Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 1, 2023 at 3:25pm

आ. गीता जी, सादर अभिवादन। गीत पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।

Comment by Dr. Geeta Chaudhary on January 30, 2023 at 10:57pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 29, 2023 at 3:26pm

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। गीत पर उपस्थिति और उत्साह वर्धन के लिए आभार ।

Comment by Samar kabeer on January 29, 2023 at 2:22pm

जनाब लक्ष्मण धामी जी अआदाब, अच्छा गीत हुआ है, बधाई स्वीकार करें I 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 29, 2023 at 8:24am

आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थित और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक बधाई।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 25, 2023 at 6:17pm

उत्तम सत्य से उत्प्रेरित गीत रचना आदरणीय... बधाई

कृपया ध्यान दे...

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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय."
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"सादर"
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"बात तो उचित है. आप संशोधित रचना यहीं, इसी आयोजन में पोस्ट कर दें, आदरणीय."
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"अवश्य, आदरणीय."
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