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होता है इंक़िलाब सदा इंतिहा के बाद (ग़ज़ल)

बह्र : 221 2121 1221 212

ज़ालिम बढ़ा दे ज़ुल्म ज़रा हर ख़ता के बाद  

होता है इंक़िलाब सदा इंतिहा के बाद 

किसने बदल दिया है ये कानून देश का 

होने लगी है जाँच यहाँ अब सज़ा के बाद

बीमारियों से देश बचा लोगे जान लो

करती असर है ख़ूब दुआ पर दवा के बाद

जिसने भी तप किया उसे देवत्व मिल गया

इंसान कौन-कौन बना देवता के बाद?

ऐसा विकास भी न हमें आप दीजिए

मिलता सभी को जैसे ख़ुदा पर कज़ा के बाद

-----------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment

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Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 21, 2023 at 5:22am

आ. भाई धर्मेंद्र जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। बहुत बहुत हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

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