For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (मिट चुके हैं प्यार में कितने ही सूरत देख कर)

ग़ज़ल (मिट चुके हैं प्यार में कितने ही सूरत देख कर)
(फाइ ला तुन _फाइ ला तुन _फाइ ला तुन _फाइ लु न)

मिट चुके हैं प्यार में कितने ही सूरत देख कर l
कीजिए गा हुस्न वालों से मुहब्बत देख कर l

मुझको आसारे मुसीबत का गुमां होने लगा
यक बयक उनका करम उनकी इनायत देख कर l

कुछ भी हो सकता है महफ़िल में संभल कर बैठिए
आ रहा हूँ उनकी आँखों में क़यामत देख कर l

देखता है कौन इज्ज़त और सीरत आज कल
जोड़ते हैं लोग रिश्ते सिर्फ़ दौलत देख कर l

आने वाली है तबाही मुल्क में लगता है ये
डूबी मज़हब के समुन्दर में सियासत देख कर l

प्यार जिसका आज तक हासिल न कर पाया कोई
उसके कूचे में परखना अपनी क़िस्मत देख कर l

इश्क़ में भी अब तिजा रत हो रही तस्दीक है
तुम किसी भी महजबीं से करना उलफत देख कर l

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 784

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ajay Tiwari on July 20, 2019 at 12:01pm

'इश्क़ में भी अब तिजा रत हो रही तस्दीक है
तुम किसी भी महजबीं से करना उलफत देख कर'

इस शेर की एक सूरत ये भी हो सकती है :

इश्क़ में भी याँ तिजारत है मियाँ तस्दीक तुम 
अब किसी भी महजबीं से करना उलफत देख कर

सादर 

Comment by Ajay Tiwari on July 20, 2019 at 11:51am

आदरणीय तस्दीक साहब, खूबसूरत अशआर हुए हैं. हार्दिक बधाई.

इश्क़ में भी अब तिजारत हो रही तस्दीक है > इश्क़ में भी अब तिजारत है मियाँ तस्दीक याँ

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 13, 2019 at 8:24am

जनाब बलराम साहिब  , ग़ज़ल पर आपकी सुंदर प्रतिक्रिया और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I 

Comment by Balram Dhakar on February 11, 2019 at 11:09pm

आदरणीय तस्दीक़ भाई, ग़ज़ल के सभी शेर क़ाबिले तारीफ़ हैं।

दाद के साथ मुबारक़बाद क़ुबूल फ़रमाएं।

सादर।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 5, 2019 at 2:37pm

जनाब भाई लक्ष्मण धा मी साहिब, ग़ज़ल पर आपकी सुंदर प्रतिक्रियाऔर हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I  

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 5, 2019 at 7:15am

आ. भाई तस्दीक अहमद जी, सुंदर गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।

आने वाली है तबाही मुल्क में लगता है ये
डूबी मज़हब के समुन्दर में सियासत देख कर l

बहुत खूब..

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 4, 2019 at 9:47pm

मुहतरम जनाब समर साहिब आ दाब, ग़ज़ल पर आपकी खूबसूरत प्रतिक्रिया और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I 

Comment by Samar kabeer on February 4, 2019 at 9:19pm

जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
12 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-169

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
12 hours ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बेहतरीन 👌 प्रस्तुति और सार्थक प्रस्तुति हुई है ।हार्दिक बधाई सर "
21 hours ago
Dayaram Methani commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, अति सुंदर गीत रचा अपने। बधाई स्वीकार करें।"
yesterday
Dayaram Methani commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"सही कहा आपने। ऐसा बचपन में हमने भी जिया है।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' shared their blog post on Facebook
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
Dharmendra Kumar Yadav posted a blog post

ममता का मर्म

माँ के आँचल में छुप जातेहम सुनकर डाँट कभी जिनकी।नव उमंग भर जाती मन मेंचुपके से उनकी वह थपकी । उस पल…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
Nov 30

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service