For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अतुकांत कविता : प्रगतिशील (गणेश जी बागी)

अतुकांत कविता : प्रगतिशील

अकस्मात हम जा पहुँचे
एक लेखिका की कविताओं पर
जिसमे प्रमुखता से उल्लेखित थे
मर्द-औरत के गुप्त अंगों के नाम

लगभग सभी कविताओं में...

पूरी तरह से किया गया था निर्वहन
उस परंपरा को
जहाँ दी जाती हैं गालियाँ
समूची मर्द जाति को

एक ही कटघरे में खड़ा कर
प्रस्तुत किया जाता है विशिष्ट उदाहरण
चंद मानसिक विक्षिप्तों का

हम नहीं पढ़ सके वो कविताएँ
हमारे संकुचित संस्कार
आड़े आ गये थे, क्योंकि ...
हमारी शिक्षा नहीं हुई है
देश के बहुचर्चित विश्वविद्यालय में

आज भी हमारी सोच रह गयी है
पिछड़ी
संकुचित
नहीं बन सके हम
कथित प्रगतिशील !

हम पढ़ने लगे...
उन कविताओं पर आयी
कुछ विदुषियों व ढेरों विद्वानों की
वाह-वाह भरी टिप्पणियाँ
और उन टिप्पणियों पर
लेखिका द्वारा उत्साहपूर्वक
की गयी प्रतिक्रियाएँ

प्रतीत हो रहा था..
लेखिका की कलम से निकले
स्त्री-पुरुष की देह को इंगित
अश्लील शब्द-चित्रों से
मिल रही हो जैसे
मानसिक खूूराक

उन पाठक-पाठिकाओं को
जो लेखिका के संग-संग
प्राप्त हो रहे हों
चरमोत्कर्ष को
प्रगतिशीलता और नारी विमर्श के आवरण में ।

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 742

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on February 12, 2020 at 5:07pm

achee rachnaa - badhaee

Comment by नाथ सोनांचली on February 6, 2020 at 5:15am

आद0 गणेश जी बागी जी सादर अभिवादन। इस अतुकांत को जितनी बार पढ़ता हूँ, भूख बढ़ती जाती है। इस जीवंत रचना के लिए आपको कोटिश बधाइयां। सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 3, 2020 at 6:36pm

इस कविता के माध्यम से उन तथाकथित रचनाकारों के गाल पर जबरदस्त तमाचा है | एक बात और बताऊँ कुछ फर्जी नाम से अर्थात फेक आई डी से पुरुषवर्ग भी संलिप्त हैं इस घिनौने लेखन में |मगर मेरा यही कहना है चाहे कवि हो या कवयित्री ,,ऐसा लेखन एक गंदी मानसिकता विकृत मानसिकता का परिणाम है साहित्य में दाग हैं धब्बा हैं 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 3, 2020 at 5:18am

आ. भाई गणेश जी , सादर अभिवादन । अच्छी कविता हुई है । हार्दिक बधाई ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 1, 2020 at 9:36am

आदरणीय समर साहब, आपका आशीर्वाद इस अभिव्यक्ति को मिला, बहुत बहुत आभार । टंकण त्रुटि को बताने हेतु हृदय से अभिभूत हूँ, अभी एडिट करता हूँ ।

Comment by Samar kabeer on January 31, 2020 at 3:23pm

जनाब गणेश जी 'बाग़ी' साहिब आदाब,तरक़्क़ी पसंद तहरीक के नुमाइंदों पर बहुत उम्दा तंज़ करती एक अच्छी कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।

'मानसिक खुराक'--"मानसिक ख़ूराक"

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति और प्रशंसा से लेखन सफल हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
17 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . पतंग
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय "
19 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने एवं सुझाव का का दिल से आभार आदरणीय जी । "
19 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सौरभ जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया एवं अमूल्य सुझावों का दिल से आभार आदरणीय जी ।…"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गीत रचा है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ। सादर "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहो *** मित्र ढूँढता कौन  है, मौसम  के अनुरूप हर मौसम में चाहिए, इस जीवन को धूप।। *…"
Monday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सुंदर दोहे हैं किन्तु प्रदत्त विषय अनुकूल नहीं है. सादर "
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, सुन्दर गीत रचा है आपने. प्रदत्त विषय पर. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, मौसम के सुखद बदलाव के असर को भिन्न-भिन्न कोण…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service