For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तो रो दिया .......

मौन की गहन कंदराओं में
मैनें मेरी मैं को
पश्चाताप की धूप में
विक्षिप्त तड़पते देखा
तो रो दिया ।

खामोशी के दरिया पर
मैंने मेरी मैं को
तन्हा समय की नाव पर
अपराध बोध से ग्रसित
तिमिर में लीन तीर की कामना में लिप्त
व्यथित देखा
तो रो दिया

क्रोध के अग्नि कुण्ड में
स्वार्थघृत की आहूति से परिणामों को
जब धू- धू कर जलते देखा
तो रो दिया

सच , क्रोध की सुनामी के बाद जब
तबाही का मंजर देखा
तो साथ मेरे
मेरा मैं भी रो दिया ।

सुशील सरना / 30-9-21
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 728

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on April 17, 2023 at 8:08pm

बहुत सुन्दर ढंग से एहसासों को शब्दों में पिरोया है | बधाई स्वीकारें आदरणीय सुशिल सरना जी| 

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on November 15, 2022 at 7:24pm

आदरणीय सुशील सरना जी सादर अभिवादन एक बहुत ही उत्कृष्ट रचना पढ़कर मुझे खुशी मिली सादर शुभकामनाएं

Comment by नाथ सोनांचली on October 13, 2021 at 4:09pm

आद0 सुशील सरना जी सादर अभिवादन। हर बार की तरह एक बेहतरीन सृजन पढ़ने को मिला। कोटि कोटि बधाई आपको

Comment by Sushil Sarna on October 10, 2021 at 8:40pm
आदरणीय अमन सिन्हा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय
Comment by Sushil Sarna on October 10, 2021 at 8:39pm
आदरणीय समर कबीर जी आदाब, सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी
Comment by Sushil Sarna on October 10, 2021 at 8:39pm
आदरणीय अमीरुद्दीन साहिब, आदाब - सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर
Comment by Sushil Sarna on October 10, 2021 at 8:38pm
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 10, 2021 at 6:34am

आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है । हार्दिक बधाई।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on October 1, 2021 at 7:55pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब, हमेशा की तरह एक और शानदार कृति के लिए आपको हार्दिक बधाई। 

Comment by Samar kabeer on October 1, 2021 at 2:13pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब, अच्छी रचना हुई है. इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें I 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ravi Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय अजय गुप्ता जी तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने शुरु के कुछ शेर जियादा अच्छे लगे ।सादर"
1 minute ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय dandpani nahak जी आदाब।ग़ज़ल के उम्दा प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। शोलों में लिपटी बर्फ़…"
2 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"221 2121 1221 212 छोटी सी एक बात समझ आ गई मुझे सच्चाई ज़िन्दगी की वो समझा गई मुझे 1 एहसास हू-ब-हू…"
3 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय मुनीश तन्हा जी, ग़ज़ल के इस प्रयास के लिए हार्दिक बधाई"
3 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"अभिवादन सर जी नमन मंच"
5 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रयास और मुशायरे में सहभागिता के लिए आपको बधाई"
5 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"अच्छे अशआर के लिये बधाई स्वीकारें आदरणीय दण्डपाणि जी।"
5 minutes ago
Ravi Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय जैफ साहब अच्दी ग़ज़ल हुई है बधाई"
5 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
" मोहतरम अमीरुद्दीन 'अमीर' साहिब, इस ग़ज़ल के लिए आपको मुबारकबाद। अच्छे अशआर हुए…"
6 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय संजय शुक्ला जी, मुशायरे का आग़ाज़ करने के लिए हार्दिक बधाई। शेष गुणीजनों ने कह ही दिया है।"
8 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"अच्छी ग़ज़ल हुई है भाई मुनीश जी। अमित जी ने बहुत विस्तार से हर शेर पर राय दी है। संज्ञान लीजिएगा।"
10 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-159
"आदरणीय चेतन जी, तरही ग़ज़ल अच्छी हुई है। बाक़ी गुणीजनों की राय महत्वपूर्ण होगी।"
15 minutes ago

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service